स्टार्टअप शुरू करते समय इन कानूनी बातों का रखें ध्यान, नए आंत्रप्रेन्योर नहीं होंगे परेशान
अमेरिका के प्रतिष्ठित लॉ स्कूल यूएनएच फ्रैंकलिन पियर्स स्कूल ऑफ लॉ ((UNH Franklin Pierce School of Law) से एलएलएम (LL.M.) की डिग्री हासिल करने और उसके बाद अमेरिका की एक बड़ी लॉ फर्म में काम करने के दौरान अभिषेक शर्मा ने अपने देश में आकर अपनी खुद की लॉ फर्म की स्थापना की। अपने भाई मयंक शर्मा के साथ मिलकर अभिषेक ने साल 2015 में अपनी खुद की लॉ फर्म पुलस्त्य लीगल (Pulastya Legal) की शुरुआत की थी।
लॉ की अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिषेक ने अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित लीगलफोर्स (LegalForce) फर्म के साथ काम करना शुरू कर दिया, इसी के साथ उन्होने ट्रेडमार्किया नाम की कंपनी में भी अपनी सेवाएँ दी, जहां वे ग्राहकों के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान और सरल बनाने में मदद करते थे।
भारत वापस आने के बाद पुलस्त्य लीगल की स्थापना अभिषेक ने अपनी तरफ से महज 10 हज़ार रुपये के बुनियादी निवेश के साथ की थी। आज अभिषेक पुलस्त्य लीगल में काम करने वाले इंटर्न समेत सभी कर्मचारियों को आगे बढ़ने का पूरा मौका देते हैं, जिससे वास्तविक मामलों में काम करते हुए उन्हें व्यावहारिक तौर पर असल अनुभव हासिल होता है।
आज तेजी से उभरती लॉ फर्म पुलस्त्य लीगल में बतौर मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक शर्मा अपने कई भारतीय और अमेरिकी ग्राहकों को आईपी (Intellectual Property) सुरक्षा, लाइसेंसिंग और टेक्नालजी ट्रांसफर (Licensing and Technology Transfer) से जुड़े मुद्दों पर सलाह देने के साथ-साथ फर्म के क्लाइंट्स को मैनेज करने की भी ज़िम्मेदारी निभाते हैं।
भारत में भी नए उद्यमियों के लिए कानूनी तौर पर पुख्ता होना आज के समय की मांग है लेकिन कानूनों की जानकारी के अभाव में इन उद्यमियों को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है और कई बार तो उद्यमी इसके चलते अपना आर्थिक नुकसान भी करवा बैठते हैं। ऐसे में इस संबंध में योरस्टोरी ने अभिषेक शर्मा से बात कर इस समस्या का हल ढूंढने की कोशिश की है।
देश में इस समय तमाम स्टार्टअप अपने काम के जरिये आम लोगों की मुश्किलों को हल करते हुए बाज़ार में ना सिर्फ अपनी जगह बना रहे हैं, बल्कि मुनाफा भी कमा रहे हैं। दिल्ली और बंगलुरु जैसे टियर 1 शहरों के अलावा आज देश के टियर 2 व टियर 3 शहरों से भी बड़ी संख्या में नए स्टार्टअप सामने आते हुए देखे जा रहे हैं।
स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले उद्यमी आमतौर पर पहले किसी और बड़ी कंपनी या स्टार्टअप्स में काम कर चुके होते हैं जिस कारण वे अपने स्टार्टअप से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति जागरूक होते हैं, लेकिन इस मामले में किसी अनुभवहीन उद्यमी के लिए इस कानूनी जागरूकता का ना होना काफी भारी पड़ सकता है।
अगर आप भी अपना स्टार्टअप खोलना चाह रहे हैं और बुनियादी कानून की जानकारी रखते हुए अपने व्यापार को सुरक्षित ढंग से आगे बढ़ाना चाहते हैं तो स्टार्टअप से जुड़ी बुनियादी कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में हम आपको जरूरी जानकारी यहाँ मुहैया करा रहे हैं। योरस्टोरी ने कॉर्पोरेट क़ानूनों के जानकार और पुलस्त्य लीगल के मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक शर्मा से बातचीत की और उन सवालों के जवाब पाने की कोशिश की है जिससे आपकी उद्यम यात्रा अधिक सुरक्षित बन सकती है-
योरस्टोरी: कोई उद्यमी अपने आइडिया को कानूनी तरीके से कैसे सुरक्षित कर सकता है?
अभिषेक शर्मा: उद्यमी को सबसे पहले तो अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए और साथ ही अपने ट्रेडमार्क या किसी भी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी को भी रजिस्टर करवाना चाहिए। सीधे तौर पर बोलें तो हम किसी आइडिया को सुरक्षित नहीं कर सकते हैं या यूं कहें कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं कि इस आइडिया या बिजनेस मॉडल पर कोई दूसरा काम नहीं करेगा, हालांकि आप अपने आइडिया को किस तरह लागू करते हैं, उसे बेशक सुरक्षित बना सकते हैं।
अगर आपका उत्पाद या आपकी सेवा ऐसी है जो बाज़ार के लिए बिल्कुल नई है ऐसे में आप ये जरूरी कदम उठा सकते हैं। फर्ज़ कीजिये कि आपने कोई ऐसी मोबाइल एप्लिकेशन बनाई है जो अनूठी है ऐसे में आप अपनी उस ऐप का नाम रजिस्टर करने साथ ही उस सॉफ्टवेयर को भी कॉपीराइट कर सकते हैं।
योरस्टोरी: नॉन-डिस्क्लोजर एंग्रीमेंट कितना अहम है?
अभिषेक: नॉन-डिस्क्लोजर एंग्रीमेंट या NDA किसी भी स्टार्टअप के लिए बेहद अहम है। एनडीए के जरिये आप अपने आइडिया या किसी असेट का दुरुपयोग होने से रोक सकते हैं। उद्यमी को किसी कॉर्पोरेट वकील के साथ मिलकर इससे तैयार करवाना चाहिए।
NDA पर दस्तखत होने की दशा में निवेशक, हितधारक और आपके साथ काम करने वाले आपके सहकर्मी एक तरह के कानूनी बंधन में बंध जाते हैं जहां वे आपके द्वारा उन्हें दी गई किसी भी गोपनीय जानकारी को किसी और के साथ साझा या चोरी नहीं कर सकते हैं।
अगर हम यहाँ पर कर्मचारियों की बात करें तो उसके लिए एनडीए से भी पहले उनके साथ एक मजबूत एम्पलॉयमेंट एग्रीमंट भी साइन होना चाहिए और इसके लिए उद्यमी को बकायदा एक कॉर्पोरेट क़ानूनों के जानकार वकील से मदद लेनी चाहिए ताकि भविष्य में उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
योरस्टोरी: किसी आइडिया से इंस्पायर होने और उसे कॉपी करने की सीमाएं कैसे तय हों?
अभिषेक: अगर कोई उद्यमी किसी अन्य स्टार्टअप या कंपनी के आइडिया से प्रभावित होकर अपना उद्यम खड़ा कर रहा है और उन दोनों के आइडिया में कोई सीधी समानता नहीं है तो ऐसे में कोई दिक्कत सामने नहीं आती है लेकिन अगर कोई उद्यमी किसी अन्य कंपनी या स्टार्टअप के आइडिया की हूबहू नकल करता है तो ऐसे में उसे कानूनी तौर पर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि कानून में हर परिस्थिति के लिए अलग जवाब भी हो सकते हैं ऐसे में किसी कॉर्पोरेट वकील की मदद लेना ही उचित है।
योरस्टोरी: नए आंत्रप्रेन्योर के लिए आपकी कानूनी राय क्या है?
अभिषेक: नए या पहली बार के आंत्रप्रेन्योर को मैं तीन टिप्स देना चाहूँगा। पहली तो ये कि उद्यम को शुरू करने से पहले अपनी पसंद के इस क्षेत्र के जानकार वकील से संपर्क कर कानूनी राय जरूर लें।
दूसरा ये कि अच्छी तरह से तैयार हुए एग्रीमेंट पर अधिक फोकस करें, ऐसा ना करें कि इंटरनेट से कोई ड्राफ्ट उठाकर उसमें थोड़े बदलाव कर उसे इस्तेमाल कर ले, ये काम आपको बाद में परेशानी में भी डाल सकता है।
तीसरा ये कि लीगल प्रोसेस से जुड़े जितने भी जरूरी रजिस्ट्रेशन हैं उन्हें प्राथमिकता देकर पूरा कराया जाए।
एक और चीज जो महत्वपूर्ण है वो ये है कि आमतौर पर उद्यमी इन कानूनी कामों के लिए बजट ना होने का हवाला देते हैं और कई बार उन्हें इसके चलते परेशानी भी उठानी पड़ती है। ऐसे में जरूरी है कि कंपनी चलाते समय उद्यमी इसके लिए अलग से बजट निर्धारित करें और सिर्फ जानकार वकील से ही कानूनी सहायता लें।
नोट- ऊपर दी गई जानकारी को कानूनी सलाह के रूप में ना लें। यदि आपको इस विषय में और अधिक जानकारी चाहिए तो आप अभिषेक शर्मा से इस लिंक पर जाकर सम्पर्क कर सकते है। किसी भी मामले के तथ्य और परिस्थिति के आधार पर ऊपर दी गई राय बदल भी सकती है, ऐसे में आप किसी अन्य कानूनी सलाहकार या विषय के जानकार वकील से भी संपर्क कर सकते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi