समस्या दिखी तो घर में ही 30 तरह के प्रॉडक्ट्स बनाकर आत्मनिर्भर हो गईं मुंबई की प्रीति सिंह
इसे कहते हैं आम-के-आम, गुठलियों के दाम। मुंबई की घरेलू महिला प्रीति सिंह को अपनी काम वाली बाई की एक छोटी सी जरूरत पूरी करने में ऐसा आइडिया मिला कि वह घर पर ही 30 तरह के प्रॉडक्ट तैयार कर बेचने लगी हैं। हर महीने 10-15 हजार रुपए की कमाई हो जाने से अब घर खर्च के लिए भी वह आत्मनिर्भर हो चुकी हैं।
कुछ लोग अपने घरेलू जीवन में संज्ञाशून्य की तरह खाने-पीने, सोने, इंटरटेनमेंट, मटरगश्ती में एक-एक दिन गुजारते जाते हैं, लेकिन उसी परिवेश में रहकर कई लोग जीवन के नए नए रास्ते, स्वयं के साथ ही लोगों के लिए भी तलाश कर मिसाल बन जाते हैं। घरेलू जीवन के छोटे-छोटे जतन-उपाय किसी स्त्री के रोजमर्रा की समझदारियों से किस तरह नवाचार में रूपांतरित हो जाते हैं, इस हुनर की पारखी मुंबई की प्रीति सिंह के एक कामयाब आइडिया से तो यही सीख और दिशा मिलती है।
कहावत है कि मानिए तो देव, नहीं पत्थर। घर में काम करने वाली महिला की जरूरत से प्रीति सिंह को एक कारगार आइडिया मिल गया और उन्होंने होम क्लीनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजों की मांग और कामवाली की परेशानी को देखते हुए इसे ही अपना बिजनेस बना लिया है।
खुद को बनाया आत्मनिर्भर
आज वह घर में ही 30 से अधिक तरह के प्रोडक्टस बनाकर घर बैठे दस-पंद्रह हजार रुपए महीने कमा ले रही है। अब लोगों को पता चल चुका है कि कौन-कौन सी घरेलू इस्तेमाल की चीजें उनसे सस्ते में खरीदी जा सकती हैं, तो घर बैठे खुद चलकर बाजार उनके पास आने लगा है।
प्रीति सिंह बताती हैं कि
"अपने घर तैयार किए जाने वाले प्रॉडक्ट की बेहतर जानकारी के लिए वह ऑनलाइन वीडियो सर्च कर अपडेट होती रहती हैं।"
वह कहती हैं कि
"घर की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए तरह-तरह की चीजों की जरूरत होती है, जो वक्त पर अनुलब्ध होती हैं। उस समय खुद पर बड़ा गुस्सा आता है। उनको अपने घर में कामवाली बाई की आए दिन अटपटी डिमांड पर अक्सर खीझ आ जाती थी। वह सोचती थीं कि किचन और होम क्लीनिंग में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्टस पर पैसा तो खर्च होता ही है, जरूरत के समय इनकी उपलब्धता न होने पर काम भी पेंडिंग पड़ जाया करते थे।"
जरूरत से उपजा आइडिया
ऐसे में ही एक दिन उनका ध्यान घर में पड़े प्लास्टिक के सामानों पर गया। किसी तरह एक एक कर उन्होंने इससे तो अपने घर को मुक्त कर लिया, लेकिन रोजमर्रा की जरूरतें इतने भर से भला कहां पूरी होने वाली थीं। जब कामवाली ने एक दिन उनसे कहा कि उसकी फटी एड़ियों में बहुत दर्द होता है। अब तक की दवाओं से उसे कोई फायदा नहीं हुआ है तो उन्होंने उसे सुझाव दिया कि मेरी मां घर में सरसों का तेल और मोम मिलाकर फटी एडियों पर लगाती थी तो वह ठीक हो जाती थी। बाई ने वही नुस्खा इस्तेमाल किया और एड़ियों का दर्द ठीक होने लगा।
प्रीति बताती हैं कि
"उसके बाद उनके दिमाग में ये आइडिया आया कि क्यों न वह इस तरह के उपायों को ही अपना घरेलू बिजनस बना लें। उसके बाद उन्होंने इस पर अपनी मां से भी विमर्श-मशविरा किया तो कुछ और जानकारियां मिल गईं।"
माँ के नुस्खे आए काम
मां ने अलग-अलग तेल और क्रीम बनाने के घरेलू उपाय उन्हे बताए। अब तो वह अपने घर में ही डिटर्जेंट, हैंडवॉश, लिप बाम, फ्लोर क्लीनर्स, शैम्पू, कंडीशनर आदि की 30 से अधिक प्रॉडक्ट तैयार कर बेच रही हैं।
एक तो उनसे वह अपनी घरेलू जरूरत के सामानों के लिए बाजार पर डिपेंड नहीं हैं, दूसरे इससे उनको हर महीने 10-15 हज़ार की कमाई हो जा रही है, यानी अब घर-गृहस्थी चलाने के लिए वह आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुकी हैं।
प्रीति कहती हैं कि
"वह अपने घर में बेहतर कचरा प्रबंधन भी कर लेती हैं। वह सप्ताह में सिर्फ एक बार कचरा बाहर डालती हैं। खट्टे फलों को बायो-एंजाइम बनाने के लिए रख लेती हैं। गीले कचरे एक स्कूल के माली को दे देती हैं। नारियल ले जाकर खुद ही एक्सट्रैक्टर से तेल निकलवा लेती हैं।"