12 साल की उम्र में गाँव में वसूलते थे कर्ज़, आज SBI में मिली है लाखों करोड़ के कर्ज़ को वसूलने की ज़िम्मेदारी
शेट्टी बताते हैं कि वो बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में अपने आस-आस के गांवों में जाकर किसानों से कर्ज़ वसूली का काम करते थे।
दक्षिण भारत के एक छोटे से गाँव में 12 साल की उम्र में कभी चल्ला श्रीनिवासुलू शेट्टी किसानों से उधार में दिया हुआ पैसा इकट्ठा किया करते थे और आज उन्हे भारतीय स्टेट बैंक में मैनेजिंग डायरेक्टर का पदभार दिया गया है, जहां वे एसबीआई के फंसे हुए बड़े कर्ज़ को निकालने के लिए काम करेंगे।
शेट्टी बताते हैं कि वो बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में अपने आस-आस के गांवों में जाकर किसानों से कर्ज़ वसूली का काम करते थे, जो उन किसानों ने उनके पिता की किराने की दुकान से लिया होता था। फसल कटने के साथ ही वो और उनके भाई दोनों ही करीब 150 ऐसे लोगों की लिस्ट हाथ मे लेकर निकलते थे, जिनसे उधारी के पैसे इकट्ठे करने होते थे।
मीडिया से बात करते हुए शेट्टी ने बताया,
"मेरे भाई सरल स्वभाव के थे और शायद यही कारण था कि उनका कलेक्शन मुझसे कम रहता था।"
आज 42 साल बाद भी शेट्टी बैंक के बड़े कर्ज़दारों से पैसा वसूलने के लिए काम कर रहे हैं। शेट्टी आज भारतीय स्टेट बैंक के तीन मैनेजिंग डायरेक्टर्स में से एक हैं।
गौरतलब है कि एसबीआई देश की सबसे बड़ी कर्ज़दाता बैंक है और इस समय बैंक की 19.6 अरब डॉलर की राशि कर्ज़ के रूप में फंसी हुई है। दुनिया की कुछ सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में सबसे अधिक कर्ज़ अटका हुआ है, जबकि कोरोना वायरस महामारी के चलते बने हालातों को देखते हुए अभी यह आंकड़ा और ऊपर जा सकता है।
एनडीटीवी के अनुसार शेट्टी यह मानते हैं कि कर्ज़ को जितनी जल्दी रिकवर कर लिया जाए उतना ही बेहतर है। शेट्टी बीते 32 सालों से एबीआई में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। एसबीआई की बात करें जो देश में जारी कुल कर्ज़ का पांचवा हिस्सा एसबीआई ने ही जारी किया हुआ है।
आमतौर पर प्राइवेट बैंक दिये हुए कर्ज़ को वसूलने के लिए बाहर से मदद लेती हैं, लेकिन बजाय इसके शेट्टी ने बीते तीन महीनों में एसबीआई के कर्मचारियों को 1 लाख से अधिक ऋणधारकों से बात करने के लिए कहा है, इसके जरिये उन्हे ऋण वापसी से जुड़े नियम-कायदों से अवगत कराया गया है।
कोरोना वायरस परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान समय में किसी भी बैंक के लिए कर्ज़ वसूलना आसान नहीं है। शेट्टी कहते हैं कि उन्हे इस बात का अंदाजा नहीं था कि जो उन्होने बचपन में गाँव में रहते हुए सीखा है वो भविष्य में इस तरह काम आयेगा।
शेट्टी ने मीडिया को यह भी बताया कि किस तरह वो और उनके भाई किसानों के घरों के सामने जाकर खड़े हो जाते थे और अंततः वो किसान उनसे छुटकारा पाने के लिए कर्ज़ चुका देते थे।