जानिए कैसे राज्य में ओडिशा सरकार को कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर रहा है ये उद्यम
हम सभी जानते हैं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन है। भारतीय आबादी का 44 प्रतिशत अपनी प्राथमिक आय के लिए कृषि पर निर्भर है। वैसे तो कई राज्य कृषि में बड़ा योगदान देते हैं लेकिन पूर्वी तट पर स्थित, ओडिशा देश में कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग की एक्टिविटी रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा का टोटल वर्कफोर्स का लगभग 62 प्रतिशत खेती में लगा हुआ है। 2017-18 के अनुसार वे अपने भौगोलिक क्षेत्र के 40 प्रतिशत में खेती कर रहे हैं।
इसके अलावा, ओडिशा को जलवायु, वर्षा, मिट्टी और स्थलाकृति (topography) जैसे कई कारकों को ध्यान में रखने के बाद देश के शीर्ष 10 कृषि-जलवायु क्षेत्रों (top 10 agro-climatic zones) की सरकार की सूची में भी जगह मिली। इसका लाभ उठाने के लिए, राज्य सरकार ने कई सहायता प्रणालियाँ और कल्याणकारी योजनाएँ शुरू कीं जिनमें ऋण माफी से लेकर और तकनीकी सहायता के लिए बजट प्रदान करना शामिल है। कीटों के हमलों, फसल के नुकसान, और डेटा-संचालित निर्णयों की कमी के कारण कृषि विकास और किसान आय में 2010 के बाद से भारी कमी आने लगी।
2017 के अंत में इस क्षेत्र को आशा की एक किरण दिखी जब कृषि विभाग ने दो संगठनों - द बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (एक प्रसिद्ध फिलांथ्रोपिक फर्म) और दिल्ली स्थिति गवर्नेंस कंसल्टिंग फर्म 'समग्र' (Samagra) के साथ भागीदारी की। इन्होंने किसानों की दशा सुधारने के लिए एक पहल शुरू की। इस फर्म ने कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए एनालिटिक्स फॉर डिसीजन मेकिंग एंड एग्रीकल्चरल पुलिस ट्रांसफॉर्मेशन (ADAPT) के रूप में पहल शुरू की।
समग्र के संस्थापक और सीईओ गौरव गोयल कहते हैं, "हम अपने काम से ADAPT के जरिए लगभग 45 लाख किसानों की मदद कर रहे हैं। हम उन्हें ADAPT के जरिए कच्चे माल की सप्लाई चैन को सरल बनाने, अनुकूलित कीट सलाहकार सेवाएं प्रदान करने और बाजारों और आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी देने के लिए ओडिशा में कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।"
ADAPT के तहत उत्पादकता को बढ़ावा
ओडिशा में कृषि नीति बनाने और उन्हें लागू करने के लिए जो सबसे बड़ा गैप था वह था राज्य में जरूरी डेटा तक पहुंच की कमी। इसे हल करने के लिए, 'समग्र' एक व्यापक निर्णय समर्थन प्रणाली (Decision Support System-DSS) विकसित कर रहा है। इस प्रणाली के तहत, उन सभी डेटा प्वाइंट्स को एक ही मंच पर एक साथ लाया जा रहा है जो पहले अलग-अलग उपलब्ध थे। बीज गुणवत्ता, फसल के पैटर्न और जलवायु परिस्थितियों के बारे में आंकड़ों से युक्त डीएसएस सरकार को आसानी से उपलब्ध कराया जा रहा है।
समग्र के सह-संस्थापक अंकुर बंसल बताते हैं, “समय पर प्राप्त डेटा काफी वैल्युएबल हो सकता है। DSS डैशबोर्ड प्रशासनिक अधिकारियों को सरकारी योजनाओं की प्लानिंग, क्रियान्वयन और देखरेख के लिए आवश्यक सभी ऐतिहासिक संदर्भ प्रदान करने के लिए बनाया जा रहा है। केवल यही नहीं, ट्रैकिंग प्रोग्रेस और किसी खास स्कीम, मौसम, मिट्टी की विविधता या फसल के बारे में विवरण प्राप्त करना भी संभव हो गया है। यहां तक कि किसानों ने मौसमी विविधताओं, मिट्टी की जांच और इनपुट सामग्री का विश्लेषण करने के लिए कुछ डेटा सेट का उपयोग भी किया है।”
हम सभी जानते हैं कि कीटों, खरपतवारों और रोगजनकों (pathogens) की उपस्थिति के चलते कृषि उत्पादकता में कमी आ सकती है। ओडिशा में यही हुआ। किसानों की उत्पादकता में कमी फसलों में कीटों, खरपतवारों और रोगजनकों की उपस्थिति के कारण आई। 1.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले कुल 8,092 गाँवों में फसलों को नुकसान हुआ। इससे किसानों की आय में भारी गिरावट आई और उन्हें कर्ज लेने पर मजबूर होना पड़ा।
इसी दौरान, समग्र ने सरकार के साथ काम करना शुरू किया और कीट नियंत्रण के लिए एक कस्टमाइज्ड एडवाइजरी का गठन किया। चूंकि ओडिशा 314 प्रशासनिक खंडों में विभाजित है और प्रत्येक में मौसम की अलग-अलग स्थिति होती है, इसलिए अलग-अलग परामर्शदाता सेवाओं की आवश्यकता थी। समग्र ने पहले सभी ब्लॉकों के मौसम पूर्वानुमान का विश्लेषण किया। फिर, इसने प्रत्येक ब्लॉक में कीट नियंत्रण के लिए व्यक्तिगत तौर पर जानकारी देने के लिए एक प्रणाली की अवधारणा की। व्हाट्सएप किसान समुदाय के बीच सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्लेटफार्मों में से एक है। इसलिए फर्म ने व्हाट्सएप के माध्यम से सलाह देने का फैसला किया। इसके अलावा, कंटेंट को एसएमएस और आईवीआरएस के माध्यम से भी भेजा जाता है।
जब टकरावों को हल करने की बात आती है तो यहां किसानों के मुद्दों की चर्चा करना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। किसान सूचना और सलाहकार समिति (FIAC) की बैठकें काफी कारगर साबित हुई हैं। हालाँकि, राज्य भर के अधिकांश ब्लॉकों में बैठकें अप्रचलित हो गई थीं। अंकुर कहते हैं, “हमने बैठकों की नियमितता, डिसकस किए गए मामलों और कितने लोगों की भागीदारी है इसके आंकड़ों को देखकर शुरुआत की। जरूरत थी तो बस चीजों के लिए एक अधिक संगठित दृष्टिकोण की। हमने फिर कृषि सत्र के आधार पर प्रत्येक बैठक के लिए एक एजेंडा स्थापित किया इसमें बुवाई के समय से लेकर उर्वरक या फसल लगाना शामिल था। इस तरह, न केवल किसानों को होने वाली समस्याओं को ठीक किया गया, बल्कि इससे भविष्य में नीति निर्माण के लिए संकेत भी मिले।"
ओडिशा में हाल ही में 'आजीविका और आय संवर्धन के लिए कृषक सहायता' (Krushak Assistance for Livelihood and Income Augmentation- KALIA) स्कीम शुरू की। इससे राज्य के लगभग 92% किसानों को लाभ होगा। यह योजना छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को बीमा सहायता के साथ-साथ वित्तीय, आजीविका, खेती सहायता प्रदान करेगी। सरकार द्वारा इसे ऋण माफी के विकल्प के रूप में समग्र की मदद से पेश किया गया। हालांकि बाद में पता चला कि इससे किसानों को केवल अस्थायी राहत मिली। आइडिया एक ऐसा पैकेज तैयार करने के लिए था जो वित्तीय, आजीविका, बीमा और खेती के क्षेत्रों में सहायता प्रदान करके मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों को पूरा कर सके। समग्र ने इन लाभार्थियों की पहचान करने के लिए एल्गोरिदम की एक सीरीज भी बनाई। पांच सत्रों में प्रति किसान परिवार को कुल 25,000 रुपये कालिया के तहत आवंटित किया गया है।
बड़े पैमाने पर प्रभाव
2017 में नवीनीकृत योजनाओं के शुभारंभ के बाद कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया। कीटों के हमलों में कमी और फसलों की उत्पादकता में वृद्धि के कारण किसानों की आजीविका में भी बड़ा बदलाव देखा गया। अंकुर कहते हैं, “हमने अपनी समीक्षा पोस्ट में पाया कि कीटों के हमलों में 90 प्रतिशत की कमी अनुकूलित कीट सलाहकार सेवा के कार्यान्वयन के चलते आई है। जिन गाँवों में कीट फसलों का विनाश कर रहे थे उनकी संख्या अब 1,567 पर आ गई। नियमित और समय पर FIAC की बैठकों के परिणामस्वरूप किसानों को सहयोग और चर्चा के माध्यम से चुनौतियों से पार पाने में मदद मिली। चूंकि DSS ने पूरे समय और सटीक डेटा के प्रावधान को सुनिश्चित किया, इसलिए नीति निर्धारण और आवधिक समीक्षा काफी आसान हो गई है।” कालिया योजना का प्रभाव अभी तक पहुँचा नहीं है, लेकिन भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है।
कृषि विभाग और किसान सशक्तिकरण, ओडिशा के प्रमुख सचिव डॉ. सौरभ गर्ग कहते हैं, “समाग्रा के हस्तक्षेप से हमें राज्य में कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए प्रभावी योजनाओं को डिजाइन और कार्यान्वित करने में मदद मिली। उन्होंने डेटा का विश्लेषण करने के लिए कुछ बेहतरीन उपकरण विकसित किए, जिनकी वजह से हम विभिन्न क्षेत्रों में सुधारात्मक कार्रवाई करने में सक्षम रहे। उनकी सहायता ने योजनाओं की परफॉर्मेंस और और प्रभाव की निगरानी में एक बड़ी भूमिका निभाई। यहां की राज्य मशीनरी अपने सिस्टम में तकनीक को शामिल करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं है। इसलिए, समग्र के प्रयास हमारे लिए अपने कार्यों को बढ़ाने के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो गए।”
कार्य प्रवाह
समग्र एक गवर्नेंस कंसल्टेंसी फर्म है, जो प्रभावी गवर्नेंस लाने के लिए भारत भर में विभिन्न राज्य सरकारों के राजनीतिक और नौकरशाही नेतृत्व के साथ काम करती है। गौरव योरस्टोरी को बताते हैं, “हमारा मॉडल इस अर्थ में आत्मनिर्भर है कि जैसे ही सरकार हमसे अनुरोध प्रस्ताव के साथ संपर्क करती है, हम तुरंत उनकी जरूरत के साथ-साथ आवश्यक हस्तक्षेप का पता लगाने के लिए डट जाते हैं। एक बार जब हम प्रस्ताव को स्वीकार करने का निर्णय लेते हैं, तो हम डोमेन में गहन शोध करते हैं और फील्ड विजिट करते हैं। फिर, एक रोड मैप टाइम लाइन के साथ तैयार किया जाता है।”
सुधारों को लागू करने के लिए, समग्र संबंधित मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) या प्रधान सचिव कार्यालय के साथ दो साल की औसत समय सीमा के लिए काम करने के लिए एक टीम प्रदान करता है। टीम राज्य को जमीनी स्तर पर चीजों को लागू करने में भी सहायात करती है। एक बार जब पॉलिसी या योजना को सफलतापूर्वक लागू कर दिया जाता है और उचित समय के लिए उसकी निगरानी हो जाती है, तो समग्र प्रोजेक्ट से बाहर हो जाता है। सरकार प्राइवेट फंडिंग की व्यवस्था करके उसकी सेवाओं के लिए फर्म को भुगतान करती है।
समग्र ने कैसे जमाए अपने पैर
समग्र को 2012 में गौरव गोयल ने स्थापित किया था। इससे पहले गौरव गोयल मैकिन्से के साथ काम कर रहे थे लेकिन समग्र को शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
वह कहते हैं, “इस्तीफा देने के तुरंत बाद मैं यह जानने के लिए छह महीने के लिए भारत भर में घूमा कि सरकारी विभाग जमीन पर कैसे काम करते हैं - जिला, तहसील, ब्लॉक से मंडल स्तर तक। यह समझने के बाद कि शासन के पहिए जमीनी स्तर पर कैसे चलते हैं, मैंने समग्र शुरू करने का फैसला किया। मैंने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के विभिन्न पहलुओं पर संसद सदस्यों (सांसदों) के साथ काम करना शुरू किया। लेकिन, बाद में, मुझे एहसास हुआ कि हम विभिन्न राज्य सरकारों के साथ काम करके एक बड़ा असर डाल सकते हैं।”
आज, संगठन में 45 कर्मचारी हैं और पहले से ही हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसी कई राज्य सरकारों के शिक्षा और कृषि के क्षेत्रों में कार्यक्रमों को डिजाइन और निष्पादित करने के लिए साथ काम कर चुके हैं। यह उद्यम अगले कुछ वर्षों में भारत के कम से कम 20 प्रतिशत नागरिकों को अपने काम के माध्यम से प्रभावित करने का लक्ष्य बना रहा है।