31 अगस्त से हटेगा एयरफेयर कैप, कंपनियां मर्जी से तय करेंगी कीमत, हवाई टिकट महंगी होंगी या सस्ती?
तमाम एयरलाइन कंपनियां 1 सितंबर से अपनी मर्जी से किराया तय कर सकेंगी. सवाल ये है कि ये छूट मिलने के बाद टिकट के दाम बढ़ेंगे या प्राइस वॉर छिड़ेगा?
मोदी सरकार ने कोरोना काल में हवाई किराए की न्यूनतम और अधिकतम सीमा तय की थी. करीब 27 महीनों के बाद इसी 31 अगस्त को यह पाबंदी हटाए जाने का फैसला किया गया है. यानी 1 सितंबर से तमाम एयरलाइन कंपनियां अपनी मर्जी से किराया तय कर सकेंगी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इससे हवाई यात्रा का टिकट सस्ता होगा या फिर दाम बढ़ सकते हैं? इंडस्ट्री के कुछ जानकार मानते हैं कि इससे हवाई टिकट महंगे हो सकते हैं, जबकि कई ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं जो दिखाते हैं कि प्राइस वॉर छिड़ सकता है, जिससे हवाई यात्रा आने वाले दिनों में सस्ती हो सकती है.
पहले जानिए क्या फैसला था सरकार का
कोरोना महामारी के दौरान दो महीने के लॉकडाउन में सभी उड़ानें बंद रही थीं. जब 25 मई 2020 को उड़ानें दोबारा शुरू की गईं तो सरकार ने किराए की न्यूनतम और उच्चतम सीमा तय करते हुए उस पर एक कैप लगा दिया था. इस किराए के तहत 40 मिनट से कम की घरेलू उड़ान के लिए 2900 रुपये+जीएसटी से कम और 8800 रुपये+जीएसटी से अधिक पैसे नहीं लिए जा सकते थे. उस दौरान इंडिगो और विस्तारा ने इसका विरोध किया था, जबकि स्पाइसजेट और गो फर्स्ट ने इसका समर्थन किया था.
क्या कहना है सरकार का?
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने बुधवार को एक आदेश में कहा कि हवाई किराए पर लगी सीमा को 31 अगस्त 2022 से खत्म करने का फैसला किया गया है. वहीं सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक ट्वीट में कहा कि हवाई किराए की सीमा को हटाने का फैसला रोजाना की मांग और एटीएफ की कीमतों को देखते हुए लिया गया है.
हवाई यात्रा महंगे होने के कौन से हैं संकेत?
जैसा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्वीट में कहा है कि हवाई किराए पर लगाए गए कैप को खत्म करने की एक वजह एटीएफ की कीमतें भी हैं. मौजूदा वक्त में दिल्ली में एटीएफ की कीमत 1,21,915.57 रुपये प्रति किलो लीटर है. कोरोना काल में मई (2020) महीने की शुरुआत में एटीएफ का दाम करीब 22,544.75 रुपये प्रति किलो लीटर था. यानी तब से लेकर अब तक एटीएफ की कीमत करीब 440 फीसदी बढ़ चुकी है, जबकि किराए पर लगी कैप तब से अब तक जारी रही है. ऐसे में अब इसे हटाया गया है तो उम्मीद की जा रही है कि किराया बढ़ सकता है.
क्यों सस्ते हो सकते हैं एयरलाइन्स के टिकट?
इन दिनों हवाई यात्रा करने वालों की संख्या काफी कम है. मांग कम होने के चलते एयरलाइन्स कंपनियां टिकट सस्ते रख रही हैं, ताकि यात्री आते रहें और कंपनी का रेवेन्यू अचानक से ना गिर जाए. वहीं इसी बीच में राकेश झुनझुनवाला की अकासा एयर ने भी बाजार में एंट्री मारी है, जो बेहद सस्ती और किफायती है. ऐसे में दूसरी कंपनियां भी किराया बढ़ाने से हिचक रही हैं, क्योंकि इससे उनके रेवेन्यू को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसे में अगर किसी वजह से किसी एयरलाइन कंपनी के पास ग्राहकों की संख्या बेहद कम हो जाती है तो वह किसी तरह की सेल भी ला सकता है. ऐसी सेल में किराया बेहद कम रहता है. जब भी एक कंपनी किराए में कटौती करती है तो दूसरी कंपनियां भी उसे फॉलो करने लगती हैं, क्योंकि इससे उनका रेवेन्यू गिरता है. ऐसे में यह भी आशंका जताई जा रही है कि किराए पर लगा कैप हटने से प्राइस वॉर भी शुरू हो सकता है.