एयरलाइन कंपनियों की हालत हुई बेहद पतली, सामने दिख रहा है सबसे बुरा दौर
इस समय दुनिया भर में 16 हज़ार से अधिक यात्री प्लेन जमीन पर हैं। इस तरह के मुश्किल हालात 26 सालों बाद सामने आए हैं।
कोरोना वायरस के चलते बने हालातों से एविएशन इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस समय आसमान में एक भी पैसेंजर प्लेन उड़ान नहीं भर रहा है। प्लेन सिर्फ आपातकालीन स्थिति या राहत सामग्री इधर-उधर ले जाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दुनिया भर में प्लेन तमाम एयरपोर्ट पर इस समय खड़े हुए हैं।
आंकड़ों के अनुसार इस समय दुनिया भर में 16 हज़ार से अधिक यात्री प्लेन जमीन पर हैं। कोरोना वायरस ने सभी एयरलाइन को आर्थिक रूप से बड़ा झटका दिया है। इसी के साथ इस समय इतनी बड़ी संख्या में हवाई जहाजों को एक साथ सुरक्षित रखना भी चुनौती बन गया है।
गौरतलब है कि हालात सामान्य होने पर हवाई जहाज फौरन उड़ान के लिए तैयार नहीं हो जाएंगे, बल्कि उस दौरान उनके मेंटेनेंस पर भी काम करना पड़ता है। लंबे समय तक जमीन पर खड़े प्लेन के लिए सामान्य आद्रता एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है, वहीं पार्किंग में खड़े हवाई जहाजों में ईंधन भी भरा रहता है, जिससे वे हमेशा ल्यूब्रीकेट बने रहते हैं।
बीते 26 सालों में यह पहली बार हुआ है जब पैसेंजर जेट सेवाएँ इस तरह से बाधित हुई हैं। इस दौरान इस इंडस्ट्री को एक तिहाई ट्रिलियन डॉलर के राजस्व का झटका लग सकता है, साथ ही 2.5 करोड़ नौकरियों पर भी खतरे की तलवार लटक रही है।
जमीन पर खड़े हवाई जहाज इस समय इन कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से बड़ा झटका दे रहे हैं। भारत में किसी बाड़े एयरक्राफ्ट को एक एयरपोर्ट पर खड़ा रखने में औसत 1 हज़ार डॉलर का किराया लगता है।
हालांकि कई कंपनियाँ इस समय अपने एयरक्राफ्ट की लगातार मरम्मत का काम कर रही हैं, इसी के साथ उनके कंट्रोल्स और सेंसर्स को भी जांच-परख रही हैं।
दुनिया में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके चलते अभी स्थिति पूरी तरह सामान्य होने में काफी वक्त लग सकता है। दुनिया में कोरोना वायरस के कुल 22 लाख 80 हज़ार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जबकि डेढ़ लाख से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आकर अपनी जानें गंवा चुके हैं।