विश्व की चौथी सबसे अमीर कंपनी के मालिक हो सकते हैं ओडिशा के अजित जैन
कटक (ओडिशा) में जनमे और कभी सेल्समैन की नौकरी कर चुके अजित जैन दुनिया के चौथे सबसे अमीर और अमेरिकी कंपनी 'बर्कशायर हैथवे' के मालिक वॉरेन बफे के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। इस समय बफे की रियल टाइम नेटवर्थ करीब 90 अरब डॉलर है। अजित जैन खुद भी 14 हजार करोड़ रुपए के मालिक हैं।
कटक (ओडिशा) में जनमे और कभी सेल्समैन की नौकरी करते रहे अजित जैन इस समय दो अरब डॉलर (14 हजार करोड़ रुपये) के मालिक हैं। वर्ष 1972 में आईआईटी खड़गपुर से निकले अजित जैन अब तक बर्कशायर के निवेशकों के लिए सैकड़ों करोड़ की वैल्यू बढ़ा चुके हैं। शुरुआती दिनों में उन्होंने भारत में 1973 से 1976 तक डाटा प्रोसेसिंग ऑपरेशन के लिए इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्पोरेशन (आईबीएम) में सेल्समैन की नौकरी की लेकिन 1976 में भारत में आईबीएम का ये प्रोजेक्ट बंद कर दिए जाने के साथ ही उनकी नौकरी भी चली गई। इसके बाद उन्होंने यूएस के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से 1978 में एमबीए किया और मैकिन्जी एंड कंपनी से जुड़ गए।
वर्ष 1980 में भारत लौटकर उन्होंने टिंकू जैन से अपनी शादी रचा ली। वह दोबारा अमेरिका नहीं जाना चाहते थे लेकिन पत्नी की इच्छाओं का सम्मान करते हुए वह एक बार फिर अमेरिका जाकर मैकिन्जी से दोबारा जुड़ गए। कुछ समय बाद उन्होंने मैकिन्जी को छोड़ दिया। कभी मैकिन्जी में उनके सीनियर रहे गोल्डबर्ग उस समय 'बर्कशायर हैथवे' कंपनी में थे। उन्होंने अजित जैन को अपने पास बुला लिया। उसके बाद शुरू हुई अजित जैन की जिंदगी की सबसे ऊंची उड़ान, जब दुनिया के चौथे बड़े अमीर और 'बर्कशायर हैथवे' के मालिक वॉरेन बफे से उनकी निकटता गहराने लगी। यह भी गौरतलब है कि हाल ही में बर्कशायर हैथवे ने अमेजन कंपनी के शेयर्स खरीदने के अलावा एप्पल में भी अपना अच्छा-खासा पैसा लगा रखा है।
बर्कशायर हैथवे के चीफ वॉरेन बफे को लंबे समय से अपने उत्तराधिकारी की तलाश रही है। वह कई चैरिटी में शामिल रहीं अपनी संतानों सुसान, हॉवर्ड और पीटर को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाना चाहते हैं। बफे ने पिछले साल अजित जैन को अपनी कंपनी बर्कशायर हैथवे का निदेशक बना दिया था। अब पिछले दिनों वॉरेन बफे ने अपनी कंपनी के सालाना शेयरहोल्डर्स की मीटिंग में संकेत कर दिया कि भविष्य में बर्कशायर हैथवे की कमान अजित जैन के हाथों में जा सकती है।
यद्यपि अपने उत्तराधिकारी के रूप में दो नाम ग्रेग एबल और अजित जैन लेकर अभी कंफ्यूजन बनाए रखा है। इन दोनो ही शख्सियतों को पिछले साल कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स शामिल कर लिया गया था। जानकारों का कहना है कि ज्यादा संभावना जैन के ही उत्तराधिकारी बनने की है। बफे इस संबंध में साफ खुलासा करने के मीडिया के सवालों को भी साफ-साफ टाल गए। ग्रेग एबल की अपेक्षा बफे अजित जैन पर ज्यादा यकीन करते हैं। वह अजित जैन के मुरीद भी हैं। वह पहले कई मौकों पर उनकी खुली तारीफ कर चुके हैं।
कभी बहुत पहले बफे अपनी एक चिट्ठी में बता चुके हैं कि '1986 के एक शनिवार को जब अजित ने ऑफिस ज्वाइन किया था तो उन्हें इन्श्योरेंस सेक्टर का बिल्कुल अनुभव नहीं था। तब से अब तक अजित बर्कशायर के निवेशकों के लिए सैकड़ों करोड़ की वैल्यू बढ़ा चुके हैं।' इससे पहले साल 2014 में शेयरहोल्डर्स को लिखी चिट्ठी में बफे ने लिखा था कि 'उन्होंने जैन की बिजनेस स्किल पर चर्चा करते हुए कुछ समय बिताया।'
इससे पहले 2008 में बफे ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि 'जब जैन हमारे साथ जुड़े, कुछ समय बाद ही मुझे महसूस हुआ कि हमें एक असाधारण प्रतिभा मिल चुकी है। इसलिए, मैंने स्वाभाविक रूप से भारत में उनके माता-पिता को लिख कर पूछा कि उनके घर में उस जैसा और भी कोई हो तो उसे भेजें। हालांकि लिखने से पहले ही मुझे जवाब पता था। अजित जैसा दूसरा कोई नहीं।' अजित जैन की एक पहचान यह भी है कि वह अंशु जैन का चचेरे भाई हैं। अंशु जैन डचेस बैंक के को-सीईओ रहे हैं।