बांसुरी वादन में पीजी करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं अल्का, अब करेंगी बांसुरी वादन में पीएचडी
बांसुरी की धुन सुनते ही कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाता है और अब इसी हुनर के साथ आगे बढ़ते अल्का ठाकुर अब एक नया कीर्तिमान रच रही हैं। अल्का ठाकुर देश की ऐसी पहली महिला बांसुरी वादक बन गई हैं जिन्होने बांसुरी वादन में अपनी परास्नातक डिग्री पूरी कर ली है।
अल्का ने बांसुरी वादन में अपनी परास्नातक डिग्री भतखंडे संगीत विद्यालय से पूरी की है। इतना ही नहीं, बांसुरी वादन में अपना कोर्स पूरा करने के बाद साल 2016 के बाद से अल्का 27 मेडल भी जीत चुकी हैं।
6 साल की उम्र से बजा रही हैं बांसुरी
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संगीत को लेकर महिलाओं के लिए बात करते हुए अल्का कहती हैं कि इस तरह के वाद्य यत्रों को बजाने वाली महिलाओं की संख्या बेहद कम है ऐसे में वे चाहती हैं कि अधिक से अधिक संख्या में लड़कियां आगे आकर बांसुरी जैसे वाद्य यंत्रों के जरिये अपना करियर बनाएँ।
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में पली-बढ़ीं अल्का ने बांसुरी बजाने की शुरुआत तब कर दी थी जब वे महज 6 साल की थीं। मीडिया से बात करते हुए अल्का ने बताया है कि बांसुरी वादन की शुरुआत करने के लिए उनके पिता ने ही उन्हें प्रेरित किया था हालांकि इसी के साथ उनके पिता ने बांसुरी वादन को करियर बनाने के लिए मना भी किया था।
कुछ समय बाद ही बांसुरी वादन को लेकार अल्का की रुचि और उनके कौशल को देखते हुए उनके पिता ने भी अपना निर्णय बदल लिया और इसके बाद ही अल्का ने बांसुरी वादन को ही अपना करियर बनाने का पक्का फैसला कर लिया था। अब अल्का ठाकुर के अनुसार वे अपने जीवन को बांसुरी वादन को ही समर्पित कर चुकी हैं।
करेंगी बांसुरी वादन में पीएचडी
यूं तो भारत में पुरुषों की तुलना में महिला बांसुरी वादक बेहद कम ही हैं, हालांकि अब अल्का ठाकुर बांसुरी वादन में पीएचडी करने की चाह रखते हुए आगे बढ़ रही हैं। मीडिया से बात करते हुए अल्का ने यह भी बताया है कि बांसुरी वादन को लेकर उनके रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया उनके मनोबल को कमजोर करने वाली थी लेकिन उन्होने अपने इरादों को शुरुआत से ही मजबूत कर रखा था।
अल्का बताती हैं कि उनके परिचितों में अधिकतर लोग डॉक्टर या इंजीनियर हैं, ऐसे में लोग उनसे सवाल करते थे कि वे बांसुरी वादन को करियर बनाकर कैसे जीवनयापन कर पाएँगी। हालांकि जब मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये उन्हीं रिशतेदारों को यह पता चला कि अल्का बांसुरी वादन में पीजी पूरी करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं तब से उन रिशतेदारों की राय में भी बदलाव आने लगा है।
लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं अपनी कला
अब अल्का ठाकुर अधिक से अधिक लोगों तक अपनी इस कला को पहुंचाना चाहती हैं। फिलहाल अल्का ठाकुर तमाम संगीतकारों के साथ मिलकर भी परफॉर्म कर रही हैं। संगीत को लेकर महिलाओं के लिए बात करते हुए अल्का कहती हैं कि इस तरह के वाद्य यत्रों को बजाने वाली महिलाओं की संख्या बेहद कम है ऐसे में वे चाहती हैं कि अधिक से अधिक संख्या में लड़कियां आगे आकर बांसुरी जैसे वाद्य यंत्रों के जरिये अपना करियर बनाएँ।
अपने संगीत के बारे में बात करते हुए अल्का का मानना है कि जब वे बांसुरी वादन करती हैं तो लोग इस मधुर संगीत को सुनकर खुद को ईश्वर से जुड़ा हुआ पाते हैं और ये उनके लिए लोगों द्वारा की गई सबसे बड़ी तारीफ है।
Edited by Ranjana Tripathi