ऑनलाइन शॉपिंग पर आपको ‘असली पैसे’ देता है इलाहाबाद का यह स्टार्टअप
इलाहाबाद के 25 वर्षीय भानु प्रताप सिंह और 27 वर्षीय हर्षित सिंह ने महसूस किया कि यूजर्स के लिए केवल कॉइन या रिवार्ड देना अनुचित था और यही वजह थी कि इस कैशबैक स्टार्टअप का शुभारंभ हुआ। स्टार्टअप का उद्देश्य नकद वापस देना है जिसे यूजर के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है।
सह-संस्थापक और सीईओ भानु प्रताप सिंह का कहना है कि कैशक्राई का उद्देश्य भारत के विशाल रिटेल क्षेत्र को एक डिजिटल दायरे में व्यवस्थित करना है जहां ग्राहक अपनी इच्छा से कोई भी उत्पाद या सेवा पा सकते हैं, साथ ही उनकी सभी खरीद पर अतिरिक्त छूट और कैशबैक प्राप्त कर सकते हैं।
वे कहते हैं, "इसके अलावा हम हमेशा कीमत के प्रति जागरूक भारतीय उपभोक्ता को बेस्ट डील्स प्रदान करना चाहते हैं, जिसकी तलाश ऑनलाइन खरीदार हमेशा करते हैं।"
कैशक्राई इस थीसिस पर बनाया गया है कि एक खरीदार के लिए प्रमुख निर्णायक कारक छूट, डील्स, क्वालिटी और विकल्प हैं और यह तेजी से बढ़ते ऑनलाइन शॉपिंग उद्योग के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है।
शुरुआत
स्टार्टअप को 2019 में मूल कंपनी ब्रॉडबाय टेक्नोवेटिव सॉल्यूशंस के तहत लॉन्च किया गया था, जिसका अंतिम उत्पाद इस साल अप्रैल में ही लाइव हुआ है।
भानु कहते हैं, “हम पुनरावृत्ति कर रहे थे और महामारी ने चुनौतियों का भी सामना किया,” उन्होंने कहा कि कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही उन्होने उद्यमशीलता की दिशा में आगे बढ़ने का ठान लिया था।
2018 में भानु ने महसूस किया कि अधिक से अधिक लोग ऑनलाइन चीजें खरीद रहे थे और नकद लाभ प्राप्त करने के लिए "लगातार बेस्ट डील्स, सस्ते विकल्पों और रेफरल कोड की तलाश कर रहे थे"। भानु ऑनलाइन खरीदारी के विकास के बारे में आश्वस्त थे और इसने उन्हे एक ऐसा मंच बनाने के लिए प्रेरित किया जो ऑनलाइन खरीदारी को आसान बना सके और उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त करने में मदद कर सके।
कैशक्राई को एक किकस्टार्ट तब मिली जब भानु ने संस्थान के अध्यक्ष इंद्रसेन सिंह से मुलाकात की, जहां वह एक फाइनेंस कोर्स की तैयारी कर रहे थे, जो बाद में कैशक्राई के शुरुआती निवेशक और संरक्षक बन गए। उनके बेटे हर्षित भी सह-संस्थापक के रूप में इसमें शामिल हुए। इस आइडिया तीन महीने के लिए आईआईएम काशीपुर से भी समर्थन मिला। दोस्तों और परिवार से 5 लाख रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ हर्षित और भानु ने औपचारिक रूप से 2019 के मध्य में कैशक्राई लॉन्च किया।
अपने शुरुआती दिनों में प्लेटफ़ॉर्म केवल कैशबैक पर केंद्रित था, जो कंपनी को ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म से मिलने वाले रेफरल शुल्क से प्रदान किया जाता था। लेकिन जल्द ही दोनों ने कीमतों की तुलना, ऑफलाइन रिटेलर्स, गिफ्ट कार्ड आदि जैसी और अधिक सुविधाएं और टूल प्लेटफॉर्म के साथ जोड़े, ताकि इसे "अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट, अजियो, फैब इंडिया, मामाअर्थ और इसी तरह की साइटों से ऑनलाइन खरीदारी के लिए केंद्रीय स्थान" बनाया जा सके।
अब कैशक्राई के बाटा, जावेद हबीब, और अन्य जैसे 150 से अधिक ऑफलाइन रिटेलर पार्टनर हैं जैसे जहां ग्राहकों को रियायती सौदे मिलते हैं।
यह कैसे काम करता है? कैशक्राई ऐप खोलें और अपनी पसंदीदा साइट फ्लिपकार्ट, अमेज़ॅन, आदि पर जाएं और हमेशा की तरह खरीदारी करें। कैशक्राई को इन वेबसाइटों से एक रेफरल शुल्क का भुगतान किया जाता है और यह इस राशि को कैशबैक के रूप में यूजर्स को देता है।
इस बीच हर्षित ने अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने का निर्णय किया और उन्होंने एमबीए की पढ़ाई की और नौकरी कर ली। भानु अब इस उद्यम पर फुल-टाइम काम कर रहे हैं। सह-संस्थापकों ने छोटे शहर में उद्यमशीलता ईको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए अपने गृह नगर इलाहाबाद को अपने मुख्यालय के रूप में चुना।
बिजनेस मॉडल
कैशक्राई एफिलिएट मार्केटिंग से कमाई करता है। यह यूजर्स को कैशबैक के रूप में जो राशि देता है, वह उस रेफरल शुल्क का एक प्रतिशत है जो स्टार्टअप अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म से कमाता है। भानु का कहना है कि कंपनी उस राशि का 90 प्रतिशत खरीदार को ट्रांसफर करती है और शेष राशि को व्यवसाय संचालन में निवेश करने के लिए रखती है।
कैशक्राई का दावा है कि उसने 3 करोड़ रुपये से अधिक का कुल सकल व्यापारिक मूल्य (GMV) पूरा कर लिया है, जिसमें कुल ट्रैंजैक्शन18,000 है। संस्थापकों का दावा है कि पूरे भारत में ऐप को 12,000 से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।
भानु कहते हैं, 'हमने अब तक लगभग 8 लाख रुपये कैशबैक के रूप में दिए हैं।'
कैशक्राई ने अब तक 12 लाख रुपये का राजस्व दर्ज किया है और अगले साल तक इस आंकड़े को कई गुना बढ़ाने का लक्ष्य है।
बाजार और प्रतियोगिता
मोबाइल मार्केटिंग एसोसिएशन (एमएमए) इंडिया और मीडिया एजेंसी ग्रुपएम इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक 50 करोड़ भारतीय ऑनलाइन खरीदारी करेंगे, क्योंकि इंटरनेट देश की आबादी के एक बड़े हिस्से तक पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2025 तक मौजूदा 622 मिलियन से बढ़कर 900 मिलियन हो जाएगी। सस्ती डेटा कीमतों के साथ, उपभोक्ता तेजी से अधिक डिजिटल हो रहे हैं, और ऑनलाइन रिटेल बाजार अगले चार से पांच वर्षों में तीन गुना विस्तार करने के लिए तैयार है।
भानु का कहना है कि कैशक्राई इस बाजार को लेकर आशावान है और "अवसर इससे कहीं बड़ा है"। कैशक्राई का मुकाबला कैशकरो, कूपनदुनिया, नियरबाय और पैसावापस जैसे खिलाड़ियों से है। बेंगलुरु स्थित कैशबैक और रिवॉर्ड स्टार्टअप हैप्पी क्रेडिट, जो एक ऐप-आधारित कैशबैक सिस्टम चलाता है, यह यूजर्स को 50 से अधिक मर्चेंट प्लेटफॉर्म पर उनकी ईकॉमर्स खरीदारी पर रिवार्ड देता है।
भानु कहते हैं, “हम सभी प्रमुख वेबसाइटों पर केवल लागत तुलना प्रदान नहीं करते हैं; यदि आप खरीदारी के लिए हमारा मंच चुनते हैं तो हम अतिरिक्त कैशबैक, कूपन और गिफ्ट कार्ड भी प्रदान करते हैं। सभी कैशबैक और छूट आपके खाते में जोड़े जाते हैं और आसानी से आपके बैंक खाते में स्वाइप के साथ ट्रांसफर किए जा सकते हैं।”
फंडिंग और भविष्य की योजनाएं
कैशक्राई को अब तक यूपी सरकार के स्टार्टअप इनक्यूबेशन प्रोग्राम और दोस्तों और परिवार से लगभग 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिली है। स्टार्टअप अब सभी क्षेत्रों में ऑफलाइन और ऑनलाइन सेगमेंट में गहराई से प्रवेश करना चाहता है और इसका लक्ष्य अपनी विस्तार योजनाओं का समर्थन करने के लिए 2 करोड़ रुपये फंडिंग जुटाना है।
भानु को लगता है कि भारत में लगातार बढ़ते ई-कॉमर्स उद्योग के साथ कैशबैक-केंद्रित स्टार्टअप्स के लिए विशेषकर अगले अरब यूजर्स के ऑनलाइन शॉपिंग ब्रिगेड में शामिल होने के साथ विशाल अवसर है।
Edited by Ranjana Tripathi