कोविड-19 से निपटने में अमेरिका भारत की हर संभव मदद कर रहा है : लॉयड ऑस्टिन
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि अमेरिका कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत के स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
वाशिंगटन: अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि अमेरिका कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत के स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका पिछले कुछ दिनों में भारत को जरूरी चिकित्सकीय सामग्री की आपूर्ति कर चुका है।
ऑस्टिन ने अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में संवाददाता सम्मेलन में कहा,
‘‘मित्र देश भारत जिस संकट से गुजर रहा है, मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हमलोग भारत के अग्रिम मोर्चा के कर्मियों को तत्काल हर संभव मदद कर रहे हैं। अमेरिकी वायु सेना के तीन सी-5 एम सुपर गैलेक्सी विमान और एक सी-17 ग्लोबमास्टर 3 से कई टन आवश्यक चिकित्सकीय सामग्री पहुंचायी गयी है।’’
इससे पहले नीतिगत मामलों के लिए विदेश उपमंत्री डॉ कोलिन एच कहल ने भारत के रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार से बात की। पेंटागन के प्रेस सचिव जमाल ब्राउन ने दोनों अधिकारियों के बीच फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा दिया। इसके अनुसार बातचीत के दौरान कहल ने कुमार को भरोसा दिया कि अमेरिकी रक्षा विभाग जरूरत की इस घड़ी में भारत के साथ लगातार खड़ा रहेगा।
डॉ कहल और डॉ कुमार ने भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि संकट के इस समय में दोनों देशों के बीच संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने महामारी से निपटने के लिए वैश्विक कार्य बल की पहली बैठक में हिस्सा लेने के बाद कहा कि अमेरिकी सरकार भारत का सहयोग कर रही है और अमेरिका के लोग भारत की मदद के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा,
‘‘हमारे लोग, कारोबारी संगठन और हमारी पूरी सरकार कोविड-19 के खिलाफ भारत के लोगों की मदद के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और दुनिया भर में मदद के अपने प्रयासों को हम जारी रखेंगे।’’
कार्यबल में 45 से अधिक शीर्ष अमेरिकी कंपनियों और उनके सीईओ शामिल हैं। यूएस चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस राउंडटेबल ने यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम के साथ मिलकर यह कार्य बल बनाया है।
यूएसएड अब छह विमानों से भारत को जरूरी चिकित्सकीय सामग्री भेज चुका है। राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने भारत को 10 करोड़ डॉलर मूल्य की सहायता सामग्री भेजने की घोषणा की है। आपात राहत सामग्री में गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए 20,00 रेमडेसिविर (125,000 शीशियां), 1500 ऑक्सीजन सिलेंडर जिन्हें स्थानीय आपूर्ति केंद्रों पर भरा जा सकता है और कोविड-19 के मामलों की जांच के लिए 10 लाख रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट, करीब 550 ऑक्सीजन सांद्रक शामिल है।
यूएसएड ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने 10 करोड़ डॉलर मूल्य की राहत सामग्री भेजने का लक्ष्य रखा है। इस प्रयास में रक्षा विभाग, विदेश विभाग, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग, कैलिफोर्निया राज्य की साझेदारी के साथ ट्राविस वायुसेना अड्डा, नेशनल एयरलाइंस और यूनाइटेड एयरलाइंस शामिल हैं।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भारत-अमेरिका संबंधों पर विशेषज्ञ एवं पॉल हास्टिंग्स एलएलपी में अंतरराष्ट्रीय जांच मामलों के वकील रौनक डी देसाई ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित भारत में पिछले कुछ दिनों में अमेरिका द्वारा की गयी मदद देश के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बाइडन प्रशासन और अमेरिकी कांग्रेस ने द्विपक्षीय संबंध को बनाये रखने और उसे मजबूती देने के लिए अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी है।’’
इस बीच वरमोंट के गवर्नर फिल स्कॉट ने भी भारत को मदद की पेशकश की है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू के साथ बृहस्पतिवार को डिजिटल बैठक के दौरान स्कॉट ने भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी से जूझ रहे भारत के प्रति मैं संवेदना प्रकट करता हूं। हालांकि वरमोंट बहुत छोटा है लेकिन फिर भी हमलोग हर संभव मदद के लिए तैयार हैं।’’ इसके बाद संधू ने भी ट्वीट कर बैठक की जानकारी दी। संधू ने साउथ डकोटा की गवर्नर क्रिस्टी नोएम से बातचीत की थी।
शीर्ष भारतवंशी और डेलोइट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा है कि कंपनी दुनिया भर में अपने तीन लाख कर्मचारियों को ‘गिव इंडिया’, ‘यूनाइटेड वे इंडिया’ और ‘पीएम केयर्स फंड’ में दान देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
रंजन ने कहा,
‘‘भारत को अभी मदद की जरूरत है। जरूरत के समय भारत ने हमारी मदद की और अब हमारी बारी है। न सिर्फ उन लोगों के लिए जो भारत को अपना घर बताते हैं बल्कि हम सभी को भारत के लिए खड़ा होना है।’’
उन्होंने कहा,
‘‘यह वैश्विक संकट है। अगर यह वायरस हवा में बना रहता है और फिर अपना रूप बदल लेता है तो यह सभी को प्रभावित करेगा। जब तक एक भी व्यक्ति असुरक्षित है तब तक हम सुरक्षित नहीं हैं। हमें कदम उठाना होगा। यही हम सभी के लिए बेहतर होगा। हम सभी उद्योगपतियों की भी बेहतरी में होगा।’’
रंजन की मां हरियाणा के रोहतक में रहती हैं और वह कोविड-19 से संक्रमित हो गयी हैं। अमेरिका के एक शीर्ष नागरिक अधिकार नेता रेव जेसे जैकसन ने राष्ट्रपति जो बाइडन से एस्ट्राजेनेका टीके की छह करोड़ खुराकें भारत को देने का अनुरोध किया है। बाइडन ने हाल में कहा था कि वह अन्य देशों को एस्ट्राजेनेका टीका देने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ बड़े पैमाने पर टीकाकरण ही भारत में इस महामारी के संकट से बचाव का तरीका है।
अमेरिकन एससोसिएशन ऑफ मल्टीएथनिक फिजिशियंस के अध्यक्ष डॉ विजय प्रभाकर ने कहा, ‘‘यह हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह भारत में कोविड-19 के प्रसार को रोकने में मदद करे, क्योंकि हमलोग एक विश्व में रहते हैं भले ही हमारी सीमाएं अलग हों।’’
(साभार : PTI)