ये हैं भारत की सबसे पुरानी कंपनियां, 200 सालों से कर रही हैं बिजनेस
आज देश में जो सबसे बड़ी और पुरानी कंपनियां हैं, उनकी शुरुआत भी आजादी के बाद नहीं, बल्कि आजादी से दो सौ साल पहले हो गई थी, जब देश में अंग्रेजों का राज था. एक नजर भारत की सबसे पुरानी कंपनियों पर.
व्यापार भारत के डीएनए में है. इतिहास उठाकर देखें तो 30 ईसा पूर्व से रोमन साम्राज्य और भूमध्य सागरीय देशों के साथ भारत के व्यापार के संकेत मिलते हैं. आज अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स भारत में हैं. हमारे यूनीकॉर्न की संख्या 100 के पार हो चुकी है. बिजनेस के प्रति ये क्रेज नया नहीं है. भारत में हमेशा से व्यापार के प्रति एक रूझान रहा है.
आज देश में जो सबसे बड़ी और पुरानी कंपनियां हैं, उनकी शुरुआत भी आजादी के बाद नहीं, बल्कि आजादी से दो सौ साल पहले हो गई थी. वाडिया ग्रुप भारत का सबसे पुराना बिजनेस ग्रुप है, जिसकी शुरुआत 1857 की क्रांति से भी 120 साल पहले हुई थी.
आइए आज हम आपको बताते हैं भारत की सबसे पुरानी पांच कंपनियों के बारे में, जो तब से व्यापार कर रही हैं, जब भारत आजादी की लड़ाई लड़ रहा था.
वाडिया समूह (Wadia Group), 1736
वाडिया ग्रुप भारत की सबसे पुरानी कंपनी है, जो आजादी के पहले गदर के भी 120 साल पहले शुरू हुई थी. 1702 में सूरत में पैदा हुए पारसी बिजनेसमैन लवजी नुसरवानजी वाडिया ने 1736 में वाडिया ग्रुप की नींव डाली. भारत में अंग्रेजों का शासन था. उस जमाने में अंग्रेजों के साथ व्यापार में सफलता पाने वाले ज्यादातर पारसी लोग थे, जो दिखने में गोरे थे और अंग्रेजी बोलते थे. वे अंग्रेजों की नजदीकी हासिल करने में सफल रहे.
नुसरवानजी वाडिया को 1736 में ईस्ट इंडिया कंपनी से जहाज और डॉक्स बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला और यहीं से कंपनी की शुरुआत हुई. कंपनी ने अंग्रेजों के लिए 300 से ज्यादा जहाज बनाए, उनमें से कइयों का इस्तेमाल युद्ध में भी हुआ.
लवजी और उनके भाई सोराबजी ने मिलकर मुंबई का पहला डॉकयार्ड बनाया था, जो एशिया का पहला ड्राय डॉक था. कंपनी ने 1879 में बॉम्बे डाइंग की स्थापना की. बॉम्बे डाइंग आज वाडिया समूह का सबसे जाना-माना ब्रांड है.
आज की तारीख में वाडिया ग्रुप का टर्नओवर 28,000 करोड़ का है. एविएशन, हेल्थकेयर, FNCG और हेल्थकेयर के क्षेत्र में यह कंपनी काम कर रही है. आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब का मालिक भी वाडिया ग्रुप है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India – SBI), 1806
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत का सबसे पुराना बैंक है. 2 जून, 1806 को इसकी स्थापना हुई और शुरू में इसका नाम था बैंक ऑफ कलकत्ता. बाद में 2 जनवरी, 1809 को इसका नाम बदलकर बैंक ऑफ बंगाल कर दिया गया. आजादी के भारत अप्रैल, 1955 में इसका नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया किया गया. बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत के इस सबसे पुराने बैंक की शुरुआत मराठों और मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के खिलाफ युद्ध को फंड करने के लिए हुई थी.
भारत के इस सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित बैंक के ग्राहकों में नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु और भारत के पहले राष्ट्रपित डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे लोग रहे हैं.
राम प्रसाद गोएनका ग्रुप (RPG Group), 1820
गोएनका समूह आज भारत के प्रमुख अरबपति बिजनेस समूहों में से एक है. लेकिन इसकी शुरुआत 1820 में रामदत्त गोएनका ने की थी. राजस्थान के नवलगढ़ से कलकत्ता व्यापार करने के लिए गए रामदत्त ने कंपनी की नींव डाली. उनके भतीजे केशव प्रसाद गोएनका के नेतृत्व में कंपनी ने काफी नाम और पैसा कमाया. उनके सबसे बड़े बेटे राम प्रसाद गोएनका ने सालों तक परिवार के व्यवसाय से जुड़े रहने के बाद 1979 में आरपीजी एंटरप्राइज की स्थापना की, जिसका टर्नओवर उस वक्त भी 100 करोड़ रु. के आसपास था.
आज गोएनका समूह अपनी प्रमुख कंपनियों सीएट टायर्स, फार्मास्यूटिकल कंपनी आरपीजी लाइफ साइंसेज के लिए जाना जाता है. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी कंपनी का बड़ा नाम है.
आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group), 1857
आज भारत की सबसे बड़ी और सफल कंपनियों में से एक आदित्य बिड़ला ग्रुप की स्थापना 1857 में हुई थी. राजस्थान के पिलानी में रहने वाला बिड़ला परिवार स्थानीय व्यापारी था. सेठ शिवनारायण बिड़ला परिवार क पहले व्यक्ति थे, जो पिलानी से बाहर निकले और कॉटन का व्यापार शुरू किया. उनकी कोई संतान नहीं हुई. उनके दत्तक पुत्र बलदेव दास बिड़ला ने व्यापार को आगे बढ़ाया, लेकिन कंपनी को असल ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया बलदेव दास बिड़ला के बेटे घनश्यामदास बिड़ला ने, जो आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी के भी काफी करीबी थे. आज बिड़ला ग्रुप 48.3 अरब डॉलर की कंपनी है.
इसका बिजनेस फायनेंस, सीमेंट, माइनिंग, मेटल, रीटेल, टेक्सटाइल और टेलीकम्यूनिकेशन इंडस्ट्री तक फैला हुआ है.
शपूरजी पैलनजी ग्रुप (Shapoorji Pallonji Group) 1865
आज 18 हजार करोड़ की कंपनी शपूरजी पैलनजी ग्रुप की स्थापना डेढ़ सौ साल पहले 1865 में हुई थी. इस कंपनी को मुंबई की सबसे खूबसूरत और ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण का क्रेडिट जाता है. कंपनी का पहला प्रोजेक्ट मुंबई की प्रसिद्ध गिरगांव चौपाटी का निर्माण था. कंपनी ने मालाबार हिल पर एक रिसरवॉयर का भी निर्माण किया, जिसके जरिए आने वाले 100 सालों तक पूरे मुंबई में पानी के सप्लाय का काम होता रहा. सन 1930 में 21 महीने के अंदर 1.6 करोड़ रु. की लागत से इस कंपनी ने मुंबई के बॉम्बे सेंट्रल रेलवे स्टेशन का निर्माण किया था.
Edited by Manisha Pandey