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अनोखे ढंग से बच्चों को पढ़ाकर टीचिंग की मिसाल बनीं शोभा और रेहाना

अब बच्चों को सिर्फ क-से-कमल और ख-से-खरगोश पढ़ाकर सरकारी स्कूलों से बच्चों का पलायन नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए तो टीचरों को हरियाणा की शोभा कंवर और रेहाना चिश्ती जैसी मिसाल बनना होगा, जो बच्चों को पढ़ाती ही नहीं, सिखाती भी हैं।

अनोखे ढंग से बच्चों को पढ़ाकर टीचिंग की मिसाल बनीं शोभा और रेहाना

Monday January 21, 2019 , 4 min Read

सांकेतिक तस्वीर

हरियाणा में निजी स्कूलों की ओर भागते बच्चों को वापस सरकारी स्कूलों की तरफ मोड़ने की शिक्षा विभाग की मुहिम तो रंग दिखा ही रही है, इसमें शोभा कंवर और रेहाना चिश्ती जैसी दो शिक्षिकाओं की पहल भी मिसाल बन रही है, जिनका दावा है कि वह बच्चों को सिर्फ पढ़ाती ही नहीं, गणित और पेंटिंग के नवाचार से नन्हे-नन्हे छात्रों सरलता से पढ़ना सिखाती भी हैं। अब अगले महीने इन दोनों महिला टीचरों का कुरुक्षेत्र में सम्मान होने जा रहा है। 


राज्य में पिछले पांच वर्षों में करीब 5.94 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ लिया था। इसके तहत वर्ष 2012-13 में जहां सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा तक कुल 27.29 लाख बच्चे थे, वहीं यह आंकड़ा 2016-17 में 21.34 लाख पर सिमट गया। अकेले वर्ष 2015-16 में ही पौने चार लाख से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों को अलविदा कर गए। बच्चों का पलायन रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान, एसएसए और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के सहयोग से प्लान तैयार किया। स्मार्ट क्लास, ज्वायफुल डे, अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई, लर्निंग लेवल टेस्ट सहित कई कदम उठाए गए। 


इसके बाद बीते सत्र में प्राथमिक स्कूलों में जहां आठ हजार बच्चे अधिक आए, वहीं नौवीं से बारहवीं तक 18 हजार अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। हालांकि छठी से आठवीं तक के करीब बीस हजार बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ भी गए। इस तरह बीते सत्र में 6250 अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। चालू शिक्षा सत्र में भी बच्चों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।


हरियाणा के बरूंधन सीनियर सैकंडरी स्कूल की शिक्षिका शोभा कंवर का स्लोगन है-मैं बच्चों को पढ़ाती नहीं, सिखाती हूं। उनके बनाए गणित के मॉडल डाइट में गणित लेब रखे, जो भावी शिक्षकों पढ़ाने के काम आ रहे हैं। उन्होंने 33 जिलों के नाम को चुटकियों में याद करने की कला विकसित की है। सात साल पहले उन्होंने लेपटॉप से पढ़ाना प्रारंभ कर दिया था। गीतों के माध्यम से गिनती-पहाड़े-गणित के कठिन सवालों को चुटकियों में हल करना बच्चों को सिखाती हैं। उनके द्वारा गठित मीना मंच की छात्राओं ने विधानसभा चुनाव में 1135 लोगों को जागरूक कर मतदान कराया। कक्षा में बोलती तस्वीर बनाई, जिससे देखकर बच्चे सहज ही पशु पक्षियों व जानवरों के नाम याद कर सकते हैं। बच्चों को खेल-खेल में सिखाना इनकी खूबी बन चुकी है।


इसी तरह धनवा मिडिल स्कूल की शिक्षिका रेहाना चिश्ती नवाचार की पॉजिटिव ऊर्जा फैला रही है। ब्लैक बोर्ड पर प्रतिदिन प्रेरणादायक चित्र और नया संदेश बच्चों में पढ़ाई में नई ऊर्जा भर देता है। बचपन के पेंटिग के शौक को 1997 में सरकारी सेवा में आने के बाद शिक्षा देने में पूरा किया। पिछले तीन साल से उनके द्वारा एन ए का टाइम टेबल बनाया जा रहा है, जो पूरे प्रदेश में उपयोग लिया जा रहा है। ड्राइंग और पिक्चर स्टोरी के माध्यम से बच्चों को शिक्षा से अनवरत जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। बच्चों को पेंटिंग, गीत-संगीत और कविताओं के माध्यम से शिक्षा में नवाचार किया जा रहा है। पेंटिग के माध्यम से पढ़ाना सोशल मीडिया पर चर्चा में रहा, जिससे प्रेरणा लेकर हरियाणा, दिल्ली के शिक्षक उपयोग में ले रहे हैं।


सरकारी स्कूलों में शिक्षा में नए प्रयोग करने में सीनियर सैकंडरी स्कूल बरूंधन की शिक्षिका शोभा कंवर और मिडिल स्कूल की शिक्षिका रेहाना चिश्ती आगे रही हैं। शिक्षिका शोभा को शिक्षा में नवाचार के लिए स्टेट मोटिवेटर व शिक्षिका रेहाना को नेशनल मोटिवेटर बनाया है। निजी स्कूलों से बेहतर शिक्षा सरकारी स्कूल में मिले, इसके लिए वे नए प्रयोग करती रही हैं। ये दोनों देश-प्रदेश के लोगों को नवाचार के लिए प्रशिक्षित करेंगी। स्कूल में बच्चों को अपनी कक्षा में खुशनुमा माहौल देकर पढ़ाने की मिसाल बनीं दोनों शिक्षिकाएं हरियाणा के कुरुक्षेत्र में दो और तीन फरवरी को सम्मानित की जाएंगी। सरकारी स्कूलों की शिक्षा को एकमात्र सर्वोत्तम विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए नवोदय क्रांति परिवार यह समारोह कर रहा है। इसमें दोनों शिक्षिकाएं 15 राज्यों से आने वाले शिक्षकों के बीच अपने पढ़ाने के तरीकों को साझा करेंगी।


शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार और सुविधाओं में इजाफे से बच्चों की संख्या फिर से बढऩे लगी है। पिछले कुछ वर्षों में छात्र संख्या में गिरावट की वजह ऑनलाइन सिस्टम है जिससे फर्जी एडमिशन बंद हो गए। एक ही बच्चे का सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में दाखिले का फर्जीवाड़ा हमने बंद किया है। पिछले पौने चार साल में सरकारी स्कूलों की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है।


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