ऑर्गन डोनेशन के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं अनिल, अपनी इस पहल को लेकर कर चुके हैं 43 देशों की यात्रा
अनिल की लगातार जारी यात्रा का मुख्य उद्देश्य है कि वो लोगों को ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरूक कर सकें, जिससे विश्व भर में अधिक से अधिक लोग अंगदान में हिस्सा लें और लाखों जानें बचाई जा सकें।
"यह साल 2014 का समय था जब अनिल ने अपने भाई को अपनी एक किडनी दान कर दी थी। इस दौरान ही उन्हे यह महसूस हुआ था कि हमारे आस-पास किडनी डोनेशन के बाद की डोनर की स्थिति को लेकर तमाम तरह की गलत जानकारी बिखरी पड़ी है और लोग उस पर विश्वास भी करते हैं।"
अंगदान महादान है और यह किसी जरूरतमंद की जान बचा सकता है, लेकिन भारत में ऑर्गन डोनेशन (अंगदान) को लेकर तमाम गलत जानकारी लोगों के बीच मौजूद है, जिसके चलते जरूरत के समय में भी लोग अंगदान के लिए आगे नहीं आ पाते हैं। इन सब के बीच इसी से जुड़ी एक खास पहल को लेकर अनिल श्रीवास्तव अपनी एसयूवी कार में बैठकर लगभग आधे विश्व का भ्रमण कर चुके हैं।
अनिल की लगातार जारी यात्रा का मुख्य उद्देश्य है कि वो लोगों को ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरूक कर सकें, जिससे विश्व भर में अधिक से अधिक लोग अंगदान में हिस्सा लें और लाखों जानें बचाई जा सकें।
कहाँ से हुई शुरुआत?
यह साल 2014 का समय था जब अनिल ने अपने भाई को अपनी एक किडनी दान कर दी थी। इस दौरान ही उन्हे यह महसूस हुआ था कि हमारे आस-पास किडनी डोनेशन के बाद की डोनर की स्थिति को लेकर तमाम तरह की गलत जानकारी बिखरी पड़ी है और लोग उस पर विश्वास भी करते हैं।
यहीं से अनिल के मन में एक पहल की शुरुआत करने का विचार आया और फिर ‘गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर’ का जन्म हुआ। अपनी इस पहल के साथ अनिल ने खुद जगह-जगह जाकर लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करने का बीणा अपने कंधों पर उठा लिया और अपनी एसयूवी कार लेकर निकल पड़े।
कर डाली 43 देशों की यात्रा
अपनी इस खास पहल को लेकर अनिल अपनी एसयूवी के साथ अब तक 43 देशों का भ्रमण कर चुके हैं। अपनी इन यात्राओं के दौरान अनिल लाखों लोगों से मिलकर उन्हें अंगदान के प्रति जागरूक करने का सराहनीय काम कर रहे हैं।
इन यात्राओं के दौरान अनिल विभिन्न देशों के स्कूलों और कॉलेजों में जाकर भी छात्रों को जागरूक करने का काम करते हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में बात करते हुए अनिल कहते हैं कि जितना काम वह हर रोज़ किडनी ट्रांसप्लांट से पहले कर पाते थे, वह अब उससे अधिक काम कर रहे हैं। अनिल के अनुसार वह अब एक एथलीट की तरह काफी सक्रिय रहते हैं।
अनिल का उद्देश्य यही है कि वे अपने अनुभव के जरिये लोगों के भीतर अंगदान को लेकर बन चुकी भ्रांतियों को समाप्त कर सकें, जिससे विश्वभर में बड़ी तादाद में लोग अंगदान के लिए आगे आ सकें।
अंधविश्वास है रुकावट
अंगदान के मामले में भारत अन्य देशों की तुलना में कहीं निचले पायदान पर है और अनिल इसके पीछे का कारण लोगों के बीच स्थापित अंधविश्वास को मानते हैं। अनिल के अनुसार, ‘भारत के आम समाज में लोग मौत से डरते हैं, यहाँ तक कि वे इसपर बात तक नहीं करना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में जब लोग मौत के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं हम उन्हे ऑर्गन डोनेशन के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं।‘
अनिल मानते हैं कि 'जब लोग ऑर्गन डोनेट करते हैं तो उनले शरीर में एक अलग सकारात्मक ऊर्जा जगह ले लेती है और यह काफी खास अनुभव होता है क्योंकि आपने अपने एक फैसले से किसी की जान बचाई है।'
अनिल लगातार जारी अपनी इस यात्रा को यूट्यूब के माध्यम से भी लोगों के बीच शेयर करते रहते हैं। भ्रमण के दौरान अनिल अपनी कार में ही रहते हैं और खाना भी वहीं पकाते हैं। गौरतलब है कि इन यात्राओं के दौरान कई बार उनकी पत्नी दीपाली भी उनके साथ होती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi