पीएम मोदी का एक और 'ड्रीम प्लान', जो पूरे देश का मस्तक गर्व से ऊंचा कर देगा
निकट भविष्य में, पीएम नरेंद्र मोदी का एक और अतिमहत्वाकांक्षी 'ड्रीम प्लान' देश वासियों का मस्तक गर्व से ऊंचा करने जा रहा है। पीएम मोदी का वह 'ड्रीम प्लान' है - दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे भव्य-विशाल नया संसद भवन, जो मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा।
इस समय केंद्र में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की सरकार है। तमाम तरह के राजनीतिक वितंडावाद के बीच मौजूदा संवाद-समुच्चय में शायद ही कभी विचारणीय रहा हो कि भाजपा की निर्माण-संस्कृति क्या है! मसला देश भर में भाजपा कार्यालयों के निर्माण का हो या अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का, अथवा देश की राजधानी में संसद भवन के निर्माण का, इस पार्टी की निर्माण-संस्कृति जहां आंतरिक बनावट में उसके कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करती है, बाहरी परिवेश में देश की जन सामान्य-बहुल मूक सहमतियां भी उसके पक्ष में जाती हैं। इस तरह इस पार्टी की निर्माण-संस्कृति हमारे देश में एक भिन्न तरह के लोकतंत्र को उत्साहित कर रही है।
इसलिए भाजपा को लेकर सिर्फ ध्वंस-विध्वंस की बातें करने की बजाए, वतनपरस्त विचारकों द्वारा इस नई लीक पर ही चिंतन-मनन ज्यादा जरूरी, सामयिक और समीचीन लगता है। कोई भी पार्टी ऐसे ही इतनी शक्ति-संपन्न नहीं हो जाती है। उसकी कार्य-संस्कृति की पुख्ता नींव ही उसे दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल में रूपांतरित कर रही है।
हमारे देश के विचारकों को सोचना होगा कि नए संसद भवन का निर्माण सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही 'ड्रीम प्लान' में क्यों परिघटित हो रहा है! इससे पहले भी तो सरकारें थीं। इसी तरह भाजपा के पार्टी मुख्यालयों के नवीनीकरण का देशव्यापी अभियान पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का ही प्राथमिक एजेंडा क्यों बना, उनसे पहले भी तो भाजपाध्यक्ष थे! मंदिर निर्माण तो फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय की विचार परिधि में है।
एक पत्रकार के विश्लेषण की मंशा चाहे जो रही हो, उनकी यह बात एकदम सही है कि दिल्ली में अत्याधुनिक मुख्यालय के साथ-साथ 525 जिला मुख्यालयों में आधुनिक सुविधाओं से लैस दफ्तर बनाने का भाजपा का निर्णय कोई सामान्य घटना नहीं, न ही, दिल्ली से लेकर मंडल स्तर तक के कार्यकर्ताओं का दस्तावेज तैयार करना सिर्फ रोजमर्रा की कवायद भर रही है।
यह बात भाजपा की एक बड़ी कार्य-संस्कृति यानी उसी निर्माण-संस्कृति को अलग सिरे से परिलक्षित करती है, जो आज देश की किसी अन्य पार्टी के वश की बात न रही है, न लगती है। भाजपा से पहले आखिर किस पार्टी ने इतने व्यापक स्तर पर निर्माण की रणनीति बनाई होगी कि उसका हर पार्टी मुख्यालय वाई फाई वाली इमारत में सेमिनार रूम, कॉन्फ्रेंस हॉल, लाइब्रेरी, पठन-पाठन कक्ष, कॉफी हाउस, कैंटीन, स्क्रीनिंग रूम आदि से लैस हो!
फिलहाल, बात पीएम के 'ड्रीम प्लान' - नए संसद भवन की। यहां भी भाजपा की निर्माण-संस्कृति एक अलग रूप में सामने आई है। चर्चा तो होती रही है कि देश की आजादी के 75वें वर्ष 2022 में हमारे सांसद नए संसद भवन में बैठें लेकिन यह मुमकिन नहीं लगता है। मोदी सरकार ने इस पर अपना एक ड्रीम प्लान तैयार किया है, जिसके मुताबिक, नया संसद भवन 2024 तक बनकर तैयार हो पाएगा। प्लान के मुताबिक, इस महत्वाकांक्षी निर्माण योजना के दायरे में केवल संसद भवन ही नहीं, केंद्र सरकार के समस्त मंत्रालय और दफ़्तर भी हैं, जिनको एक छत के नीचे लाने का ड्रीम प्लान सामने आ चुका है।
पीएम का 'ड्रीम प्लान' है कि सन् 2024 में जब उनकी सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रही हो, उससे पहले विशाल कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट शुरू हो जाए। गतमाह अगस्त की शुरुआत में बजट सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू, फिर 20 अगस्त को आवास समिति, लोकसभा के तत्वावधान में नार्थ ऐवन्यू डूप्लेक्स फ्लैट्स के उद्घाटन कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था कि सबसे विशाल लोकतंत्र का संसद भवन भी सबसे भव्य होना चाहिए। साथ ही, हमारा ऐसा केंद्रीय सचिवालय हो, जिसमें पूरी सरकार एक साथ बैठ सके।
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इसी माह गत 02 सितंबर को रिक्वेस्ट फ़ॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से आवेदन मंगा लिए हैं। कंपनियां अपने डिज़ाइन, आर्किटेक्चर और प्लानिंग से सरकार को अवगत करा रही हैं। अगले माह 15 अक्टूबर तक डिजाइन फाइनल हो सकती है। उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों के जमाने में मौजूदा संसद भवन 1911 में बनना शुरू हुआ था और 1927 में उसका उद्घाटन संभव हो सका था। पीएम मोदी के इस ड्रीम प्लान में कई बातें उल्लेखनीय हैं, मसलन, सभी 47 केंद्रीय मंत्रालयों एवं 70 हजार केंद्रीय कर्मचारियों वाले सभी विभागों और दफ्तरों का एक कॉमन भूकंपरोधी सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए।
इससे पहले, अगले साल नवंबर तक, सेंट्रल विस्टा, यानी राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के तीन किलोमीटर के क्षेत्र को प्लांड तरीके से वेंडर, पार्किंग, पर्यटकों की सीटिंग आदि के साथ विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील कर दिया जाए। सेंट्रल विस्टा का पुनर्निर्माण 30 जनवरी 2020 से शुरू हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले ढाई सौ वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए संसद भवन में एक हजार सांसदों के एक साथ बैठने की व्यवस्था होगी। नार्थ ब्लॉक, साऊथ ब्लॉक और संसद भवन को हेरिटेज इमारत घोषित कर संरक्षित किए जाने की योजना है।