पहाड़ की एक और मिसाल बनीं टिहरी की मशरूम गर्ल
पिता बेचते थे चंबा के बाजार में सोना, वह तो नहीं रहे, आज उनकी बेटी खेतों में सोना उगाकर मशरूम गर्ल बन चुकी है। मल्टीनेशनल कम्पनी की नौकरी छोड़कर मोनिका उत्तराखंड की दूसरी ऐसी कामयाब बिजनेसमैन वुमन बनी हैं, जिनकी कोशिशों से उनके आसपास के कई गांव-घरों में चूल्हा जल रहा है।
एक ओर तो उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों के युवा रोजगार की तलाश में देश -विदेश तक भटक रहे हैं, वही ऐसी भी मिसाल मिलने लगी हैं कि हजारों की नौकरी छोड़कर लड़कियां एग्रिकल्चर में अपना फ्यूचर आजमा रही हैं, और सफलता के झंडे भी ऊंचा कर रही हैं। यह कहानी है चंबा (टिहरी गढ़वाल) की रहने वाली मोनिका पंवार की, जिन्होंने मशरूम का उत्पादन यूट्यूब पर सीख कर घर के एक कोने से उत्पादन शुरू किया और आज उनका खुद का मशरूम कल्टीवेशन प्लांट खड़ा हो चुका है। वैसे तो पहाड़ों में गिनी-चुनी लड़कियां ही पढ़-लिखकर स्वरोजगार का हौसला करती हैं।
ज्यादातर महिलाएं अचार और मोमबत्ती जैसे कामों से जुड़कर किसी तरह रोजी-रोटी कमाती हैं। इस मामले में मशरूम गर्ल दिव्या ने अपने बूते मशरूम की खेती से लाखों रुपये कमाकर पहाड़ की बेटियों का सिर गर्व से ऊंचा किया था। अब पहाड़ की बेटी मोनिका इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद दिव्या की ही राह पर चल पड़ी हैं। एक साल पहले मोनिका ने मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया था और आज वह कुछ और महिलाओं को रोजगार देकर अन्य बेटियों के लिए भी मिसाल बनी चुकी हैं।
तेईस वर्षीय मोनिका चम्बा के मशहूर सोना व्यापारी स्व. शाक्ति सिंह पंवार (शक्ति ज्वेलर्स) और सुचिता पंवार की पुत्री हैं। उच्च शिक्षित परिवार में जन्मी मोनिका ने चम्बा कार्मेल स्कूल से 10वीं तक की शिक्षा और कान्वेंट स्कूल टिहरी से इंटरमीडियट प्रथम श्रेणी से पास करने के बाद रुड़की कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री ली। उसके बाद एक मल्टीनेशनल कम्पनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी करने लगीं लेकिन वह जल्द ही समझ गई थीं कि अगर कुछ बड़ा करना है, तो नौकरी को छोड़ना होगा। कुछ समय बाद वह नौकरी छोड़ कर घर लौट गईं। उन्हें शुरुआत से ही खेती में दिलचस्पी थी और उन्हें लगा कि क्यों ना मशरूम का उत्पादन किया जाए।
मोनिका मूल रूप से जौनपुर (उ.प्र.) के गांव थान की रहने वाली हैं। वह वर्षों से परिवार के साथ चंबा में रहती हैं। उनकी मां दुकान चलाती हैं। वह चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर की हैं। मोनिका कहती हैं कि बचपन से ही उन्हे खेती का शौक था और खाली समय में वह खेतों में काम करती थीं, जो उन्हे बहुत अच्छा लगता था। इसीलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने के बाद घर लौट कर सोचा कि टेक्नोलाजी को यदि खेतों से जोड़ा जाए तो इसका और लोगों को भी फायदा होगा। उसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में कदम बढ़ाया। काम शुरू करने से पहले मोनिका ने सोलन (हिमाचल) और मशरूम डिपार्टमेंट (देहरादून) में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। पिछले साल अप्रैल माह में मोनिका ने नागणी क्षेत्र में इसकी शुरूआत की, क्योंकि यहां पर खेती-पानी आदि की सुविधा है। आज वह मशरूम का अच्छा उत्पादन कर रही हैं। एक सीजन में वह करीब डेढ़ लाख तक की कमाई कर लेती हैं। मोनिका ने गांव की छह-सात महिलाओं को अपने साथ जोड़कर रखा है, जिससे उन्हें भी रोजगार मिल रहा है।
मोनिका ने मशरूम उत्पादन में अच्छी कमाई के साथ ही एक प्लांट भी स्थापित कर लिया है। जहां अब भारी मात्रा में प्रोडक्शन हो रहा है। उनके प्लांट में में विभिन्न प्रजाति के मशरूम उत्पादित किये जा रहे हैं- जिनमें बटन मुख्य है। इसकी सप्लाई अब बाजार में भी हो रही है। इस समय वह एक दिन में करीब 80 किलो मशरूम का उत्पादन कर लेती हैं। अपने उत्पाद को वह नई टिहरी, उत्तरकाशी, जाखणीधार, घनसाली आदि मंडियों के लिए सप्लाई कर रही हैं। मोनिका की कोशिशों से आज आसपास के कई गांवों की महिलाओं के घरों में चूल्हे जल रहे हैं। मोनिका अपने प्लांट को बड़ाकर एक कम्पनी का रूप देना चाहती हैं, जिसमें कि उनकी मां और भाई-बहनों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
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