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घर-घर जाकर सामान लेकर जरूरतमंदों में बांटने का काम करती हैं अनुष्का जैन

घर-घर जाकर सामान लेकर जरूरतमंदों में बांटने का काम करती हैं अनुष्का जैन

Wednesday January 16, 2019 , 3 min Read

अनुष्का जैन

"अनुष्का कॉर्पोरेट प्रोफेशनल हैं। 2015 में उन्होंने SADS की शुरुआत की, लेकिन एक मध्यम वर्गीय भारतीय परिवार में पली बढ़ी होने के कारण अनुष्का को परिवार को समझाने में काफी वक्त लगा।"

जब भी हम अपने आस-पास किसी को किसी की मदद करते हुए देखते हैं तो हमारे मन में भी मदद करने के भाव आते हैं और हर किसी को इससे प्रोत्साहन मिलता है। 'नेकी की दीवार' जैसी पहल भी लोगों को किताबें, कपड़े या स्टेशनरी जैसी चीजें दान करने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि समय के आभाव में लोग चीजें किसी को दान करने की बजाय कूड़ेदान में फेंक देते हैं। इसका समाधान निकाला है बेंगलुरु की रहने वाली अनुष्का जैन ने। अनुष्का ने SADS (Share At Door Step) नाम का एनजीओ बनाया है।

SADS के माध्यम से अनुष्का 8 शहरों में 2.5 लाख से भी ज्यादा लोगों की मदद कर चुकी हैं। अनुष्का बताती हैं, 'जब मैं छोटी थी तो अपने जन्मदिन पर मैं मां के साथ हर साल एनजीओ में जाया कररती थी। हम पूरे साल भर ऐसी चीजों को इकट्ठा करके रखते थे और इस दिन जाकर एनजीओ के बच्चों को दान कर देते थे।' अनुष्का जैसे-जैसे बड़ी होती गईं उन्होंने अपनी मां से पूछा कि वे एक ही एनजीओ में हर साल क्यों जाती हैं। तो उनकी मां ने बताया कि उन्हें यह जानकर संतुष्टि होती है कि उनके दिए हुए सामान का कहां और कैसा उपयोग हो रहा है।


अनुष्का कॉर्पोरेट प्रोफेशनल हैं इसलिए वे बताती हैं कि SADS को स्टार्ट करना आसान बिल्कुल नहीं था। उन्होंने 2015 में इसकी शुरुआत की। लेकिन एक मध्यम वर्गीय भारतीय परिवार में पली बढ़ी होने के कारण अनुष्का को भी परिवार को समझाने में काफी वक्त लगा। वह कहती हैं, 'मैंने 2015 में इस संस्थान की शुरुआत की थी और उस वक्त तक मैं एक्सेंचर में काम भी कर रही थी। मैं सुबह ऑफिस जाने से पहले सामान उठाती थी और फिर शाम को उसे बांट देती थी। इससे धीरे-धीरे मेरा भरोसा बढ़ता चला गया।' 

अनुष्का ने शुरू में यह काम खुद के बलबूते स्टार्ट किया था और उन्होंने किसी की भी मदद नहीं ली। उन्होंने अपना पहला पिक अप और ड्रॉप खुद ही किया। वे तमाम दानकर्ताओं के यहां से सामान लेतीं और फिर उसे जरूरतमंदों में बांट देतीं। आज उनके साथ 12 लोगों की टीम है। उनके संगठन ने अलग-अलग शहरों में सौ से ज्यादा एनजीओ के साथ साझेदारी करके काम कर रहा है। बीते दो सालों में अनुष्का ने काफी काम किया है और उन्हें काफी पहचान भी मिली, लेकिन आज भी उनके घरवाले उनके काम को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। चाहते हैं कि इस काम को अनुष्का शौक के तौर पर करें, लेकिन इसे फुलटाइम न करें।


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