न्यूयॉर्क सिटी कोर्ट में न्यायाधीश बनीं भारत की अर्चना राव और दीपा अम्बेकर
यद्यपि भारतीय मूल की महिलाएं लगातार विदेशों में उच्च पदों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हुई अपने देश का पूरी दुनिया में मान बढ़ा रही हैं लेकिन पिछले कुछ समय से न्यायपालिका में भी उनके शीर्ष पद पर पहुंचने का सिलसिला हर देशवासी के लिए गौरव का विषय हो सकता है। अर्चना राव, दीपा अम्बेडकर अमेरिका में जज बनी हैं।
भारतीय मूल की दो महिलाओं को न्यूयॉर्क सिटी के क्रिमिनल एंड सिविल कोर्ट्स का जज नियुक्त किया गया है। न्यूयॉर्क सिटी के मेयर बिल डी ब्लासियो ने जज अर्चना राव को क्रिमिनल कोर्ट में नियुक्त किया है और जज दीपा अम्बेकर (43) को सिविल कोर्ट में पुनर्नियुक्ति मिली है।
मेयर ने फैमिली कोर्ट, क्रिमिनल कोर्ट और सिविल कोर्ट में 28 जजों की नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति की है। इनमें दो भारतीय मूल की हैं। यह नियुक्ति 1 जनवरी से प्रभावी हो गई है। मेयर डी ब्लासियो ने कहा है कि
"सभी नियुक्तियां न्यूयॉर्क की जनता का गौरव के साथ नेतृत्व करेंगी। वे हमारे कोर्ट्स की गरिमा को बनाए रखने के लिए अथक प्रयास करेंगी। उनका काम यह सुनिश्चित करने के लिए अहम होगा कि हम सभी के लिए न्यूयॉर्क एक सुखद शहर बना रहे।"
जहां तक भारतीय न्याय पालिका में महिलाओं की संख्या की बात है, अमेरिका में हवाई की उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश सबरीना मैक्कीना कहती हैं कि शीर्ष न्यायालय में महज तीन महिला न्यायाधीश का होना केवल नाममात्र के लिए है।
सबरीना मैक्कीना भारत के उच्चतम न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों से प्रेरित हैं, जिनके लिए उनके मन में अपार सम्मान है लेकिन उनकी चिंता महिलाओं की कम संख्या को लेकर और नेतृत्व के लिहाज से भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया से जुड़ी है। यह बहुत चिंताजनक है कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में महिलाएं बहुत कम हैं।
अंतरराष्ट्रीय रूप से भारत महिला अधिकार मुद्दों पर पिछड़ता नजर आता है। अमेरिकी न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर भी चिंता जताई क्योंकि मौजूदा व्यवस्था से पर्याप्त महिलाएं नियुक्त नहीं हो पा रही हैं।
अमेरिका में भारतीय मूल की अर्चना राव जनवरी 2019 में पहली बार सिविल कोर्ट में अंतरिम जज नियुक्त की गई थी। उन्होंने न्यूयॉर्क काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस में 17 साल तक सेवाएं दीं। वह फाइनेंसियल फ्रॉड्स ब्यूरो की प्रमुख भी हैं। वह वस्सार कॉलेज से ग्रेजुएट हैं और उन्होंने फॉर्दम यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की हैं।
अम्बेकर पहली बार मई 2018 में सिविल कोर्ट में अंतरिम जज बनी थीं। वह कमिटी ऑन पब्लिक सेफ्टी में सीनियर लेजिस्लेटिव अटॉर्नी और काउंसेल भी रह चुकीं हैं। वह मिशिगन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुए हैं और रुटगर्स लॉ स्कूल से डॉक्टरेट डिग्री हासिल की हैं।