गूगल में काम कर चुके अरुण अब देश की झीलों और तालाबों को बचा रहे
दुनिया के कई बड़े शहर जल संकट की भयावह समस्या से जूझ रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह विशाल जनसंख्या द्वारा पानी की बर्बादी करना है। जल स्रोतों को हमने इतनी बुरी स्थिति में लाकर छोड़ दिया है कि आज हम पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। हालत इतनी बुरी हो गई है कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में कई सारे संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को कह दिया है, ताकि पानी का इस्तेमाल कम हो सके।
हालांकि देश के कई हिस्सों में मॉनसून के देर से आने या सूखे की वजह से पानी की किल्लत होती है। लेकिन जल संकट की एक बड़ी वजह तालाबों और झीलों का नष्ट हो जाना भी है। यह स्थिति तमिलनाडु की है, लेकिन पूरे भारत में इस समस्या के विकराल रूप धारण करने में देर नहीं लगेगी। जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने में कई संस्थान लगे हुए हैं। लेकिन अरुण कृष्णनमूर्ति की कहानी थोड़ी दिलचस्प है।
अरुण ने 2007 में इनवायरमेंट फाउंडेशन इंडिया (EFI) की स्थापना की थी। तब से अब तक वे भारत के अलग-अलग हिस्सों में 39 झीलों और 48 तालाबों का पुनरुद्धार कर चुके हैं। चेन्नई में रहने वाले 32 वर्षीय अरुण पहले गूगल में भी काम कर चुके हैं। आज उनकी गिनती भारत के नामी पर्यावरणविदों में की जाती है। उनके संगठन ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुदुचेरी, और गुजरात में जल संरक्षण की दिशा में कई किए हैं।
वे झीलों से कचरा, आक्रामक वनस्पतियों को बाहर करते हैं। इसमें कांटेदार झाड़ियां और जलकुंभी शामिल होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए, उन्होंने द हिंदू को बताया, “भूजल स्तर को बढ़ाने और उसमें गंदगी को हटाने के लिए ये प्रक्रिया बेहद आवश्यक है।" दिलचस्प बात है कि जल संरक्षण के लिए अरुण आम लोगों द्वारा मिलने वाले पैसे पर ही निर्भर हैं। हालांकि अब वे सरकार और कई अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
अरुण ने भारत के जलाशयों के बारे में यूट्यूब पर Hydrostan नाम से एक सीरीज भी बनाई है। सीरीज बनाने के उद्देश्य के बारे में वे कहते हैं, 'मैं कई झीलों और तालाबों के आसपास बड़ा हुआ। तब उनकी स्थिति आज से कहीं बेहतर होती थी। मैं उनके शोषण का गवाह हूं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमें ही इसे सुधारना होगा।'