डेटा के असीमित भंडार को सही ढंग से इस्तेमाल करने में कंपनियों की मदद कर रहा यह स्टार्टअप
किसी भी कंपनी को डेटा इकट्ठा करने, उसे स्ट्रीमलाइन करने, स्टोर करने और अंत में उसका विश्लेषण करने में काफ़ी समय लगता है। कई बार ऐसा होता है कि कंपनियां अपनी टीम द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा का ठीक ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पातीं और उसके एक हिस्से के आधार पर ही एआई मॉड्यूल्स को लागू कर दिया जाता है।
लेकिन अब, ऑस्टिन-बेस्ड मॉलीक्युला वर्चुअल डेटा सोर्स टेक्नॉलजी की मदद से इन समस्याओं को सुलझाएगा, जिसके पास आठ पेटेन्ट्स हैं। इसकी मदद से इंजीनियरिंग टीमें तेज़ी के साथ डेटा ऐक्सेस कर पाती हैं और उपयुक्त परिणामों के लिए उन्हें तैयार कर पाती हैं।
मॉलिक्युला के फ़ाउंडर मेकॉट कहते हैं,
"ज़्यादातर कंपनियां अपने डेटा का सिर्फ़ एक प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल कर पाती हैं और बचे हुए डेटा को भुनाने में असफल रहती हैं क्योंकि डेटा की प्रतियों के ढेर का आकलन करने में समय लगता है।"
स्टार्टअप के पास अभी भुगतान करने वाले 10 उपभोक्ता हैं और हाल में कंपनी ओरेकल के साथ मिलकर अपने प्रोडक्ट को मार्केट में उतारने की तैयारी कर रही है। मॉलिक्युला को शुरू हुए 4 महीने हुए हैं और परिवारवालों और दोस्तों की मदद से 6 मिलियन डॉलर्स की फ़ंडिंग मिल चुकी है।
2017 में मेकॉट द्वारा पिलोसा लॉन्च होने के बाद से मॉलिक्युला की कहानी शुरू हुई। पिलोसा एक ओपन-सोर्स बिटमैप इंडेक्स है, जो मूलरूप से डेटा स्टोरेज या डेटा की प्रतियों को अलग करके उन्हें उपयुक्त रूप से प्रदर्शित करने योग्य बनाता है। लगभग 1,650 कंपनियों ने डेटा को डीकपल और ऑर्गनाइज़ करने के लिए पिलोसा का इस्तेमाल किया।
मॉलिक्युला के चीफ़ रेवेन्यू ऑफ़िसर गणेश पद्मनाभन कहते हैं,
"डेटा के भंडार का ठीक तरह से इस्तेमाल न कर पाने की वजह से कंपनियां आगे नहीं बढ़ पातीं।"
गणेश इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए यूएस चले गए थे। उन्होंने डेल ईएमसी में 11 सालों तक काम किया। आख़िरी साल, उनकी मुलाक़ात हाइगिनियो से हुई। गणेश को हाइगिनियो का मॉलिक्युला का आइडिया काफ़ी पसंद आया और उन्होंने इस अवसर को भुनाने का फ़ैसला लिया।
पूरी दुनिया में डेटा का भंडार लगातार बढ़ता जा रहा है और अब कंपनियां डेटा ऐनालिसिस की प्रक्रिया को जहां तक संभव हो सके ऑटोमेट करना चाहती हैं और इस वजह से ही डेटा वर्चुअलाइज़ेशन लगातार समय के साथ एक लोकप्रिय विकल्प बनता जा रहा है। लेकिन डेटा का सही मतलब निकाल पाने की असमर्थता ने रियल मशीन लर्निंग (एमएल) की ताक़त को कमज़ोर कर दिया है।
वहीं अगर हम क्लाउड सिस्टम की बात करें तो वहां पर एक ही डेटा की कई कॉपीज़ या प्रतियां बनने और डेटा स्टोरेज की समस्याएं सामने आती हैं। मॉलिक्युला इस कमी को पूरा करने में सक्षम है।
इतना ही नहीं, मॉलिक्युला की मदद से बड़े संगठन अपने डेटा को बिना प्रतियों के लिए क्लाउड सिस्टम में मूव कर सकते हैं। इस तरह से ग्राहकों या उपभोक्ताओं को वीडीएस के हिसाब से भुगतान करना होता है, न कि क्लाउड के हिसाब से। स्टार्टअप की योजना है कि अगले 18 महीनों में 100 से ज़्यादा कंपनियों को कंपनी के साथ जोड़ा जाए और निवेशकों से फ़ंडिंग जुटाई जाए। हाल में स्टार्टअप के पास 40 कर्मचारियों की टीम है।