एक तरह की सोच वाले युवाओं के मिलने का ज़रिया है ‘ए वर्ल्ड एलाईक’
एक दशक से अधिक तक विदेश में रहे हिमांशु गुप्ता ने नवंबर 2014 में की इस नेटवर्क की स्थापनाविदेश से वापस आने के बाद नए दोस्त बनाने में आई मुश्किल को देखते हुए बनाया नेटवर्कफिलहाल सिर्फ दिल्ली/एनसीआर में संचालित हैं लेकिन निकट भविष्य में मुंबई में है विस्तार की योजनाप्रतिमाह एक या दो आयोजन कर सदस्यों को सिर्फ निमंत्रण के आधार पर करते है निमंत्रित
समय के साथ जैसे-जैसे संचार के साधन डिजिटल रूप से संचालित होते जा रहे हैं एक एक अलग ही दुनिया में खुद को समेटते चले जा रहे हैं। सामाजिक हलके और समूह अपेक्षाकृत छोटे होने के अलावा बाहरी दुनिया के लिये बंद ही होते हैं। लोगों के पास आमने-सामने बैठकर व्यक्तिगत बातचीत के लिये समय ही नहीं है जिसकी वजह से लोगों आपस में जोड़ने के लिये मदद करने वाले कई संगठनों को अपने पांव जमाने का एक मौका मिला है। विशेष रूप से स्वाधीन और एकाकी जीवन जी रहे युवाओं को, जो अपने जैसी समान विचारधारा वाले लोगों के साथ खुद को जोड़ने के क्रम में और उनसे मिलने के लिये आॅनलाइन दुनिया की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं।
हालांकि आज के समय में ऐसे एकल व्यक्तियों को दूसरों से मिलवाने पर ध्यान केंद्रित करने वाली कई वेबसाइटें मौजूद हैं। चाहे वे ट्रूलीमैडली या ऐसलडाॅटको जैसी डेटिंग साईट हों जो समान विचारधारा वाले नए लोगों को आपस में जोड़ने या मिलवाने का काम रही हैं। सच्चाई यह है कि अब इन वेबसाइटों को मुख्यधारा की स्वीकृति मिल रही है। लेकिन ऐसे में ‘ए वर्ल्ड एलाईक’ औरों से अलग होने का दावा करती है।
इस अंतर को पाटने के लिये हिमांशु गुप्ता ने नवंबर 2014 में ‘ए वर्ल्ड एलाईक’ (एडब्लूए) को स्थापित किया था। इस प्रकार लोग एक साथ आकर अपने सामाजिक हलकों का निर्माण करते हुए अपने सुविधाक्षेत्र से बाहर आते हैं और विभिन्न स्पर्धाओं के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से खुद को आगे बढ़ाते हैं। यह सिर्फ एकल उच्च-शिक्षित समान विचारों और सोच रखने वाले व्यक्तियों के लिये काम करने वाला एक नेटवर्क है जिसमें सिर्फ निमंत्रण के द्वारा ही शामिल हुआ जा सकता है।
पश्चिमी दुनिया में नए लोगों से मुलाकात करना अपेक्षाकृत आसान काम है। चाहे आप उसी शहर के हों या आप कहीं बाहर के रहने वाले हों आॅनलाइन और आॅफलाइन मुलाकातें वहां के परिवेश में एक सामान्य बात हैं। जबकि भारत में यह विचार अभी प्रारंभिक अवस्था में ही है और अभी सिर्फ कुछ अनौपचारिक यात्राओं और व्यवसायिक टूरों तक ही सिमटा हुआ है। हालांकि अगर वैश्विक स्थिति पर नजर डालें तो हम दूसरी दुनिया के सामने अभी इस क्षेत्र में कहीं नहीं टिकते हैं।
एडब्लूए प्रतिमाह एक व्यक्तिगत समारोह का आयोजन करती है जिसमें उसके सदस्यों को अपने जैसी सोच और विचारधारा वाले लोगों से एक आरामदायक स्थान पर मिलने और बातचीत करने का मौका मिलता है। ‘ए वर्ल्ड एलाईक’ की नींव दिमाग में बस एक ही उद्देश्य को रखकर उाली गई थी। लोगों के नेटवर्क का विस्तार करना और व्यक्तियों को एक ऐसा मंच उपलब्ध करवाना जहां वे अपनी जैसी सोच और विचारधारा वाले अन्य दिलचस्प लोगों से मिल सकें जिसके अपने ही शहर में होने के बारे में उन्हें पता ही नहीं था।
इसका सदस्य बनने के लिये कोई भी व्यक्ति इनकी वेबसाइट पर जाकर सदस्यता के लिये मौजूद आवेदनपत्र भर सकता है। एक सामान्य सी चर्चा के बाद इच्छुक व्यक्ति को किसी एक समारोह के लिये आमंत्रित किया जाता है। एक बार सदस्यता के लिये औपचारिक निमंत्रण प्राप्त होने के बाद आप अपने सदस्यता प्लाॅन का चयन करते हुए आॅनलाइन भुगतान करते हैं। तीन महीने के लिये इनका सदस्ता शुल्क 7500 रुपये, 6 महीने के लिये 12 हजार रुपये और एक वर्ष के लिये 15 हजार रुपये है।
12 साल तक भारत के बाहर अपना जीवन गुजारने के बाद हिमांशु ने ‘ए वर्ल्ड एलाईक’ की स्थापना के बारे में विचार किया। विदेश से भारत वापस आने के बाद हिमांशु को अहसास हुआ कि नए लोगों से मिलना और दोस्त बनाना एक बेहद मुश्किल काम है। इसी परेशानी ने उन्हें एडब्लूए की स्थापना के लिये प्रेरित किया।
संकल्पना के बाद के कुछ प्रारंभिक महीनों में तो टीम ने अपने प्रौद्योगिकी मंच को सुधारने, ब्रांउिंग ओर संचार करने के अलावा अपने साथ जुड़ने के पात्र एकल व्यक्तियों का उनके सामाजिक ओर व्यवसायिक नेटवर्क के साथ एक डाटाबेस तैयार करने में अपना समय व्यतीत किया। हकीकत में उतरने के बाद से अबतक यह टीम एक दर्जन से अधिक समारोहों की सफलतापूर्वक मेजबानी कर चुकी है जिनमें 150 से अधिक लोग भाग ले चुके हैं। हिमांशु कहते हैं, ‘‘हमारे पास अपने नेटवर्क में शामिल होने के इच्छुक 100 से भी अधिक युवाओं का डाटाबेस मौजूद है। फिलहाल हम प्रतिमाह सिर्फ दो आयोजनों को करने पर ध्यान दे रहे है ओर आने वाले समय में इनकी संख्या में बेशक इजाफा हो सकता है।’’
अबतक जिस एक चुनोती का सामना इनकी टीम को करना पड़ा है वह है एक नए नेटवर्क के के प्रति लोगों के अंदर भरोसे भी भावना को जगा पाना। हिमांशु कहते हैं, ‘‘समय के साथ हम अपने सदस्यों की जरूरतों, प्राथमिकताओं और उनकी मानसिकता को लेकर और अधिक जागरुक हो गए हैं। हमने एक फीडबैक प्रक्रिया को भी भी अपनाना शुरू किया है जिससे हम अपने सदस्यों और मित्रों के बीच बेहतर तरीके संवाद करने में सक्षम हो पाएंगे।’’
आज के समय में एक तरफ जहां आॅनलाइन दुनिया डेटिंग या शादी के लिये इच्छुक युवाओं को लक्ष्य बनाकर काम कर रही है वहीं दूसरी तरफ एडब्लूए समान विचारधारा और सोच वाले लोगों को मुलाकात करने और विचार-विमर्श करने क लिये एक मंच प्रदान करने की दिशा में अग्रसर है। हिमांशु कहते हैं, ‘‘समान विचारधारा वाले लोगों से मिलने का इंतजार हमें जीवन में कई अन्य क्षेत्रों में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। चाहे आप अपने मित्रों का संसार बड़ा करना चाहते हों, या अपने कार्यक्षेत्र के नेटवर्क का विस्तार करने के इच्छुक हों या फिर उस किसी विशेष व्यक्ति की तलाश की ही बात हो। हमारा मुख्य एजेंडा लोगों के सामाजिक हलकों का विकास करते हुए उन्हें उनके सुविधा क्षेत्र से बाहर निकालते हुए एक वयक्ति के रूप में विकसित होने में मदद करने के अलावा उनका पसंदीदा जीवन शैली आधारित नेटवर्क बनने का है।’’
इस टीम का दीर्घकालिक एजेंडा भी समान विचारधारा वाले लोगों को मिलने के लिये एक दबावमुक्त ओर विशेष मंच प्रदान करने का है।
फिलहाल अगले कुछ महीनों में ही टीम एनसीआर के क्षेत्र में ही अपना दायरा बढ़ाने का विचार कर रही है ताकि यह दिल्ली ओर आसपास के इलाकों में अपने लक्ष्य समूहों के लिये जीवनशैली नेटवर्क उपलब्ध करवाने वाले इकलौते नेटवर्क के रूप में कायम रह सके। इसके अलावा वे अपन सदस्यों को समान विचारधारा और सोच वाले सदस्यों से मिलवाने के क्रम को और अधिक बेहतर करने के लिये प्रौद्योगिकी वास्तुकला और एक मोबाइल एप्लीकेशन में भारी निवेश भी कर रहे हैं। इस वर्ष के अंत तक इनका इरादा मुंबई में अपना विस्तार करने का है। इसके अलावा वर्ष 2016 तक वे दुनिया के विभिन्न देशों तक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं।
अंत में हिमांशु कहते हैं, ‘‘हम आने वाले समय में उच्च-शिक्षित एकाकी नौजवानों के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक नेटवर्क की स्थापना करना वाहते हैं जिसका प्रसार दुनिया के कुछ चुनिंदा शहरों में हो और लोग अपने स्थान, कार्य या व्यक्तिगत यात्राओं को पीछे छोड़कर उसके सदस्य बनें।’’