मूर्ति समिति ने वीसी, पीई के लिए अनुकूल कर व्यवस्था की मांग की
Thursday January 21, 2016 , 2 min Read
वेंचर कैपिटल और निजी इक्विटी फंडों के संचालन संबंधी नियमों में भारी फेरबदल की वकालत करते हुए सेबी की एक समिति ने घरेलू एवं विदेशी निवेशकों से दीर्घकालीन कोष आकषिर्त करने के लिए अनुकूल कर व्यवस्था एवं उपाय करने का सुझाव दिया है।
इन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति की अध्यक्षता वाली समिति की ये सिफारिशें ऐसे समय आई हैं जब सरकार ने उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने एवं अधिक संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन करने के लिए महत्वाकांक्षी ‘स्टार्टअप इंडिया’ अभियान शुरू किया है।
समिति ने अनुकूल कराधान व्यवस्था एवं घरेलू पूंजी को बाहर लाने के उपायों पर जोर देने के अलावा अपतटीय कोष प्रबंधन को प्रोत्साहन देने एवं मौजूदा वैकल्पिक निवेश कोष :एआईएफ: व्यवस्था में सुधार की भी वकालत की है।
समिति की एक महत्वपूर्ण सिफारिश निजी इक्विटी एवं वेंचर कैपिटल निवेशों पर प्रतिभूति लेनदेन कर :एसटीटी: शुरू करने की है। समिति ने कहा है कि वैकल्पिक निवेश कोषों :एआईएफ: के सभी तरह के वितरण, निवेश, अल्पकालिक प्राप्ति तथा अन्य आय पर उपयुक्त दर से एसटीटी लगाया जाना चाहिये तथा विदहोल्डिंग कर को समाप्त कर दिया जाना चाहिये। एसटीटी लगने के बाद एआईएफ से निवेशकों को होने वाली आय करमुक्त होनी चाहिये।
कोष प्रबंधकों के साथ साथ उद्यम पूंजी कोष और निजी इक्विटी कोष भी भारत में रह रहे हैं। इनका 2012 से पहले सेबी के पास पंजीकरण हुआ है और इन्हें एआईएफ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।
सेबी को सौंपी गई समिति की रिपोर्ट में कहा है, ‘‘निजी इक्विटी एवं उद्यम पूंजी के अधिक जोखिम और कम तरलता एवं स्थिर प्रकृति को देखते हुए इसे कराधान के मामले में इसे उतार.चढ़ाव भरे अल्पकालिक सार्वजनिक बाजार निवेश के तौर पर लिये जाने की जरूरत है।’’