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भारत को एक बाज़ार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है जीएसटी का मकसदः जेटली

उद्योग जगत ने किया राज्यसभा में जीएसटी के पारित होने का स्वागत जतायी अर्थव्यवस्था को गति मिलने और कारोबार में सुगमता बढ़ने की उम्मीद

 भारत को एक बाज़ार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है जीएसटी का मकसदः जेटली

Thursday August 04, 2016 , 8 min Read

आज़ादी के बाद देश में कर क्षेत्र के सबसे बड़े सुधार का मार्ग प्रशस्त करते हुये राज्यसभा ने आज बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को संपूर्ण समर्थन के साथ पारित कर दिया। जीएसटी कर प्रणाली के अमल में आने से केन्द्र और राज्य के स्तर पर लागू विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर इसमें समाहित हो जायेंगे और पूरा देश दुनिया का सबसे बड़ा साझा बाजार बन जायेगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पारित किये जाने पर सभी दलों के नेताओं और सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुये इसे सही मायनों में एक एतिहासिक क्षण और सहयोगपूर्ण संघवाद का सबसे अच्छा उदाहरण बताया।

मोदी ने ट्वीटर पर कहा, ‘‘हम सभी दलों और राज्यों के साथ मिलकर एक ऐसी प्रणाली लागू करेंगे जो कि सभी भारतीयों के लिए लाभदायक होगी और देश को जीवंत साझे बाजार के रूप में आगे बढ़ायेगी।’’ 

वस्तु एवं सेवाकर की व्यवस्था को लागू करने वाले संविधान संशोधन को आज राज्यसभा में सात घंटे से अधिक चली बहस के बाद सदन में उपस्थित सभी सदस्यों के पूर्ण समर्थन से पारित कर दिया गया। कांग्रेस के बी. सुब्बारामी रेड्डी के संशोधनों के प्रस्ताव को सदन ने एकमत से खारिज कर दिया। अन्नाद्रमुक के सदस्य मतविभाजान के समय सदन से बाहर चले गये थे।

उद्योग जगत ने राज्यसभा में जीएसटी के पारित होने का स्वागत किया और कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और कारोबार की सुगमता बढ़ेगी। जीएसटी संशोधन विधेयक लोकसभा द्वारा पिछले साल मई में पारित कर दिया गया था, लेकिन राज्यसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की आपत्तियों के कारण अटक गया था और इसे एक प्रवर समिति के पास भेजा गया था। राज्यसभा ने संशोधित रूप में पारित किया है और अब यह संशोधित विधेयक लोकसभा में पेश किया जाएगा जहां राजग का बहुमत है।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मार्गदर्शक सिद्धान्त होगा कि जीएसटी दर को यथासंभव नीचे रखा जाए। निश्चित तौर पर यह आज की दर से नीचे होगा। हालांकि, उन्होंने विपक्ष के दबाव के बावजूद किसी खास दर का उल्लेख नहीं किया।

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी कर की दर जीएसटी परिषद द्वारा तय की जायेगी। इस परिषद में केन्द्रीय वित्त मंत्री और सभी 29 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने शून्य के मुकाबले 203 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। साथ ही इस विधेयक पर लाए गये विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया।

यह विधेयक लोकसभा में पहले पारित हो चुका है। चूंकि, सरकार की ओर से इसमें संशोधन लाए गये हैं, इसलिए अब संशोधित विधेयक को लोकसभा की मंजूरी के लिए फिर भेजा जाएगा। कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर अपने विरोध को तब त्यागा जब सरकार ने एक प्रतिशत के विनिर्माण कर को हटा लेने की उसकी मांग को मान लिया। साथ ही इसमें इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक की भरपाई की जाएगी।

संशोधित प्रावधानों के अनुसार जीएसटी परिषद को केन्द्र एवं राज्यों अथवा दो या अधिक राज्यों के बीच आपस में होने वाले विवाद के निस्तारण के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी होगी। जीएसटी दर की सीमा को संविधान में रखने की मांग पर जेटली ने कहा कि इसका निर्णय जीएसटी परिषद करेगी जिसमें केन्द्र एवं राज्यों का प्रतिनिधित्व होगा।

जीएसटी का महंगाई पर प्रभाव पड़ने के मुद्दे पर जेटली ने कहा उपभोक्ता मूलय सूचकांक की गणना में शामिल 54 प्रतिशत वस्तुओं पर कर से छूट है और अन्य 32 प्रतिशत पर कर की कम दर है। केवल 15 प्रतिशत पर ही मानक दर से कर लगेगा।

इससे पहले विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इसे ऐतिहासिक कर सुधार बताते हुए कहा कि जीएसटी का विचार वर्ष 2003 में केलकर कार्य बल की रिपोर्ट में सामने आया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट में जीएसटी के विचार को सार्वजनिक तौर पर सामने रखा था।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में जीएसटी के बारे में एक विमर्श पत्र रखा गया। बाद में सरकार ने राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार संपन्न समिति बनाई थी। वर्ष 2014 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने इससे संबंधित विधेयक तैयार किया था, किन्तु लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण वह विधेयक निरस्त हो गया।

जेटली ने कहा कि मौजूदा सरकार इसे लोकसभा में लेकर आई और इसे स्थायी समिति में भेजा गया। बाद में यह राज्यसभा में आया और इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया। जेटली ने कहा कि इस विधेयक को लेकर राज्य के वित्त मंत्रियों की बैठक में व्यापक स्तर पर सहमति तैयार करने की कोशिश की गई। आज अधिकतर राज्य सरकारें और विभिन्न राजनीतिक दल इसका समर्थन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जीएसटी का मकसद भारत को एक बाजार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से पीने वाले अल्कोहल को बाहर रखा गया है तथा पेट्रोलियम उत्पादों के बारे में जीएसटी परिषद तय करेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद के फैसलों में दो तिहाई मत राज्यों का और एक तिहाई मत केंद्र का होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी से केंद्र और राज्यों का राजस्व बढ़ेगा, साथ ही कर अपवंचना कम होगी। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि विवाद होने की स्थिति में जीएसटी परिषद ही विवादों का निस्तारण करेगी। यदि परिषद में विवादों का समाधान नहीं हो पाता है तो उसके समाधान के लिए परिषद ही कोई तंत्र तय करेगी।

कांग्रेस द्वारा वित्त मंत्री से जीएसटी के संबंध में सीएसटी और आईसीएसटी के सन्दर्भ में लाए जाने वाले विधेयकों के धन विधेयक नहीं होने का आश्वासन मांगे जाने पर जेटली ने कहा कि वह इस संबंध में कोई भी आश्वासन देने की स्थिति में नहीं हैं। जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद ने अभी तक विधेयक का मसौदा तैयार नहीं किया है। इस मुद्दे पर परिषद में कोई विचार विमर्श भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों की सिफारिशों का पूर्वानुमान लगाकर वह कैसे कोई आश्वासन दे सकते हैं।

हालांकि जेटली ने कहा कि वह इस बात का आश्वासन दे सकते हैं कि इस संबंध में लाए जाने वाले विधेयक संविधान और परम्पराओं के अनुरूप होंगे। उन्होंने कहा कि इस बारे में राजनीतिक दलों से विचार विमर्श किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अब सरकार केन्द्र द्वारा लागू किए जाने वाले जीएसटी के लिए सीएसटी विधेयक तथा विभिन्न राज्यों के बीच लगाये जाने वाले कर के लिए आईएसटी विधेयक भी सरकार लाएगी। साथ ही जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के लिए 50 प्रतिशत राज्य विधायिकाओं से मंजूरी ली जानी है।

कांग्रेस सदस्यों ने इस बात पर विशेष आपत्ति जतायी कि सरकार अगले सत्र में जो दो विधेयक लाएगी, वे धन विधेयक नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात का आश्वासन देना चाहिए। 

जीएसटी विधेयक को राज्यसभा में पारित किए जाने के बाद सरकार के राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि यह तो शुरआत है, वास्तविक काम तो अब शुरू होगा।’ उन्होंने कहा कि अब युद्धस्तर पर काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा,‘ हम इसे यथाशीघ्र कार्यान्वित करना चाहते हैं।’ उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में आज बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर देश में नयी परोक्ष कर प्रणाली के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया गया। इससे पहले सरकार ने कांग्रेस के एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग को मान लिया तथा वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आश्वासन दिया कि जीएसटी के तहत कर दर को यथासंभव नीचे रखा जाएगा।

जेटली ने जीएसटी विधेयक पारित होने को बताया ऐतिहासिक

जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने को ऐतिहासिक करार देते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि नये राष्ट्रीय बिक्री कर से विनिर्माण करों में कमी आयेगी लेकिन सेवा कर के संदर्भ में निर्णय राज्य और केंद्र सरकारें करेंगी।

राज्यसभा में विधेयक को पूर्ण बहुमत मिलने के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट समेत दर्जन भर से अधिक केंद्रीय और राज्य करों का सम्मिलन वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ‘‘शायद सबसे अहम’’ कर सुधार होगा।

संसद भवन में जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि राज्यसभा ने जीएसटी विधेयक को पारित कर दिया है, जो काफी समय से लंबित था। मतदान के समय उपस्थित सभी सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मत दिये।’’ विधेयक का समर्थन करने के लिए कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि उच्च सदन की कार्यवाही ने पूरे विश्व को यह बता दिया कि यह भारतीय लोकतंत्र और भारत के संघीय ढांचे के संदर्भ में महान दिन है।

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में भारतीय लोकतंत्र और भारतीय संघवाद ने शानदार काम किया क्योंकि एक बड़े कर सुधार को आगे बढ़ाने के लिए सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल और राज्य सरकारें एकसाथ आयीं..सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना चाहती थी, जिसे कर दिखाने में वह सफल रही।’’ जीएसटी के लागू होने पर हवाई यात्रा, मोबाइल बिल और रेस्टोरंेट में खाना महंगा होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि कर दरों का फैसला राज्यों और केंद्र से मिलकर बनी जीएसटी परिषद करेगी।

बाद में उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि देश में जीएसटी लागू हो जाने पर जीडीपी में वृद्धि होगी और अधिक निवेश आकषिर्त हो सकेंगे वहीं भारत में कारोबार करना सुगम हो जाएगा।- पीटीआई