फैशन उद्योग छोड़कर पहुंची बनारस, आज सैकड़ों क्षेत्रीय महिलाओं को दे रही हैं रोज़गार
फैशन उद्योग में लंबे समय तक काम करने के बाद शिप्रा शांडिल्य ने कुछ प्रभावी करने के उद्देश्य से बनारस में प्रभुति एंटरप्राइजेज़ प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की है।
फैशन उद्योग आज एक चमकता हुए करियर है जिसकी ओर सभी अपने कदम बढ़ाना चाहते हैं। इस उद्योग में लोग बड़ा नाम और पैसा दोनों ही कमा रहे हैं, लेकिन एक महिला ऐसी भी हैं जिन्होने इस जगमगाते हुए करियर को छोड़कर ना सिर्फ गाँव की तरफ रुख किया, बल्कि क्षेत्र की महिलाओं के लिए रोज़गार के साधन भी उपलब्ध कराये।
ऐसी ही एक महिला हैं बनारस की शिप्रा शांडिल्य, जो बीते कई सालों से बनारस के ग्रामीण क्षेत्र में काम कर रही हैं। शिप्रा इसके पहले फैशन उद्योग में करीब 20 सालों तक सक्रिय रही हैं, लेकिन कुछ प्रभावी करने की चाह उन्हे उनकी जड़ों तक खींच लाई।
सैन्यकर्मी पिता के घर पैदा हुईं शिप्रा ने 12वीं के बाद एक साल का डिजाइन कोर्स किया और साल 1992 में कंपनियों के लिए डिजाइन का काम शुरू कर दिया था। इसी तरह शिप्रा इस क्षेत्र में स्थापित होती चली गईं। शिप्रा के अनुसार उन्हे यह समझ आया कि फैशन इंडस्ट्री सबसे अधिक प्रदूषित उद्योगों में से एक है और इसी के साथ उन्होने साल 2010 में बनारस आने का फैसला कर दिया।
बनारस आने के बाद शिप्रा कुछ ऐसा करना चाहती थीं जिसके साथ सामाजिक रूप से बदलाव लाया जा सके। शिप्रा इस दौरान बनारस कि महिलाओं के हुनर से भी वाकिफ हो रही थीं, जिसके साथ वे महिलाएं मालाओं समेत कई तरह के उत्पाद आदि बनाया करती थीं।
शिप्रा ने अपनी शुरुआत ‘माला इंडिया’ नाम के व्यवसाय के साथ की और अपने साथ सौ से अधिक महिलाओं को भी जोड़ा।
इसे बड़े स्तर पर ले जाने के उद्देश्य से शिप्रा ने साल 2019 में प्रभुति एंटरप्राइज़ की नींव रखी, जिसके तहत दूध से जुड़े शुद्ध उत्पादों का निर्माण और उन्हे बाज़ार तक पहुंचाने का काम किया जाता था। इसी के सतह शिप्रा की इस कंपनी ने क्षेत्र में उगने वाले अनाज के साथ कुकीज़ आदि का निर्माण भी शुरू कर दिया। ये कुकीज़ रागी और ज्वार जैसे मोटे अनाज से बनी होती हैं।
शिप्रा ने अपना व्यवसाय 10 लाख रुपये के निवेश के साथ शुरू किया था, जिसके लिए उन्होने 8 लाख रुपये का ऋण मुद्रा योजना के तहत भी लिया था।
शिप्रा की यह कंपनी आज सैकड़ों परिवारों को रोज़गार मुहैया करा रही है। कंपनी द्वारा बनाई जाने वाली कुकीज़ को वीगन लोगों की मांग को भी ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है।
कंपनी को साल 2018 में बीएचयू के स्टार्टअप प्रोग्राम से 5 लाख रुपये का ग्रांट भी मिल चुका है और शिप्रा अभी आगे भी धन जुटाने के विकल्प पर काम कर रही हैं।
वह अब अपने साथ 7 सौ से अधिक महिलाओं को जोड़ने और उन्हे रोज़गार देने के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रही हैं। आज शिप्रा की कंपनी के उत्पादों को दिल्ली-एनसीआर में भी सप्लाई किया जाता है और इसी के साथ कंपनी का कुल टर्नोवर 25 लाख रुपये के आस-पास का है।