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आभावों में पलीं मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ में स्वर्ण जीत भारत को किया गौरवान्वित

देश को गौरान्वित करने वाली देश की बेटी...

आभावों में पलीं मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ में स्वर्ण जीत भारत को किया गौरवान्वित

Thursday April 05, 2018 , 4 min Read

इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में चानू ने 48 किलोग्राम वर्ग में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उन्होंने स्नैच राउंड में पहले 80 किलोग्राम, फिर 84 और फिर 86 किलोग्राम का भार उठाकर अपना ही रिकॉर्ड ध्वस्त किया।

मीराबाई चानू

मीराबाई चानू


इसके पहले चानू ने 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लॉस्गो में 20वें राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक हासिल किया था। चानू ने ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में भी क्वॉलिफाई किया था लेकिन वहां वह कोई पदक नहीं जीत सकी थीं। 

साइखोम मीरा बाई चानू। भारतीय महिला भारोत्तोलन के क्षेत्र में ये वो नाम है जिसने सिर्फ 23 साल की उम्र विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में चानू ने 48 किलोग्राम वर्ग में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उन्होंने स्नैच राउंड में पहले 80 किलोग्राम, फिर 84 और फिर 86 किलोग्राम का भार उठाकर अपना ही रिकॉर्ड ध्वस्त किया। इस तरह उन्होंने कुल 196 किलोग्राम का भार उठाया। वहीं क्लीन ऐंड जर्क के पहले प्रयास में उन्होंने 103 किलोग्राम भार उठाया और दूसरे प्रयास में 107 किलोग्राम और तीसरे प्रयास में 110 किलोग्राम भार उठाया।

इसके पहले चानू ने 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लॉस्गो में 20वें राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक हासिल किया था। चानू ने ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में भी क्वॉलिफाई किया था लेकिन वहां वह कोई पदक नहीं जीत सकी थीं। मणिपुर से संबंध रखने वाली चानू ने गोल्ड कोस्ट में अपने ही छह रिकॉर्ड तोड़े। उन्होंने भारोत्तोलन के इतिहास में रिकॉर्ड दर्ज कराते हुए सभी भारतवासियों को गौरान्वित होने का मौका दे दिया। इसके पहले गोल्ड कोस्ट में आयोजित हो रहे कॉमनवेल्थ खेलों भारोत्तोलन में ही पी गुरूराजा ने 56 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक जीतकर भारत की शुरुआत की।

चानू को बीते फरवरी माह में एक प्राइवेट संस्था द्वारा अवॉर्ड्स वेटलिफ्टर ऑफ द ईयर का खिताब दिया गया था। यह खिताब उनके पिछले साल वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के उपलक्ष्य में दिया गया था। इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में चानू को शुरू से ही स्वर्ण पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। मणिपुर के इम्फाल ईस्ट में जन्मीं मीराबाई ने 2007 में वेटलिफ्टिंग शुरू की। मीराबाई को कुंजरानी देवी ने वेटलिफ्टिंग के लिए प्रेरित किया।

चानू ने मीडिया से बात करते हुए अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि 48 किलो का वजन बनाए रखने के लिए उन्होंने उस दिन खाना भी नहीं खाया था। इतना ही नहीं इस दिन की तैयारी के लिए मीराबाई पिछले साल अपनी सगी बहन की शादी तक में नहीं शामिल हुई थीं। चानू ने कहा कि इस दिन का उन्हें बेसब्री से इंतजार था और इसके लिए वे कड़े संघर्ष के साथ तैयारी कर रही थीं। मणिपुर के एक छोटे से गांव में जन्मीं चानू काफी आभावों में पली हैं। शुरू में वे लोहे की रॉड नहीं बल्कि बांस से प्रैक्टिस करती थीं। उन्हें इंफाल जाने के लिए भी 200 किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता था। आज उनकी मेहनत रंग लाई है। पदक जीतने के बाद आंखों से बहने वाले आंसू इसके गवाह हैं।

इस बार ऑस्ट्रेलिया में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को कई सारी प्रतिस्पर्धाओं में पदक की उम्मीदें हैं। बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने अपने खेल में श्रीलंकन खिलाड़ी दिलरुक्षी बेरुवेलगे को 21-8, 21-4 से हराया। बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ने भी अपना पहला मैच जीत लिया। वहीं भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम ने अपने पहले मैच में श्रीलंका को 3-0 से मात दी। इसके अलावा तैराकी में भी भारत को पदक की आस है। भारतीय तैराक साजन प्रकाश ने पुरुषों की 50 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। प्रकाश ने इस स्पर्धा की हीट-5 में पहला स्थान हासिल करते हुए अगले दौर में प्रवेश किया।

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