40 साल तक सबको बेवकूफ बनाता रहा ये 'महाठग', जानिए कैसे किया 5400000000000 रुपये का फ्रॉड
इस पॉन्जी स्कीम की वैल्यू लगभग 64.8 अरब डॉलर आंकी गई थी. करीब 40 सालों तक बर्नी मेडॉफ ने पॉन्जी स्कीम के जरिए लोगों को बेवकूफ बनाया. नेता-अभिनेता से लेकर मजदूर और कर्मचारियों तक सबने इस पॉन्जी स्कीम में अपने हाथ जलाए थे.
जब कभी बात होती है हर्षद मेहता (Harshad Mehata Scam) की तो लोग कहते हैं कि उसने तो फ्रॉड (Fraud) किया और उसकी वजह से बहुत सारे लोगों को आत्महत्या करनी पड़ी. आज हम आपको दुनिया से सबसे बड़े फ्रॉडस्टर या यूं कहें कि महाठग (Biggiest con in history) की कहानी बताएंगे, जिसने इन्वेस्टमेंट की दुनिया का सबसे बड़ा फ्रॉड (Biggest investment Fraud) किया. इस शख्स का नाम था बर्नी मैडॉफ, जिसने एक ऐसी पोंजी स्कीम (Ponzi scheme) चलाई कि बड़े-बड़े लोग उसमें फंस गए. यहां तक कि यह महाठग सरकार की एजेंसियों में बड़े पद भी रहा, जिससे किसी को इस पर शक तक नहीं हुआ. हालांकि, 2008 की मंदी ने बर्नी मेडॉफ (Bernie Madoff) का पर्दाफाश कर दिया. आइए जानते हैं क्या था ये पूरा फ्रॉड और कैसे बर्नी मैडॉफ 40 साल से भी ज्यादा तक लोगों को बेवकूफ बनाता रहा.
इन्वेस्टमेंट की दुनिया का सबसे बड़ा फ्रॉड
जब ये फ्रॉड सामने आया था तो इसकी जांच कर रहे अधिकारियों के पैरों तले जमीन ही खिसक गई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि यह फ्रॉड लगभग 65 अरब डॉलर यानी करीब 5,36,900 करोड़ रुपये का था. 5.37 लाख करोड़ रुपये के इस फ्रॉड में बहुत सारे बड़े-बड़े बिजनेसमैन, फिल्म अभिनेता, सेना के बड़े अधिकारी, फिल्म निर्माता और निर्देशक तक ने पैसे गंवाए थे. ये कितना बड़ा फ्रॉड था, इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि इसमें करीब 130 से भी अधिक देशों के 37 हजार लोगों ने पैसे लगाए थे.
किसी ड्रामे से कम नहीं है बर्नी की कहानी
बर्नी मेडॉफ को दुनिया ने जानना शुरू किया 1960-70 के दशक के बीच में. 1960 में बर्नी ने Bernard L. Madoff Investment Securities LLC कंपनी की शुरुआत की थी. हालांकि, बर्नी मेडॉफ की कहानी 50 के दशक से ही शुरू हो चुकी थी. 1938 में न्यूयॉर्क में जन्मे बर्नी ने अपनी जिंदगी तमाम तरह की परेशानियां और आर्थिक दिक्कतें झेलीं. बर्नी के पिता बार-बार फेल होते रहे और एक वक्त ऐसा आया कि उनका घर भी खतरे में पड़ गया. बर्नी मां को भी एक ब्लड बैंक में काम कर के घर का गुजारा करना पड़ा. बर्नी ये सब देख रहा था और उसके दिमाग में एक बात मजबूत होती जा रही थी कि कुछ भी हो जाए, लेकिन जिंदगी में फेल नहीं होना है.
सिर्फ 5000 डॉलर से की थी शुरुआत
बर्नी ने सिर्फ 5000 डॉलर के साथ अपनी कंपनी की शुरुआत की थी. इस कंपनी की शुरुआत बर्नी ने अपने ससुर की अकाउंटिंग फर्म के एक डेस्क से की. बर्नी के साथ उसकी पत्नी रूथ भी इस बिजनेस का हिस्सा बनीं, जिनसे हाईस्कूल के दौरान बर्नी की मुलाकात हुई थी. रूथ के पिता का एक बड़ा अकाउंटिंग बिजनेस था. अपने नए बिजनेस (Bernard L. Madoff Investment Securities LLC) की शुरुआत के साथ उन्होंने वॉल स्ट्रीट पर ट्रेडिंग की शुरुआत की. उनके शुरुआती दिन बेहद शानदार थे, जिसे देखकर बर्नी के ससुर ने अपने भी कई सारे क्लाइंट बर्नी को देने शुरू कर दिए. उस वर्क में बर्नी एक बेहतरीन स्टॉक ब्रोकर बन गया था और क्लाइंट्स को अच्छा रिटर्न देने लगा था.
एक नई कंपनी बनाकर शुरू की पॉन्जी स्कीम
यहां तक सब ठीक था, लेकिन एक दिन बर्नी ने सोचा क्यों ना कि वह एक अपना इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी बिजनेस शुरू करे, जिसके तहत वह लोगों का पैसा मैनेज करेगा. चुपके-चुपके बर्नी ने इसकी शुरुआत भी कर दी, लेकिन अपने उस बिजनेस को सिक्योरिटीज एक्सचेंज पर रजिस्टर नहीं कराया जो गैर-कानूनी था. वो बिजनेस भी धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ. ससुर Saul Alpern के 1970 के दशक में रिटायर हो जाने के बाद बर्नी ने उनकी कंपनी का नाम बदल कर A&B कर दिया, जो Michael Bienes और Frank Avellino के नाम पर रखा गया. ये दोनों अकाउंटेंट थे, जिन्हें बिजनेस के दौरान Saul Alpern ने काम पर रखा था. वह तमाम क्लाइंट् से पैसे उठाते थे और उन्हें अच्छ रिटर्न का वादा कर के वह पैसे बर्नी मेडॉफ को ट्रांसफर कर देते थे. बर्नी उन पैसों का इस्तेमाल शेयर बाजार में पैसे लगाने में करता था. जब ढेर सारा पैसा आने लगा तो बर्नी ने कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट भी किया और तगड़ा मुनाफा कमाया.
1987 तक बर्नी मेडॉफ एक अमीर आदमी बन चुका था. उसकी कंपनी तेजी से बहुत सारे ट्रेडर्स को हायर कर रही थी और ऐसे में बर्नी ने एक अच्छी जगह ऑफिस लेने की सोची. 1987 के दौरान बर्नी ने 885 3rd avenue की लिपस्टिक बिल्डिंग में 19वें फ्लोर को अपना ऑफिस बना लिया. यह बिल्डिंग दिखने में एक लिपस्टिक कंटेनर जैसी थी, इसलिए इसका नाम लिपस्टिक बिल्डिंग पड़ा था. बर्नी के साथ उसका छोटा भाई पीटर, पत्नी रूथ और दोनों बेटे एंडी और मार्क भी बिजनेस में हाथ बंटाते थे. बर्नी अपने ऑफिस में बहुत ज्यादा अनुशासन फॉलो करते थे और हर चीज को हर वक्त सही से सीधा कर के रखते थे.
जब पहली बार दिखा तबाही का मंजर
19 अक्टूबर 1987 को जब सुबह 9.30 पर बाजार खुला, तो वॉल स्ट्रीट पर तबाही का मंजर देखने को मिला. स्टॉक मार्केट क्रैश हो गया था. 1929 के बाद यानी करीब 58 सालों बाद बाजार में इतनी तबाही देखने को मिली थी. वहीं बर्नी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. जहां सब बेच रहे थे, बर्नी तेजी से खरीदारी में लगा हुआ था. बर्नी ने अपने क्लाइंट्स को 15-19 फीसदी तक का रिटर्न दिया. बर्नी करीब 3 बार नैसडैक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में चुना गया.
जब पहली बार जांच एजेंसी को हुआ शक
1992 के दशक में पहली बार बर्नी मेडॉफ पर सवाल उठे. सिक्योरिटीज एक्सचेंज को एक ब्रॉशर मिला, जिसमें कंपनी ने 100 फीसदी गारंटी के साथ रिटर्न का वादा किया. बिना किसी रिस्क के रिटर्न की बात सुनते ही सिक्योरिटीज एक्सचेंज के कान खड़े हो गए. उन्होंने A&B कंपनी केMichael Bienes और Frank Avellino से पूछताछ की. उन्हें पता चला कि यह कंपनी रजिस्टर्ड नहीं हैं, जो गैर कानूनी है. यहां से मामला पहुंचा बर्नी मेडॉफ तक, क्योंकि उनके ही इशारों पर सब हो रहा था. अब सिक्योरिटीज एक्सचेंज ने ट्रांजेक्शन्स की डिटेल्स मांगीं. तब पहली बार बर्नी ने सोचा कि अगर उसे ये सब लंबे वक्त तक करना है तो उसके लिए एक शख्स चाहिए होगा. जो फर्जी कागज बना सके.
फर्जी बिजनेस, लेकिन सब कुछ होता है हकीकत जैसा
यहां से बर्नी के बिजनेस में एंट्री हुई Frank Dipascali की, जिसने बर्नी के लिए ढेर सारे फर्जी ट्रांजेक्शन और पेपर ट्रेल के दस्तावेज तैयार किए. ये दस्तावेज बिल्कुल असली दस्तावेजों जैसे लगते थे. बर्नी ने ये दस्तावेज सिक्योरिटीज एक्सचेंज को दिए और अपनी जान छुड़ा ली. हालांकि, सिक्योरिटीज एक्सचेंज ने A&B कंपनी को बंद करने का आदेश दिया, क्योंकि वह गैर-कानूनी थी. साथ ही इस कंपनी में निवेशकों ने जो 444 मिलियन डॉलर जमा किए थे, वह भी वापस लौटाने को कहा. इतनी बड़ी रकम चुकाना आसान नहीं था, इसलिए बर्नी ने अपने कुछ बड़े अमीर दोस्तों को फोन किया और उनसे पैसे लिए, ताकि निवेशकों को पैसे लौटाए जा सकें.
जब कहानी में आया एक बड़ा ट्विस्ट
कहानी में एक और ट्विस्ट तब आया जब निवेशकों ने अपने पैसे लेने से मना कर दिया. उन्हें मेडॉफ पर हद से ज्यादा भरोसा था, इसलिए उन्होंने सारे पैसे मेडॉफ की कंपनी (Bernard L. Madoff Investment Securities LLC) में निवेश कर दिए. बर्नी को शेयर बाजार से भारी नुकसान भी हो जाता था तो भी वह अपने निवेशकों को रिटर्न देता था, यही वजह है कि लोग हर हाल में बर्नी के साथ जुड़े रहना चाहते थे. बर्नी ने से जब पूछा गया था कि उसने ये सब क्यों किया तो उसने कहा कि वह अपने निवेशकों का भरोसा नहीं तोड़ना चाहता था. बर्नी ने खुद को एक फेल हुआ शख्स दिखाने से बेहतर ये समझा कि वह झूठ बोले, क्योंकि वह अपने पिता की तरह फेल नहीं होना चाहता था.
प्रिंटर से दस्तावेज छापकर रखा जाता था फ्रिज में, पैरों तले रौंदते भी थे!
सवाल ये है कि आखिर शेयर बाजार में नुकसान के बावजूद बर्नी अपने निवेशकों को लगातार बाकी जगह से अच्छा रिटर्न कैसे देता रहा? दरअसल, बर्नी अपने निवेशकों को रिटर्न सिर्फ इसलिए दे पा रहा था, क्योंकि वह एक पॉन्जी स्कीम चला रहा था. इसके तहत वह पुराने निवेशकों को रिटर्न देने के लिए नए निवेशकों के पैसों का इस्तेमाल करता रहा. देखा जाए तो हकीकत में उसका कोई बिजनेस था ही नहीं, वह एक पॉन्जी स्कीम चला रहा था और उसके लिए उसने फर्जी ऑफिस, दस्तावेज सब तैयार किए थे. जब कोई पुराने रेकॉर्ड मांगता तो तुरंत ही वह फर्जी दस्तावेज प्रिंट कर देता था. प्रिंटर के निकले इन गर्म कागजों को फ्रिज में रखकर ठंडा किया जाता था. पुराना दिखाने के लिए उन्हें ऑफिस में गिराकर, बिखेरा जाता था, पैरों से कुचला जाता था, ताकि दिखने में वह पुराने लगें. खैर, एक पॉन्जी स्कीम आखिर कब तक चलती.
2008 की मंदी ने खोली पोल, शेयर बाजार हुआ क्रैश
साल 2000 से सिक्योरिटीज एक्सचेंज को मेडॉफ पर शक होने लगा था. उसके बाद से कई बार जांच की कोशिशें हुईं, लेकिन कोई पुख्ता जांच नहीं हुई. नतीजा ये हुआ कि 2008 तक बर्नी मेडॉफ तमाम निवेशकों समेत सिक्योरिटीज एक्सचेंज की आंखों में भी धूल झोंकता रहा. हालांकि, 2008 में जब ग्लोबल मंदी आई तो बर्नी का सारा स्कैम सामने आ गया. अब लोगों के पास पैसों की किल्लत हुई तो वह अपने पैसे निकालने लगे. लोगों को पैसे देने के लिए बर्नी को और ज्यादा पैसों की जरूरत थी, लेकिन उस वक्त किसी के भी पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बर्नी को मिल पाते. नतीजा ये हुआ कि बर्नी का पर्दाफाश हो गया. एक बार फिर शेयर बाजार क्रैश हुआ. चौतरफा मार झेलने को मिली. बर्नी ने जेल में कहा भी था कि उसे पता था एक दिन यह पॉन्जी स्कीम खुल ही जाएगी. यही वजह है कि 2008 में जब उसका पर्दाफाश हुआ तो उसने बचने की कोशिश नहीं की, बल्कि सब कुछ सच-सच बता दिया.
निवेशकों ने की आत्महत्या, बेटे ने लगा ली फांसी
बर्नी हमेशा से जानता था कि एक दिन पॉन्जी स्कीम का पर्दाफाश जरूर होगा. यही वजह है कि उसने अपने इस फ्रॉड से अपने दोनों बेटों, भाई और पत्नी को दूर ही रखा. लिपस्टिक बिल्डिंग में ही 17वें फ्लोर पर उसने एक ऑफिस लेकर इस पॉन्जी स्कीम को अंजाम दिया. बर्नी के भाई, बेटे, पत्नी कोई भी उस फ्लोर पर नहीं जाते थे. वहां बस गिने-चु्ने लोग ही जाते थे. जब बर्नी का पर्दाफाश हुआ तो बहुत सारे निवेशकों ने पैसे डूब जाने की वजह से आत्महत्या कर ली. ना जाने कितने लोगों का सब कुछ तबाह हो गया. यहां तक कि बर्नी की इस हरकत के बाद लोगों ने उसके परिवार को इतना परेशान किया कि बर्नी के बेटे मार्क ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बर्नी के दूसरे बेटे की भी लंबी बीमारी के चलते कुछ समय बाद मौत हो गई. एक बड़े निवेशक को तो दिल का दौरा पड़ गया और उसकी मौत हो गई, जिसने बर्नी के पास करोड़ों डॉलर का निवेश किया हुआ था.
द सन के मुताबिक, बर्नी के झांसे में आने वालों में जाने-माने फिल्म निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग, एक्टर केविन बेवन, जॉन मल्कोविच, टीवी होस्ट लैरी किंग और नोबल शांति पुरस्कार विजेता एली विसेल तक का नाम शामिल था. इतना ही नहीं, ब्रिटेन का रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड भी उसकी पॉन्जी स्कीम में पैसा लगा बैठा.
मरने के बाद जलाकर हुआ अंतिम संस्कार, अस्थियां तक लेने से मना कर दिया घरवालों ने
बर्नी मेडॉफ को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया. करीब 70 साल का बूढ़ा अब कोर्ट में पहुंच गया था, जहां उसके वकीलों ने उम्र का लिहाज करते हुए रहम की अपील की. हालांकि, कोर्ट ने साफ कहा कि लाखों लोगों की जिंदगी बर्नी की वजह से बर्बाद हुई है. ऐसे में बर्नी को सजा भी ऐसी मिलनी चाहिए तो दिखा सके कि यह गुनाह कितना बड़ा था. कोर्ट ने बर्नी को 150 साल जेल की सजा सुनाई. साथ ही बर्नी का सारी संपत्ति जब्त कर ली गई. उसके साथ मिलकर जिन लोगों ने करोड़ों रुपये कमाए, उनसे भी वसूली की गई. इस पॉन्जी स्कीम में निवेशकों के करीब 19 अरब डॉलर लगे थे, जिसमें से लगभग 14 अरब डॉलर की रिकवरी की जा सकी. हालांकि, इस पॉन्जी स्कीम की वैल्यू लगभग 64.8 अरब डॉलर आंकी गई थी. 14 अप्रैल 2021 को बर्नी मेडॉफ ने जेल में ही दम तोड़ दिया. उससे लोग इतना ज्यादा गुस्सा थे कि प्रशासन ने उसे दफनाने के बजाय उसका अंतिम संस्कार जलाकर किया. बर्नी से लोगों के कितनी नफरत थी, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मरने के बाद उसके परिवार ने अस्थियां तक लेने से मना कर दिया.