Bombay Dyeing और वाडिया परिवार को बड़ी राहत, सेबी के आदेश पर लगी रोक
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले महीने दिये आदेश में बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लि. (बीडीएमसीएल), नुसली एन. वाडिया और उनके बेटों नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया समेत 10 इकाइयों को दो साल के लिये प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था.
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने गुरुवार को बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लि. और उसके प्रवर्तकों नुसली एन. वाडिया तथा उनके बेटों को राहत दी है. न्यायाधिकरण ने बाजार नियामक सेबी के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें उन्हें दो साल के लिये प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया गया था. सैट के आदेश के अनुसार, मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को होगी.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले महीने दिये आदेश में बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लि. (बीडीएमसीएल), नुसली एन. वाडिया और उनके बेटों नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया समेत 10 इकाइयों को दो साल के लिये प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था. इसके अलावा, कंपनी की वित्तीय ब्योरे के बारे में गलत जानकारी देकर धोखाधड़ी वाली योजना में शामिल होने को लेकर उन पर 15.75 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया.
साथ ही सेबी ने वाडिया पर एक साल की अवधि के लिये सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय कर्मी सहित प्रतिभूति बाजार से जुड़े रहने पर भी रोक लगाई थी.
सेबी ने जांच पाया था कि ये इकाइयां बॉम्बे डाइंग के वित्तीय ब्योरे की गलत जानकारी देने की कथित धोखाधड़ी की योजना में शामिल थी. उन्होंने कंपनी की बिक्री बढ़ाकर 2,492.94 करोड़ रुपये और लाभ 1,302.94 करोड़ रुपये दिखाया. यह बॉम्बे डाइंग को वित्त वर्ष 2011-12 से 2017-18 के दौरान कथित रूप से फ्लैट की बिक्री स्काल सर्विसेज को किये जाने से प्राप्त हुई थी. स्काल सर्विसेज भी वाडिया समूह की कंपनी है.
मार्च 2021 में सेबी को दिए अपने सबमिशन में, नुस्ली वाडिया ने कहा था कि वित्त वर्ष 2006 से, स्केल एक थोक खरीदार था और बीडीएमसीएल की आवासीय परियोजना में लगभग 100 अपार्टमेंट बेचने में सफल रहा. इसके अलावा, स्केल के साथ 3033 करोड़ रुपये की राशि के समझौता ज्ञापन में प्रवेश करते समय, उन्होंने किसी भी समय, स्केल की वर्तमान क्षमता का आकलन करना आवश्यक नहीं समझा और केवल इसके पिछले प्रदर्शन पर भरोसा किया.
सेबी ने अपने आदेश में कहा कि बीडीएमसीएल द्वारा स्केल को थोक खरीदार के रूप में चुना गया था और इसके साथ 3,033 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया था. क्योंकि इरादा कभी भी स्केल को फ्लैटों की पूरी बिक्री को पूरा करने का नहीं था, बल्कि इरादा केवल ऐसी संदिग्ध बिक्री से राजस्व दर्ज करना था, जिनका विफल होना तय था.
सेबी के आदेश में कहा गया है कि चूंकि बीडीएमसीएल और स्केल दोनों वाडिया समूह की कंपनियां थीं, इसलिए इन दोनों संस्थाओं के बीच कोई कटौती नुस्ली की जानकारी और अनुमोदन के बिना नहीं होता. सेबी के आदेश के अनुसार बीडीएमसीएल ने अपने अकाउंट बुक्स में स्केल को बेचे गए फ्लैटों को 'राजस्व' के रूप में दिखाया, लेकिन स्केल ने इन्हें अपनी अकाउंट बुक्स में 'खरीद' के रूप में नहीं दिखाया था.
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Edited by Vishal Jaiswal