Zee को मिली बड़ी राहत, एनसीएलएटी ने मीडिया समूह के खिलाफ दिवाला कार्यवाही पर रोक लगाई
एनसीएलएटी ने इस हफ्ते की शुरुआत में इंडसइंड बैंक IndusInd Bank को ज़ी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया दायर करने की अनुमति दी थी. इंडसइंड ने सिटी नेटवर्क्स (Siti Networks) के खिलाफ दिवाला याचिका भी दायर की.
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने शुक्रवार को
(Zee) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगा दी. ज़ी के मुख्य कार्यकारी पुनीत गोयनका (Punit Goenka) ने कंपनी के खिलाफ कार्यवाही को चुनौती दी थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया. एनसीएलएटी ने इंडसइंड बैंक को भी नोटिस जारी किया है. मामले की सुनवाई अब 29 मार्च को होगी.अदालत में, गोयनका के लिए वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए और कहा कि ऋण की वसूली, ऋण वसूली न्यायाधिकरण के माध्यम से होनी चाहिए न कि दिवाला संहिता के माध्यम से.
उन्होंने कहा कि ज़ी ने विशेष गारंटी दी थी. यह गारंटी सिटी के कर्ज के लिए नहीं, बल्कि ब्याज अदायगी की केवल एक किश्त में कमी को बनाए रखने के लिए. गोयनका ने आगे कहा कि ज़ी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने से पहले NCLAT ने कोई तर्क नहीं सुना.
बता दें कि, एनसीएलएटी ने इस हफ्ते की शुरुआत में इंडसइंड बैंक
को ज़ी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया दायर करने की अनुमति दी थी. इंडसइंड ने सिटी नेटवर्क्स (Siti Networks) के खिलाफ दिवाला याचिका भी दायर की.गोयनका ने यह भी कहा कि पूरी राशि ज़ी से वसूली योग्य नहीं थी, और 83 करोड़ रुपये की मांग सिटी को उधार दी गई मूल राशि है, और ज़ी ने ऋण के लिए कभी गारंटी जारी नहीं की.
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इंडसइंड बैंक ने तर्क दिया कि ज़ी को पता था कि दिवाला कार्यवाही एनसीएलटी में लंबित थी और दिवाला कार्यवाही का जवाब नहीं देकर एक मौका लिया था.
दरअसल, यह मामला जी समूह की कंपनी सिटी नेटवर्क्स द्वारा किए गए 89 करोड़ रुपये के चूक से संबंधित है. यह राशि इंडसइंड बैंक को अदा की जानी थी. इसके लिए जी एक गारंटर था.
एनसीएलएटी के आदेश की सराहना करते हुए गोयनका ने कहा, "सभी हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहें. हमारा ध्यान प्रस्तावित विलय को समय पर पूरा करने पर है."
यह मामला ऐसे समय में चल रहा है, जब जी एंटरटेनमेंट, सोनी के साथ विलय के अंतिम चरण में है. विशेषज्ञों के अनुसार इस फैसले के बाद सौदे में बाधाएं पैदा होना तय है.
Edited by Vishal Jaiswal