भारत में बिजनेस की दुनिया के टॉप 5 घोटालेबाज, स्कैम कर लगाया हजारों करोड़ का चूना
कुछ घोटालेबाज जेल पहुंच गए तो कुछ देश से फरार हो गए. घोटाले हजारों करोड़ रुपयों के रहे..
भारत में कई तरह के घोटाले (Scam) हुए हैं. बिजनेस की दुनिया भी इससे अछूती नहीं है. कई नामचीन बिजनेसमैन, नामचीन घोटालेबाजों में तब्दील हो गए. कई सारे लोगों के साथ-साथ सरकार को भी नुकसान हुआ. घोटाले हजारों करोड़ रुपयों के रहे. कुछ घोटालेबाज जेल पहुंच गए तो कुछ देश से फरार हो गए. आइए आज आपको बताते हैं भारत में बिजनेस की दुनिया के टॉप 5 बड़े घोटालेबाजों के बारे में...
हर्षद मेहता
शेयर बाजार से जुड़े महाघोटाले का सूत्रधार हर्षद मेहता...80-90 के दशक में हर्षद मेहता का नाम शेयर बाजार काफी पॉपुलर हुआ करता था. फिर यही नाम 1992 में सामने आए करीब 4025 करोड़ रुपये के घोटोले के लिए जाना जाने लगा. इतने बड़े घोटाले का अनुमान उस वक्त रिजर्व बैंक ने दिया था. हर्षद मेहता की स्ट्रैटेजी कुछ ऐसी थी कि वह चुनिंदा शेयरों में ढेर सारा पैसा लगाता था. इससे शेयरों में बंपर उछाल आ जाता और इस तेजी को देखकर लोग भी उन्हीं शेयरों में पैसा लगाते. शेयर की कीमत जब बहुत अधिक हो जाती तो हर्षद मेहता मुनाफा लेकर निकल जाता. शेयरों में लगाने के लिए पैसा जुटाने को हर्षद, बैंकों से फर्जी बैंक रिसीप्ट के दम पर पैसे लेता और फिर शेयर बाजार में लगा देता. फिर एक बैंक के पैसे चुकाने के लिए दूसरे बैंक से पैसे लेता. गलत तरीकों और राजनीतिक संबंधों के सहारे उसने कई सरकारी बैंकों से भी ढेर सारे पैसे लिए. जब 1992 में घोटोला सामने आया तो शेयर बाजार क्रैश हो गया और रिटेल निवेशकों के बहुत सारे पैसे डूब गए.
राजू रामलिंगम
सत्यम घोटोल का कर्ता-धर्ता राजू रामलिंगम.. राजू रामलिंगम की सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज, कभी भारत की टॉप आईटी कंपनियों में शुमार थी. राजू रामलिंगम ने कंपनी के अकाउंट्स में करीब 7800 करोड़ रुपये का घोटोला किया, जिससे निवेशकों के करीब 14 हजार करोड़ रुपये डूब गए. यह घोटोला साल 2009 में सामने आया. राजू ने सत्यम कंपनी की शुरुआत 1987 में की थी. राजू अपनी कंपनी का मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता रहा. कंपनी का दावा था कि उसके बैंक खातों में 5000 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस है लेकिन ऐसा था नहीं. कंपनी के पास बिजनेस चलाने तक के पैसे नहीं थे. राजू को 2015 में 7 साल कैद की सजा सुनाई गई और 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.
विजय माल्या
शराब कारोबारी विजय माल्या ने एसबीआई समेत कई बैंकों को कुल 9000 करोड़ रुपये से भी अधिक का चूना लगाया. इसमें 1600 करोड़ का सबसे ज्यादा कर्ज एसबीआई का रहा, इसके बाद पीएनबी (800 करोड़), आईडीबीआई (650 करोड़) और बैंक ऑफ बड़ौदा का नंबर है. साल 2005 में विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइन शुरू की थी. 5 साल के अंदर-अदर माल्या की किंगफिशर एयलाइंस बंद हो गई और पूरा बिजनेस लगभग खत्म हो गया. एक कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लिया. जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो विजय माल्या देश छोड़कर फरार हो गया. इस वक्त वह ब्रिटेन में है और भारत सरकार उसे भारत लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है.
सुब्रत राय सहारा
सहारा हाउसिंग बॉन्ड घोटाला साल 2010 में सामने आया. घोटाले की रकम 24 हजार करोड़ रुपये थी. सहारा ग्रुप की दो कंपनियों SIRECL और SHICL के जरिए साल 2008 से ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (OFCDs) की मदद से निवेशकों से करीब 24 हजार करोड़ रुपये उठाए गए. साल 2009 में जब सहारा ग्रुप की कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने का प्लान किया तो बाजार नियामक सेबी ने ड्राफ्ट प्रोसपेक्टस की जांच की और फंड रेजिंग में अनियमितताएं पाईं. सेबी को शिकायत भी मिली कि SIRECL और SHICL, OFCDs जारी कर रही हैं और गलत तरीके से फंड जुटा रही हैं. सेबी ने जांच करते हुए सहारा ग्रुप से सवाल किया कि फंड रेजिंग के लिए सेबी की इजाजत क्यों नहीं ली गई. इस पर सहारा ने दावा किया कि कथित बॉन्ड हाइब्रिड प्रॉडक्ट हैं और सेबी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं. मामला थमा नहीं और सेबी ने दोनों कंपनियों को बैन कर दिया और निवेशकों के पैसे 15 फीसदी रिटर्न के साथ वापस देने को कहा. इसके बाद मामला कोर्ट तक जा पहुंचा.
ऐसी भी रिपोर्ट सामने आईं कि जिन निवेशकों से फंड जुटाया गया, उनमें से कई तो हकीकत में हैं ही नहीं. यानी फर्जी निवेशकों के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई. ग्रुप सुप्रीम कोर्ट में फंड के सोर्स के सबूत देने में नाकाम रहा. साल 2014 में सहारा ग्रुप के कर्ता धर्ता सुब्रत राय सहारा को गिरफ्तार कर लिया गया और अभी वह जेल में हैं.
नीरव मोदी
हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक में 14000 करोड़ रुपये का घोटाला किया, जो साल 2018 में सामने आया. लेकिन पर्दाफाश होने से पहले ही दोनों देश छोड़कर फरार हो गए. नीरव मोदी के खिलाफ लंदन में मुकदमा चल रहा है और उसे भारत वापस लाने की कोशिशें की जा रही हैं. इस वक्त नीरव मोदी लंदन की एक जेल में बंद है. नीरव मोदी ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग और स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम के दुरुपयोग के जरिए स्कैम को अंजाम दिया. बैंक इसी सिस्टम से विदेशी लेन देन के लिए LOUs के जरिए दी गई गारंटी को ऑथेंटिकेट करते हैं.
नीरव मोदी 2011 में बिना तराशे हीरे आयात करने के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए पीएनबी की एक ब्रांच गया और कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी एलओयू जारी किए गए. इन फर्जी एलओयू के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने लोन दिया. जब फर्जी एलओयू मैच्योर होने लगा तो पीएनबी के उन कर्मचारियों ने 7 साल तक दूसरे बैंकों की रकम का इस्तेमाल इस लोन को रीसाइकिल करने के लिए किया. जनवरी 2018 में जब नीरव मोदी ने फिर से पीएनबी के साथ फर्जीवाड़ा करना चाहा तो नए अधिकारियों ने गलती पकड़ ली और घोटाला बाहर आ गया.