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इंटरनेशनल अवॉर्ड जीतने वाली बिहार की ये बेटी दौड़ते-दौड़ते बन गईं स्कोरिंग मशीन

इंटरनेशनल अवॉर्ड जीतने वाली बिहार की ये बेटी दौड़ते-दौड़ते बन गईं स्कोरिंग मशीन

Monday January 06, 2020 , 5 min Read

बिहार के एक छोटे से कस्बे से रोजाना पटना तक ट्रेन का सफर, रग्बी की ट्रेनिंग, और अब इस खेल में दुनिया का सबसे बड़ा 'इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द ईयर 2019 अवॉर्ड' पाकर आज पूरी भारत का मान बढ़ा रहीं स्वीटी कुमारी अपनी इतनी बड़ी कामयाबी पर खुद यकीन नहीं कर पा रही हैं। उनका परिवार तो झूम उठा है।


क

स्वीटी कुमारी



ऐसा तो कभी पटना (बिहार) के नवादा की स्वीटी ने भी खुद नहीं सोचा था कि रग्बी की दौड़ लगाते-लगाते एक दिन उनको 'इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द ईयर 2019' अवॉर्ड मिल जाएगा। अब यह रग्बी में दुनिया का सबसे बड़ा खिताब स्वीटी कुमारी के नाम हो चुका है। दुनिया भर से इस अवॉर्ड के लिए 10 लोगों को नॉमिनेट किया गया था, जिसके बाद पब्लिक पोल के बाद स्वीटी को चुना गया।


महिला रग्बी की आधिकारिक वेबसाइट स्क्रमक्वींस पर इस अवॉर्ड को घोषित करते हुए बताया गया है कि इससे पहले उनको एशियाई महाद्वीप की सबसे तेज खिलाड़ी का अवॉर्ड भी मिल चुका है। उनकी इतनी बड़ी सफलता से इस समय उनके पूरे परिवार की खुशियों का कोई पारावार नहीं। इस समय वह एएनएस कॉलेज से ग्रेजुएशन भी कर रही हैं।


उनकी मां कहती हैं,

जब ये रग्बी खेलने गई, तब पता ही नहीं चला कि ये कौन सा खेल होता है। हमने उसको कभी रोका भी नहीं। उसके सपने पर हमने भरोसा किया। अब तो उसे इंटरनेशनल यंग प्लेयर का अवॉर्ड भी मिल गया।


स्वीटी के पिता घर की अपनी बाकी चार संतानों को ताकीद कर रहे हैं कि स्वीटी की लाइफ तो सेट हो गई, अब तुम सब भी जल्दी से अपना-अपना करियर बनाने में मन लगाओ।


भारत में रग्बी खेल को पसंद और देखने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होगी, इसके बावजूद भारत में रग्बी खेलने वाले खिलाड़ियों के बीच इसको लेकर काफी जुनून है।


भारत की 19 साल की स्वीटी कुमारी भी इन्हीं लोगों में से एक हैं, जिन्होंने एथलेटिक्स छोड़कर रग्बी को चुना और अब देश का नाम पूरे विश्व में रोशन कर रही हैं। स्वीटी ने जब रग्बी खेलना शुरू किया था तो उन्हें इस खेल के बारे में कुछ पता ही नहीं था। बस दौड़ना आता था। वक्त के साथ उन्होंने बारीकी से रग्बी के सारे तौर-तरीके सीख लिए और 2019 में यंग प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब अपने नाम कर लिया।


वह बताती हैं कि जब वह नौवीं क्लास में थीं, तभी से रग्बी खेलने लगी थीं। शुरू में इस खेल के बारे में उनको कुछ भी पता नहीं था। उनके कोच ने कहा कि तेज दौड़ना आता है तो रग्बी सीख जाओगी। कोच की इसी बात को उन्होंने गुरुमंत्र मानकर गांठ बांध लिया और उसके बाद फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा।


स्वीटी अपने सात भाई-बहनों में पांचवें नंबर की हैं। उनके एक बड़े भाई एथलीट रहे हैं। वह पढ़ाई में ज्यादा अच्छी नहीं थीं, इसी से स्पोर्ट्स में जाने की इच्छा हुई। भाई को देखकर उन्होंने भी शुरू में एथलेटिक्स ही ज्वॉइन किया था। वर्ष 2014 में स्कूल गेम्स की एक मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए पटना गईं तो रग्बी के सेक्रेटरी पंकज कुमार ने उनकी दौड़ की रफ्तार देखकर रग्बी खेलने की सलाह दी। उस समय वह नौवीं क्लास में थीं।





कोच ने उनसे कहा था कि दौड़ना आता है तो रग्बी भी सीख जाओगी। बस बॉल को पीछे पास करना होता है और आगे भागना होता है। शुरू में तो रुल्स नहीं समझ आ रहे थे, सिर्फ खेल रही थी लेकिन प्रैक्टिस करते-करते पता ही नहीं चला कि कब रग्बी सीख गई और आज इतने बड़े अवॉर्ड के दिन मुबारक हुए हैं। भारतीय रग्बी टीम के कोच लुत्विक उनको 'स्कोरिंग मशीन' कह कर बुलाते हैं।


स्वीटी बताती हैं कि नौवीं की पढ़ाई के दौरान वह रग्बी की कोचिंग के लिए दो साल तक रोजाना ट्रेन में एक घंटे का सफर कर पटना जाती-आती रहीं। वह खेलती रहीं। वर्ष 2016 में उनके साथ सत्तर और बच्चे ट्रेनिंग लेने लगे। उसके अगले साल वह रग्बी खेलने पहली बार विदेश गईं।


दुबई में यूथ ओलिंपिक क्वालिफाई गेम खेलने का मौका मिला और पहला मैच खेलकर लगा जैसे फ्रेंडशिप मैच खेल रही हों। पहले मैच के बाद सारा डर निकल गया। उनको सबसे ज्यादा दिक्कत सिंगापुर के खिलाफ खेलने में हुई। वहां की लड़कियों की हाइट और वेट ज्यादा था। कोच ने कहा कि लंबाई और वजन से कुछ नहीं होता, टैकलिंग करो, जैसे पहले करती आई हो।

स्वीटी ने वही रणनीति अपनाई और कामयाब होने लगीं।


वह अब तक सिंगापुर, ब्रुनेई, फिलीपींस, इंडोनेशिया और लाओस में रग्बी खेल चुकी हैं। स्वीटी को अब तक एशिया रग्बी अंडर 18 गर्ल्स चैंपियनशिप भुवनेश्वर, विमेंस सेवेंस ट्राफी ब्रुनेई और एशिया रग्बी सेवेंस ट्राफी जकार्ता इंडोनेशिया 2019 में बेस्ट स्कोरर का अवॉर्ड मिल चुका है। एशिया रग्बी सेवेंस ट्राफी जकार्ता इंडोनेशिया 2019 में बेस्ट प्लेयर के अवॉर्ड भी जीता है।


एथलीट के रूप में स्वीटी ने अपने स्कूल में 100 मीटर की दौड़ 11.58 सेकंड में पूरी कर ली थी। उसके बाद उन्होंने अपनी गति का इस्तेमाल रग्बी में किया। पुरस्कार घोषित करने वाली वेबसाइट पर स्वीटी की तारीफ में लिखा गया है कि

'उन्होंने शुरुआत से ही अपने खेल से सबको प्रभावित किया है लेकिन इस साल उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है। भारत ने जिन सात टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, उनमें अपनी तेजी और पॉवर के कारण ही स्वीटी ने सबसे ज्यादा स्कोर किया। वहीं सिंगापुर के खिलाफ जिस टेस्ट मैच में भारत को पहली बार जीत हासिल हुई, उसमें भी स्वीटी ने दो शानदार टाई से स्कोर किए।'


स्वीटी बताती हैं कि पिछले साल सितंबर में एशिया रग्बी (मेंस) की ओपनिंग सेरेमनी में उनको जापान बुलाया गया था। वहां सड़कों पर ऐसा नजारा था मानो इंडिया ने क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता हो। रग्बी के लिए वहां ठीक वैसी ही दीवानगी थी, जैसे भारत में क्रिकेट के लिए लोगों में रहती है। इतने लोग दिख रहे थे कि मानो मेले से भीड़ उठाकर सड़क पर रख दी गई हो।