गेम चेंजर साबित होगी बायो-ई3 पॉलिसी: केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह
केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जैव अर्थव्यवस्था में आ रहे उछाल पर कहा, “भारत की जैव अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव हुआ है, जो कि 2014 के 10 अरब डॉलर से तेजी से बढ़ती हुई 2024 में 130 अरब डॉलर से अधिक हो गई और 2030 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है.”
केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नई जैव- अर्थव्यवस्था नीति आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक लीडर के तौर पर स्थापित करेगी.” डॉ. सिंह ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी बदलाव की शुरूआत करने वाले महत्वकांक्षी बायोई3 (अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिये जैवप्रौद्योगिकी) नीति पर लिये गये निर्णय की मीडिया को जानकारी देते हुये यह कहा.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत वैश्विक जैवप्रौद्योगिकी ताकत के रूप में आगे आया है, इसके साथ ही पूरी दुनिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नई जैवप्रौद्योगिकी को तेजी से बढ़ाने वाले चैंपियन के तौर पर सराहा जायेगा जो कि अर्थव्यवस्था, नवाचार, रोजगार और पर्यावरण प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने का वादा करती है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुये कहा कि उन्होंने एक प्रगतिशील नीति को आगे बढ़ाया है जिसका उद्देश्य परंपरागत उपभोक्तावादी सोच से हटकर बेहतर प्रदर्शन, पुनरूत्पादक जैव विनिर्माण नीति को अपनाना है जो कि स्वच्छ, हरित और अधिक समृद्ध भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु उर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जैव अर्थव्यवस्था में आ रहे उछाल पर कहा, “भारत की जैव अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव हुआ है, यह वर्ष 2014 में 10 अरब डॉलर से तेजी से बढ़ती हुई 2024 में 130 अरब डॉलर से अधिक हो गई और 2030 तक इसके 300 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है. यह वृद्धि भारत की तेजी से बढ़ती आर्थिक वृद्धि को दर्शाती है. हाल की यह नीति विकास गति को और तेज करेगी तथा चैथी औद्योगिक क्रांति में भारत को एक संभावित लीडर के तौर पर स्थापित करेगी.”
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “जैवई3 नीति भारत के वृद्धि दायरे का विस्तार करेगी और न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन के साथ जैव आधारित उत्पादों के विकास को बढ़ावा देते हुये ‘मेक इन इंडिया’ प्रयासों में व्यापक योगदान करेगी.”
डॉ. जितेन्द्र सिंह के अनुसार बायोई3 नीति को जलवायु परिवर्तन और घटते गैर- नवीकरणीय संसाधनों जैसी संवेदनशील वैश्विक चुनौतियों से निपटने की सोच के साथ तैयार किया गया है. इसमें 1- रसायन आधारित उद्योगों से टिकाउ जैव-आधारित माॅडल की ओर बदलाव की सुविधा है. 2- इसमें चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया गया है, 3- इसमें हरित गैसों, बायोमास, अपशिष्ट भू-भराव से नवीन अपशिष्ट उपयोग के माध्यम से शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने और 4- जैव आधारित उत्पादों के विकास को प्रोत्साहन देने के साथ ही रोजगार सृजन बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह नीति जैव आधारित रसायनों, स्मार्ट प्रोटीन, सटीक जैव चिकित्सा, जलवायु -सक्षम कृषि और कार्बन बंदीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करती है.
उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक जैव विनिर्माण सुविधायें, बायो-फाउंड्री क्लस्टर और जैव-एआई हब स्थापित करती है.
मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ जुड़ते हुये नैतिक जैव सुरक्षा विचारों और वैश्विक नियामकीय सामंजस्य पर नये सिरे से ध्यान दिया जा रहा है.
जैव विनिर्माण केन्द्रों के महत्व को समझते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह जैव-आधारित उत्पादों के उत्पादन, विकास और वाणिज्यिकरण के लिये एक केन्द्रीकृत सुविधा के तौर पर काम करेंगे. उन्होंने कहा, “ये केन्द्र प्रयोगशाला-पैमाने और वाणिज्यिक-पैमाने के विनिर्माण के बीच के अंतर को पाटने, स्टार्ट अप, एसएमई और स्थापित विनिर्माताओं के बीच सहयोग बढ़ाने का काम करेंगे.”
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि ये एमआरएनए- आधारित टीकों और प्रोटीन जैसे उत्पादों के बड़े पैमाने पर विनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे. उनहोंने विश्वास व्यक्त करते हुये कहा कि जैव-एआई केन्द्र एआई को बड़े पैमाने के जैविक डेटा विश्लेषण के साथ जोड़ने में नवाचार को आगे बढ़ायेंगे और इससे नई वंशाणु उपचार और खाद्य प्रसंस्करण समाधानों का मार्ग प्रशस्त होगा.
नीति के तहत रोजगार सृजन की संभावनाओं पर विशेष जोर देते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “उम्मीद की जाती है कि इससे दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में, जहां जैव विनिर्माण केन्द्र स्थापित किये जायेंगे, रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे. इन विनिर्माण केन्द्रों में स्थानीय बायोमास संसाधनों का लाभ उठाया जायेगा जिससे कि उन क्षेत्रों का आर्थिक विकास भी तेज होगा.”
साक्षात्कार के समापन पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने दोहराया कि देश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार में निवेश करके बायोई3 नीति “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को समर्थन देती है, इसके साथ ही यह एक मानक स्थापित करती है कि किस प्रकार से प्रभावी विज्ञान नीतियां राष्ट्रीय विकास और स्थिरता को आगे बढ़ा सकती है.