बिट्स, पिलानी के दो छात्रों ने दो दशक में खड़ा कर लिया अरबों का कारोबार
बिट्स, पिलानी से बीटेक कुमार सुदर्शन और टीपी प्रताप ने वर्ष 2006 में 'क्विकसिल्वर' की स्थापना की थी। क्विकसिल्वर एक गिफ्ट कार्ड सेवा प्रदाता कंपनी है, जिसका आज डेढ़ अरब डॉलर का वार्षिक सकल लेनदेन है। हाल ही में पाइन लैब्स ने क्विकसिल्वर से 770 करोड़ रुपए का समझौता किया है।
ज्यादातर युवाओं का सपना रहता है कि पढ़-लिखकर कोई सरकारी नौकरी मिल जाए। कई लोग ऐसे भी हैं जो अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर व्यापार की राह चल पड़ते हैं और उनमें से कई लोग स्टार्टअप से रोल मॉडल बन जाते हैं। बिजनेस की दुनिया की ऐसी ही एक जोड़ीदार शख्सियत हैं कुमार सुदर्शन और टी पी प्रताप। अभी कुछ माह पहले की ही बात है, जब पॉइंट-ऑफ-सेल्स सर्विस प्रोवाइडर पाइन लैब्स ने गिफ्ट प्रोवाइडर कंपनी क्विकसिल्वर से 770 करोड़ रुपए का समझौता किया है। क्विकसिल्वर एक गिफ्ट कार्ड सेवा प्रदाता कंपनी है, जिसका भारत, प.एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में डेढ़ अरब डॉलर का वार्षिक सकल लेनदेन है।
कारोबारियों को भुगतान सुविधा देने वाली सिंगापुर की कंपनी पाइन लैब्स ने क्विकसिल्वर के साथ 11 करोड़ डॉलर का ताज़ा सौदा किया है। इसके साथ ही क्विकसिल्वर और पाइन लैब्स का गिफ्ट कारोबार साझा हो गया है। इसमें 250 ब्रांड शामिल हैं। क्विकसिल्वर के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार सुदर्शन को पाइन लैब्स की टीम में होने की भी अटकलें हैं।
बिट्स, पिलानी से बीटेक कुमार सुदर्शन और प्रताप टीपी ने वर्ष 2006 में 'क्विकसिल्वर' की स्थापना की थी। सुदर्शन कंपनी के सीईओ और टीपी प्रताप सीएमओ हैं। सुदर्शन बताते हैं कि जब उन्होंने क्विकसिल्वर की शुरुआत की थी, यह भारत से बाहर उत्पादों के निर्माण के जुनून के कारण था। शुरुआत में यह थोड़ा चैलेंजिंग रहा। आज जब भारतीय उपहार कार्ड मार्केट में 50 मिलियन डॉलर तक की नई फंडिंग की उम्मीदें आकार ले रही हैं, डिजिटल कार्ड में विकास की अगली लहर की सवारी के लिए अमेज़न समर्थित क्विकसिल्वर जैसे प्रमुख खिलाड़ियों की ताकत बन चुकी हैं।
पिछले दो वर्षों में क्विकसिल्वर की बिक्री में साल-दर-साल तीन सौ प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। गौरतलब है कि आज तीन हजार करोड़ भारतीय उपहार बाजार कार्ड नौ हजार करोड़ की छलांग लगाने की ओर है। ऐसे में 'क्विकसिल्वर सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड' के सह-संस्थापक और मुख्य विपणन अधिकारी प्रताप बताते हैं कि उनके साझेदार ब्रांड उनके ताजा प्रसार को विकास की अगली ऊंचाई तक ले जा रहे हैं।
इस बीच गौरतलब है कि आज गिफ्ट कूरियर दुनिया में एक बड़े कारोबार का रूप ले चुका है। रोजाना चीन आदि देशों से लाखों गिफ्ट कूरियर भारत आ रहे हैं। गिफ्ट अक्सर प्रवासी भारतीय अपने सगे-संबंधियों को भेजते हैं। गिफ्ट पर कस्टम ड्यूटी काफी कम या नहीं के बराबर लगती है। आज कंपनियां गिफ्ट पर हाथ खींचकर पैसे खर्च कर रही हैं। एक ओर ज्यादातर गिफ्ट आइटमों पर टैक्स रेट का बोझ बढ़ा है, वहीं जीएसटी ऐक्ट में गिफ्ट स्पष्टतः परिभाषित न होने से यह इनपुट टैक्स क्रेडिट से वंचित रह गया है। अब इंडस्ट्री मांग कर रही है कि हर गिफ्ट का मकसद किसी न किसी रूप में बिजनेस बढ़ाना है तो खरीद पर दिए गए टैक्स का क्रेडिट मिलना चाहिए।
कंपनियां कस्टमर, डीलर, एजेंट्स और अन्य संपर्कों में जो भी गिफ्ट देती हैं, उसका एकमात्र मकसद बिजनेस बढ़ाना होता है। यह बिजनेस प्रमोशन का हिस्सा है, जिसकी इनपुट में बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है। कारोबारी लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि बिजनस गिफ्ट को सेक्शन-16 के तहत बिजनस बढ़ाने के मकसद से की गई सप्लाई के रूप में देखा जाए, न कि व्यक्तिगत खर्च के रूप में।