बिना हाथों के पैदा हुईं स्वप्ना पैरों से बनाती हैं खूबसूरत कलाकृतियाँ, कई देशों की प्रदर्शनियों में ले चुकी हैं हिस्सा
बिना हाथों के जन्मीं स्वप्ना ऑगस्टाइन आज अपने पैरों के जरिये बेहद खूबसूरत कलाकृतियों का निर्माण करने के लिए जानी जाती हैं।
"बड़े स्तर पर स्वप्ना को लोगों ने तब पहचानना शुरू किया जब उन्होने केरल के अलापुझा स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की और साथ ही कला में भी सक्रिय रूप से खुद को समर्पित करना शुरू कर दिया। आगे बढ़ते हुए स्वप्ना स्विट्ज़रलैंड के ‘असोशिएशन ऑफ माउथ एंड फुट पेंटिंग आर्टिस्ट्स’ (AMPFA) की सदस्य बन गईं। असोशिएशन की सदस्यता के साथ स्वप्ना के लिए अब सफलता के नए दरवाजे भी खुल गए थे।"
अपने सपनों के प्रति उनका दृण संकल्प कुछ ऐसा था कि दिव्यांगता कभी उनके आड़े नहीं आ सकी। बिना हाथों के जन्मीं स्वप्ना ऑगस्टाइन आज अपने पैरों के जरिये बेहद खूबसूरत कलाकृतियों का निर्माण करने के लिए जानी जाती हैं।
1975 में केरल में जन्मी स्वप्ना जब महज 6 साल की थीं तब उनके माता-पिता ने उनका दाखिला दिव्यांगों के लिए बने विशेष स्कूल में करा दिया था। बचपन में ही स्वप्ना ने फूलों और तितलियों के चित्र बनाने शुरू कर दिये थे, हालांकि तब स्वप्ना के लिए कला महज एक शौक भर थी।
परिवार व शिक्षकों का समर्थन
कला के प्रति स्वप्ना के झुकाव को देखते हुए परिवार ने स्वप्ना का भरपूर समर्थन किया, इसी के साथ उन्हें उनके शिक्षकों से भी पेंटिंग के साथ आगे बढ़ने का हौसला मिला। स्वप्ना के अनुसार,‘दिव्यांगता के अलावा, भगवान ने उन्हें कला में प्रतिभा दी है, जिसके साथ ही वे इन सभी मुश्किलों से पार पा सकी हैं।‘
बड़े स्तर पर स्वप्ना को लोगों ने तब पहचानना शुरू किया जब उन्होने केरल के अलापुझा स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की और साथ ही कला में भी सक्रिय रूप से खुद को समर्पित करना शुरू कर दिया।
आगे बढ़ते हुए स्वप्ना स्विट्ज़रलैंड के ‘असोशिएशन ऑफ माउथ एंड फुट पेंटिंग आर्टिस्ट्स’ (AMPFA) की सदस्य बन गईं। असोशिएशन की सदस्यता के साथ स्वप्ना के लिए अब सफलता के नए दरवाजे भी खुल गए थे, जहां वे अपनी कलाकृतियों को बेच सकती थीं।
AMPFA की खास बात यह है कि वहाँ दुनिया भर के करीब 700 से अधिक दिव्यांग कलाकारों को अपनी कलाकृतियों के जरिये जीविका अर्जित करने का मौका मिल रहा है। इसके साथ भारत के भी करीब 25 कलाकार जुड़े हुए हैं और वे सभी मुंबई स्थित हेडक्वार्टर में मुलाक़ात करते रहते हैं।
बनाईं 4 हज़ार से अधिक पेंटिंग
इस तरह बतौर एक कलाकार उनके करियर ने सफलता के नए आयाम को छूना शुरू कर दिया। बीते 16 सालों में स्वप्ना अब तक 4 हज़ार से अधिक चित्र पेंट कर चुकी हैं। स्वप्ना की इन कलाकृतियों को कई मैगजीन ने भी प्रकाशित किया है।
आमतौर पर स्वप्ना को अपनी एक पेंटिंग को पूरा करने के लिए 5 से 8 दिन का समय लग जाता है, जबकि पेंसिल स्केच वो दो से तीन दिन में पूरा कर लेती हैं। हालांकि स्वप्ना अपनि सहूलियत के अनुसार एक दिन में अधिकतम दो से तीन घंटे ही पेंटिंग करती हैं। स्वप्ना बीते आठ सालों से लगातार अपनी इन कलाकृतियों के साथ भारत और विदेश में आयोजित हुईं तमाम प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा ले चुकी हैं।
विदेश में लगी प्रदर्शनियों में प्रतिभाग करने का सिलसिला स्वप्ना के लिए साल 2012 से शुरू हुआ, जब उन्होने पहले बार सिंगापुर की एक प्रदर्शनी में हिस्सा लिया था, इसके बाद वे दुबई, क़तर और तुर्की जैसे देशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं।
यूं तो स्वप्ना अपनी कला और मेहनत के जरिये अपनी सफलता की कहानी पहले ही लिख चुकी हैं, लेकिन इस बार उन्हें देश भर में पहचान दिलाने का कमा एक विज्ञापन ने किया। यह विज्ञापन सैवलॉन इंडिया ने जारी किया है, जिसे बीते साल रिलीज किया गया था।
Edited by Ranjana Tripathi