मार्गरेट थैचर: ब्रिटेन में सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाली प्रधानमंत्री
एक दौर था जब दुनिया के दो छोर पर ‘ऑयरन लेडी’ के नाम से मशहूर महिलाएं प्रधानमंत्री थीं. यदि यूरोप में मार्गरेट थैचर का दबदबा था तो भारतीय उपमहाद्वीप में इंदिरा गांधी के नाम का डंका बज रहा था. थैचर जहां 1979 में प्रधानमंत्री बनीं वहीं 1980 के आम चुनावों में इंदिरा गांधी ने शानदार प्रदर्शन कर सत्ता में वापसी की.
‘आयरन लेडी’ से विख्यात ब्रिटेन ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप की पहली महिला प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर 11 साल तक ब्रिटेन की प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहीं. ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की नेता थैचर ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक लगातार तीन बार प्रधानमंत्री रहने वाली राजनेता थीं. इनकी विरासत 'थैचरिज्म' के नाम से विख्यात है. इस नीति को मानने वालों ने निजी आजादी को बढ़ावा दिया और सरकारी कंपनियों के निजीकरण की वकालत की.
13 अक्टूबर, 1925 को जन्मीं हिल्डा रॉबर्ट्स ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से रिसर्च कैमिस्ट की डिग्री लेने के बाद 1954 में वकालत की परीक्षा पास की. इसके अलावा वो मैथेडिस्ट चर्च के धर्म प्रचारक और स्थानीय परिषद के सदस्य भी थे. फिर उन्होंने ऑक्सफर्ड के समरविले कॉलेज से पढ़ाई की और वो ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में कंजर्वेटिव एसोसिएशन की तीसरी महिला अध्यक्ष बनीं. 1949 में उन्होंने पहली बार केंट में डार्टफोर्ड की सीट से चुनाव लड़ा लेकिन कामयाबी नहीं मिली. कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में 1959 में उत्तरी लंदन के फिंचले से पहली बार संसद सदस्य बनीं. 1992 तक लगातार उस सीट से जीतती रहीं. प्रधानमंत्री हैरोल्ड मैकमिलन (1957-1963) के कार्यकाल में वह पहली बार पेंशन मामलों की जूनियर मंत्री बनीं. एडवर्ड हीथ की सरकार (1970-1974) में वह शिक्षा मंत्री रहीं.
मार्गरेट थैचर ने सात से 11 साल के बच्चों को स्कूल में दूध दिए जाने की योजना रोक दी तो विपक्षी लेबर पार्टी की ओर से उन पर खूब हमले किए गए और उन्हें 'दूध छीनने वाली' करार दिया और नारा उछाला गया “मारग्रेट थैचर, मिल्क स्नैचर”.
1979 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद वह पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. सत्ता में आने के बाद थैचर ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण की वकालत की. टैक्स घटाया और सामाजिक खर्च में कटौती की. इन नीतियों की वजह से मुद्रास्फीति घटी लेकिन बेरोजगारी बढ़ी.
1976 में अपने एक भाषण में जब उन्होंने सोवियत संघ की दमनकारी नीतियों की आलोचना की तो रूस के एक अखबार ने उन्हें 'लौह महिला' कह कर खूब प्रचारित किया.
शीत युद्ध में दक्षिणपंथ का झंडा बुलंद करने वाली मार्गरेट थैचर ने 1979 से 1990 के बीच ब्रिटेन की कमान संभाली थी. दक्षिणपंथी ब्रिटेन को आर्थिक ऊहापोह से बाहर निकालने के लिए लेडी थैचर की तारीफ करते हैं. थैचर के समर्थक उन्हें बोझ तले दबे देश को वापस पटरी पर लाने, ताकतवर मजदूर यूनियनों का असर कम करने और दुनिया में ब्रिटेन का रुतबा बहाल करने का श्रेय देते हैं. हालांकि वामपंथी उन पर पारंपरिक उद्योगों को खत्म करने के आरोप लगाते हैं. उनका ये भी आरोप है कि थैचर की नीतियों ने समाज के ताने बाने को तोड़ कर रख दिया.
1987 के आम चुनावों में वह जीत तो जरूर गई, लेकिन घरेलू स्तर पर उनकी नीतियों के प्रति असंतोष बढ़ने लगा था. लिहाजा नवंबर, 1990 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और जॉन मेचर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने. 1992 में उन्होंने हाउस ऑफ कामंस को छोड़ दिया.
उन्होंने बाद में अपने दो संस्मरण भी लिखे. 2001 में जब उनकी तबियत खराब रहने लगी तो उन्होंने अपनी सार्वजनिक गतिविधियां कम कर दीं. 87 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ.
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