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Budget 2023: वित्त मंत्री के डिजिटल 'बही-खाते' से MSMEs को क्या उम्मीदें

महामारी ने पिछले दो वर्षों में पूरे MSME क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे कई व्यवसाय छंटनी और बंद होने का सामना कर रहे हैं.

Budget 2023: वित्त मंत्री के डिजिटल 'बही-खाते' से MSMEs को क्या उम्मीदें

Friday January 27, 2023 , 8 min Read

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1 फरवरी को बजट (Union Budget 2023) पेश करेंगी. वित्त मंत्री के बजट पिटारे से क्या-क्या सौगात निकलने वाली हैं, इस पर सभी की निगाहें हैं. आम आदमी हो या स्टार्टअप्स या बड़े कॉरपोरेट घराने, सब बजट से उम्मीद लगाए हुए हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रखने वाले छोटे उद्योगों (MSMEs) को भी बजट में अपने लिए सकारात्मक ऐलान होने की उम्मीद है. बजट 2023 पर पैनी नजर इसलिए भी है क्योंकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले मौजूदा सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा. आइए जानते हैं कि GDP में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान रखने वाले MSME सेक्टर (Micro, Small and Medium Enterprises) को बजट से क्या अपेक्षाएं हैं...

Lavna Locks के फाउंडर, सनत जैन का कहना है, "हम चाहते हैं कि सरकार टैक्स में कुछ कटौती करे ताकि प्रॉडक्ट डिलीवरी को कॉस्ट इफेक्टिव बनाया जा सके. इससे स्मार्ट सिक्योरिटी प्रॉडक्ट्स के मार्केट में तेजी देखने को मिलेगी और साथ ही साथ वैश्विक बाजार में भी बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, प्रॉडक्ट नवीनीकरण को बढ़ावा देने, प्रतिस्पर्धी बढ़त को मजबूत करने और वैश्विक पहुंच का विस्तार करने के लिए, सरकार को अनुसंधान और विकास के लिए पर्याप्त फंडिंग की घोषणा करनी चाहिए. इस तरह, बिज़नेस वैश्विक बाजार में अपना मजबूत मुकाम हासिल करने में सक्षम होंगे और लागत क्षमता को ध्यान रखते हुए मार्केट में नए स्मार्ट प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा मिलेगा.

छोटे व्यवसायों के लिए कर छूट, ऋण तक पहुंच हो आसान

टेक-इनेबल्ड B2B ई-कॉमर्स व सप्लाई चेन प्लेटफॉर्म Bizongo के को-फाउंडर व सीओओ अनिकेत देब का कहना है कि चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी से उबर रही है, केंद्रीय बजट 2023-24 एमएसएमई क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है. भारत का विनिर्माण उद्योग और एमएसएमई क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे हैं. वैश्विक आर्थिक मंदी के साथ, सरकार के लिए आगामी बजट में इस क्षेत्र पर ध्यान देना आवश्यक है. कपड़ा उद्योग विशेष रूप से बजट का इंतजार कर रहा है क्योंकि इसने हाल ही में कुछ बड़ी चुनौतियों का सामना किया है. बड़े पैमाने पर खंडित आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन की लागत में वृद्धि करने वाली उच्च रसद लागत के कारण कपड़ा निर्माण और निर्यात में पिछले साल भारी गिरावट देखी गई. केंद्रीय बजट 2021 में प्रस्तावित 4,445 करोड़ रुपये के मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा) के तहत सात मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने से कपड़ा उद्योग विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन जाएगा. इसके अलावा, डिजिटल समाधानों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने के लिए नए प्रावधानों को पेश करने से लागत में और कमी आएगी और उत्पादकता और राजस्व में वृद्धि होगी.

उन्होंने आगे कहा कि महामारी ने पिछले दो वर्षों में पूरे एमएसएमई क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे कई व्यवसाय छंटनी और बंद होने का सामना कर रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, निर्माताओं और एमएसएमई को बजट से काफी उम्मीदें हैं, और अधिक प्रोत्साहन की तलाश में हैं. इसलिए, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) आदि जैसे नए युग की टेक्नोलॉजी एप्लीकेशंस के उपयोग के साथ-साथ; विस्तार, क्षमता उपयोग के लिए पूंजीगत व्यय या परिचालन व्यय पर कर प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित करना आदि, बजट एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए. ये सभी उपाय संयुक्त रूप से एमएसएमई क्षेत्र को अपनी पोजिशन को फिर से हासिल करने और भारत के आर्थिक विकास में योगदान करने में मदद करेंगे. लघु उद्योग भी क्रेडिट लाइन और कर प्रोत्साहन में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं जो उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद करेगा.

अनिकेत का यह भी कहना है कि अनुमान है कि 2023 का बजट नई तकनीकों के विकास और स्थायी व्यावसायिक प्रैक्टिसेज को अपनाने के लिए प्रोत्साहन की पेशकश करेगा. कुल मिलाकर, इस वर्ष के बजट में टेक्नोलॉजी में निवेश में वृद्धि, छोटे व्यवसायों के लिए कर छूट, ऋण तक पहुंच आदि पर ध्यान केंद्रित करके एमएसएमई के लिए बहुत आवश्यक राहत प्रदान करने की उम्मीद है. यह महत्वपूर्ण है कि 2023 का बजट एमएसएमई के लिए नियमों को सरल बनाकर और क्रेडिट प्राप्त करना आसान बनाकर, बड़े व्यवसायों के साथ एक समान अवसर प्रदान करे.

बेहद सूक्ष्म माइक्रो यूनिट्स के लिए 'आपातकालीन ओवरड्राफ्ट सुविधा'

Global Alliance for Mass Entrepreneurship के को-फाउंडर मदन पदकी का बजट को लेकर कहना है MSMEs के फलने-फूलने के लिए, एक मजबूत और अधिक अनुकूल इकोसिस्टम बनाना महत्वपूर्ण है, जो राष्ट्रीय उद्यमिता मिशन (NEM) के माध्यम से विलंबित भुगतान, फाइनेंस तक पहुंच को लेकर समस्याओं को दूर करने पर काम करे और उद्यमिता को मिशन मोड पर रखे. इस तरह के उपायों को बजट 2023 में किया जाना चाहिए ताकि भारत के एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए जबरदस्त प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके.

इसके अलावा, सरकार को एमएसएमई को लापरवाह खरीदारों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए सशक्त बनाना चाहिए, बड़े खरीदारों की उधार लागत को सीधे प्रभावित करने के लिए विलंबित भुगतान के लिए एक फॉर्मूला लाना चाहिए, साथ ही एक ऐसा शासनादेश पेश करना चाहिए जो TReDS यानी ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम पर मिनीरत्न, महारत्न और नवरत्नों का लेन-देन सुनिश्चित करे.

मदन पदकी के मुताबिक, एमएसएमई के लिए फाइनेंस तक पहुंच एक सामान्य ज्ञात समस्या है. हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 33%-41% सूक्ष्म व्यवसायों को ऋण देने से मना कर दिया गया क्योंकि उन्हें अधिक कोलैटरल और/या एक अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री की आवश्यकता थी, जबकि 21% कंपनियों को आवेदन के लिए अधिक कागजी कार्रवाई की आवश्यकता थी. बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए, पांच से कम लोगों को रोजगार देने वाले सूक्ष्म व्यवसाय मौसमी रोजगार को अपनाते हैं और उन प्रवासी श्रमिकों को शामिल करते हैं जो राज्य के साथ पंजीकृत नहीं हो सकते हैं. सरकार को इन पर ध्यान देने और एक व्यापक और अनुरूप सरकारी सुरक्षा योजना पेश करने की आवश्यकता है. एक 'आपातकालीन ओवरड्राफ्ट सुविधा' प्रदान करने की आवश्यकता है, जिससे मौजूदा और नए व्यवसायों को आसानी से पैसे मिल सकें.

ब्यूटी इंडस्ट्री की बजट डिमांड

ब्यूटी इंडस्ट्री की बजट डिमांड की बात करें तो Recode Studios के फाउंडर धीरज बंसल ने बजट को लेकर कहा है, “2023-2024 के बजट में विशेष नीतियां और GST के स्पष्ट नियम व विनियम होने चाहिए. यह ब्यूटी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में मदद करेगा. ब्यूटी व कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री भारत में सैकड़ों-हजारों लोगों को रोजगार प्रदान कराती है और देश की GDP में महत्वपूर्ण योगदान देती है. पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स ब्यूटी और कॉस्मेटिक सेगमेंट में देखे गए हैं. हमें उम्मीद है कि इस पर ध्यान देते हुए सरकार आगामी बजट में नए स्टार्टअप्स के लिए नई नीतियां लाएगी, जिससे इस क्षेत्र में आने वाले स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा. सरकार को कंज्यूमर फ्रेंडली टैक्स, सब्सिडी और टैक्स में कटौती पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन मिले और साथ ही साथ रोजगार के नित्य नए अवसर पैदा हो सकें.

मिलाप कॉस्मेटिक्स के डायरेक्टर और फाउंडर, रवि चड्ढा के मुताबिक, 'हाल के वर्षों में, इंडियन कस्टमर्स के बीच ब्यूटी एंड कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स की मांग में वृद्धि देखने को मिली है. कस्टमर्स की मांगों को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों ने अपने मार्केटिंग बजट में काफी इजाफा किया है. आने वाले 2023-24 के बजट में इस बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार को टैक्स में छूट और नियमों में ढील के साथ-साथ सब्सिडी जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए. जिससे इसकी पहुंच छोटे शहरों तक हो और लोग इसके प्रॉडक्ट्स किफायती दामों में खरीद सकें.' ब्यूटी एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि यदि सरकार इस क्षेत्र के लिए स्पष्ट नीति लेकर आती है तो इसके सप्लाई चेन को बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही साथ यह कॉस्ट-इफेक्टिव भी हो सकेगा.

Vedic Cosmecuticals के फाउंडर और डायरेक्टर Mohit Goel कहते हैं- 'मौद्रिक नीति सख्त होने की वजह से एसएमई कंपनियां हर रोज लिक्विडिटी की समस्या झेल रही हैं. हमारा सुझाव है कि सरकार को राष्ट्रीयकृत बैंकों को उपार्जित जीएसटी क्रेडिट को कोलेट्रल की तरह इस्तेमाल करते हुए लिक्विडिटी को आसान बनाना चाहिए. तमाम वैश्विक कारणों के चलते कच्चे माल की इनपुट कॉस्ट लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में वेलनेस सेक्टर में सरकार को एसएमई कंपनियों पर टैक्स के बोझ को और कम करने पर विचार करना चाहिए. लंबी अवधि में वेलनेस इंडस्ट्री एक बड़ा योगदान देने वाली है. बहुत सारे स्टार्टअप ढेर सारे प्रोडक्ट ऑफर कर रहे हैं. इससे सरकारी खजाने में भी बढ़ोतरी होगी. 2018 में इस इंडस्ट्री की वैल्यू करीब 901.07 अरब रुपये थी और अनुमान है कि 2024 तक ये इंडस्ट्री 2463.49 अरब रुपये की हो जाएगी. इस तरह 2019-2024 के बीच में इस इंडस्ट्री की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट यानी सीएजीआर (CAGR) देखें तो वह करीब 18.40 फीसदी आता है. वेलनेस इंडस्ट्री में एसएमई को पीएलआई स्कीम का भी फायदा दिया जाना चाहिए, ताकि तेजी से बढ़ रहे इस सेक्टर को बढ़ावा मिल सके.'