सिलाई मशीन से अपना सफर शुरू करने वाली नीता लूला आज हैं दुनियाभर के लोकप्रिय डिज़ाइनरों में शुमार
कुछ ऐसा रहा एक सिलाई मशीन से चार नैशनल अवार्ड्स जीतने तक का ऐतिहासिक सफ़र
क़रीब तीन दशकों से फ़ैशन के क्षेत्र में काम कर रहीं नीता ने हिंदी सिनेमा जगत के कई बड़े-बड़े निर्देशकों के साथ काम किया है। अपने घर में एक सिलाई मशीन के साथ काम की शुरूआत करने वाली नीता आज दुनियाभर के सबसे लोकप्रिय डिज़ाइनरों में शुमार हैं।
नीता ने आगे की पढ़ाई से बचने के लिए 16 साल की कम उम्र में शादी कर ली, लेकिन उनके ससुराल का माहौल शिक्षा को बढ़ावा देने वाला था। आख़िरकार यह तय हुआ कि नीता कुकिंग या टेलरिंग में अपनी शिक्षा पूरा करेंगी।
फ़ैशन की दुनिया का आइकॉन समझी जाने वाली डिज़ाइनर नीता लूला की शख़्सियत अनूठी है। वह भारत की पहली ऐसी कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर हैं, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति से 4 बार बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए नैशनल फ़िल्म अवार्ड मिला। इतना ही नहीं, उन्हें फ़ैशन और लाइफ़स्टाइल के लिए कई नैशनल और इंटरनैशनल अवार्ड्स भी मिले। क़रीब तीन दशकों से फ़ैशन के क्षेत्र में काम कर रहीं नीता ने हिंदी सिनेमा जगत के कई बड़े-बड़े निर्देशकों के साथ काम किया है। अपने घर में एक सिलाई मशीन के साथ काम की शुरूआत करने वाली नीता आज दुनियाभर के सबसे लोकप्रिय डिज़ानरों में शुमार हैं।
अपने कॉलेज के दिनों में अधिकतर टी-शर्ट और जीन्स पहनने वाली नीता की फ़ैशन से पहली मुलाक़ात मैगज़ीन्स के माध्यम से हुई, फ़ैशन और बॉलीवुड मैगज़ीन्स पढ़ना नीता को रास आने लगा। नैशनल अवार्ड जीतने वाली नीता लूला ने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों को अपने हुनर से ख़ूबसूरत बनाया है और तीन दशक लंबे अपने करियर में 10 लाख से ज़्यादा ग्राहकों का दिल जीता है। नीता लूला का बचपन हैदराबाद में बीता, जहां उन्हें बहुत जल्दी समझ आ गया कि ऐकेडमिक्स उन्हें पसंद नहीं है, और उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।
नीता बताती हैं कि उनकी मां को हमेशा उनकी पढ़ाई को लेकर चिंता रहती थी, और वह इस बात से परेशान थीं कि नीता कभी बाक़ी लड़कियों की तरह खाना बनाना या सिलाई कढ़ाई जैसे काम करेंगी या नहीं। लेकिन नीता के पिता हमेशा उन्हें स्पोर्टस् में जाने के लिए प्रेरित किया करते थे। उनके पिता ने ही उनके पढ़ने के शौक़ को भी बढ़ावा दिया और उन्हें 'सेवेंटीन' और 'कॉस्मोपॉलिटन' जैसी मैग्ज़ीन्स लाकर दीं, जो उस समय आसानी से उपलब्ध नहीं थीं। नीता लूला के मुताबिक़ यही वह समय था, जब फ़ैशन और स्टाइलिंग से उनका लगाव मज़बूत हुआ।
नीता ने आगे की पढ़ाई से बचने के लिए 16 साल की कम उम्र में शादी कर ली, लेकिन उनके ससुराल का माहौल शिक्षा को बढ़ावा देने वाला था। आख़िरकार यह तय हुआ कि नीता कुकिंग या टेलरिंग में अपनी शिक्षा पूरा करेंगी। जिसके बाद नीता ने मुम्बई की एसएनडीटी युनिवर्सिटी से 'पैटर्न मेकिंगऔर गार्मेंट मैन्यूफ़ैक्चर' में डिप्लोमा किया। जहां उनकी मुलाक़ात उनके पहले गुरू हेमंत त्रिवेदी से हुई, जिन्होंने नीता को मेक-अप, फ़ैशन कोरियोग्राफ़ी और स्टाइलिंग के गुर सिखाए।
इसी दौरान नीता मशहूर फ़ैशन कोरियोग्राफ़र जिऐन नाओरोजी से मिलीं, जिन्होंने नीता के हुनर को पहचाना और उन्हें अपने साथ काम करने का मौक़ा दिया। नीता ने जिऐन नाओरोजी के साथ लगभग ढाई साल उनकी सहायक के तौर पर काम किया। करियर के शुरूआत में नीता लूला ने काम के साथ साथ एसएनडीटी युनिवर्सिटी में बतौर फ़ैशन कोऑर्डिनेटर, पढ़ाना भी शुरू कर दिया था।
नीता की ज़िन्दगी सुकून से बीत रही थी, लेकिन वह अपने काम के आउटपुट से संतुष्ट नहीं थीं। तभी क़िस्मत ने भी उनका साथ दिया, और उनके साले ने उन्हें 'तमाचा' फ़िल्म के लिए काम करने का मौक़ा दिया और नीता तैयार हो गईं। नीता आज भी याद करती हैं कि जिऐन नाओरोजी को उनके काम छोड़ने पर ऐतराज़ था, लेकिन नीता ने समय के साथ चलने का फ़ैसला किया और फ़िल्मों की दुनिया मेंअपना पहला क़दम रखा।
'तमाचा' में नीता ने किमी काटकर और भानुप्रिया की स्टाइलिंग पर काम किया। लेकिन फ़ैशन की दुनिया में उन्हें नई पहचान दिलाने वाली फ़िल्म बनी 'चांदनी', जहां उन्हें जूही चावला के साथ काम करना का मौक़ा मिला। आगे चलकर नीता लूला ने उस समय की बड़ी अभिनेत्रियों के साथ भी काम किया, जिनमें ऐश्वर्या राय और श्रीदेवी जैसे मशहूर नाम शामिल हैं।
भाई भतीजावाद से पीड़ित बॉलीवुड में नीता ने अपनी अलग पहचान बनाई और 300 से ज़्यादा भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फ़िल्मों के लिए शानदार काम किया। वह बताती हैं कि उस समय उनका इरादा, सबकुछ भूलकर सिर्फ़ काम पर ध्यान देने का था। भारत में उन की ख़ास फ़िल्मों में 'चांदनी', 'लम्हे', 'खलनायक', 'रूप की रानी चोरों का राजा', 'ताल', 'किसना', 'डर', 'आईना', 'खुदा गवाह', 'हम दिल दे चुके सनम', 'देवदास', 'जोधा अकबर' आदि शामिल हैं, वहीं हॉलिवुड की 'वन नाइट विद द किंग', 'मिस्ट्रेस ऑफ़ स्पाइसेस', 'ब्राइड ऐंड प्रीजूडिस' और 'प्रोवोक्ड' में भी उनके काम की जमकर सराहना हुई।
नीता लूला ने अपने बिज़नेस की शुरूआत 500 रुपये के साथ की थी, और उनके पास काम करने के लिए सिलाई की एक मशीन और एक कारीगर था। आज नीता लूला के दुनियाभर में 10 लाख से ज़्यादा ग्राहक हैं। उनके ब्रैंड 'हाउस ऑफ़ नीता लूला' के चार प्रमुख वर्टिकल्स हैं, जिनके नाम हैं 'निश्क', 'नीता लूला', 'लिटिल निश्क' और 'एन ब्राइड'।
फ़ैशन से कुछ ज़्यादा…
नीता का मानना है कि बॉलिवुड में भाई भतीजावाद के अलावा जेंडर बायस भी एक बड़ी समस्या है। नीता कहती हैं कि इंडस्ट्री में इतने साल काम करने के बाद उन्होंने यह सीखा है कि अगर आपको कुछ अलग चाहिए और वह आपको नहीं मिल रहा हो, तो उसे ख़ुद बनाइये। नीता आगे बताती हैं कि उन्हें ख़ुद कई बार जेंडर बायस का शिकार होना पड़ा, लेकिन उन्हें विश्वास है कि महिला डिज़ाइनर्स के लिए यह बेहतरीन समय है, क्योंकि अभी बॉलिवुड अपनी ग़लतियों को सुधारने की कोशिश कर रहा है।
नीता ने पिछले साल #SheIsMe नाम से एक कैम्पेन भी लॉन्च किया था, जिसके ज़रिए उन्होंने भ्रूण हत्या और निर्भया बलात्कार जैसे मामलों पर बुलंदी से अपना विरोध दर्ज कराया और वह आगे भी समाज की बेहतरी के लिए काम करने की इच्छा रखती हैं। चार नैशनल अवार्ड जीतने वाली फ़ैशन डिज़ाइनर नीता लूला के ब्रैंड की ऑनलाइन मार्केट में भी ज़बरदस्त पकड़ है। नीता ने अपने ब्रैंड में कांचीवरम, कालामकी और बनारसी परिधानों को जगह देकर भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' कैम्पेन के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आने वाले तीन सालों में वह अपने ब्रैंड को सभी मेट्रो सीटिज़ के साथ साथ उन छोटे शहरों तक भी ले जाना चाहती हैं, जहां दुल्हनों की डिज़ाइनर पोशाकों तक कोई पहुंच नहीं है।
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