छोटे शहरों के लिए ऑटो के दाम में कैब सर्विस, ड्राइवरों का भी रखता है पूरा ख़्याल
ओला और ऊबर जैसी कैब सर्विसेज़ के बाद अब नोएडा का यह स्टार्टअप ऑटो के दाम में दे रहा कैब सर्विस। इस स्टार्टअप का उद्देश्य है कि कंपनी के साथ जुड़े ड्राइवर्स हमेशा काम से संतुष्ट रहें और उनके पास कभी भी काम की कमी न हो।
शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि शहरी आबादी ने कम से कम एक बार तो किसी न किसी टैक्सी या कैब सर्विस ऐप का इस्तेमाल किया ही होगा। लोग आरामतलब हो चुके हैं और वह भी तब जब आप अपने स्मार्टफ़ोन की मदद से बस कुछ देर में ही किफ़ायती क़ीमतों में कैब सर्विस बुक कर सकते हों।
अनुमान के मुताबिक़, 2019 तक भारत में यह बाज़ार 675 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। हाल में, इस मार्केट में ओला और ऊबर कैब सर्विसेज़ का दबदबा है। इतना बड़ा मार्केट होने के बावजूद आंकड़ों के मुताबिक़, ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेज़ की पहुंच सिर्फ़ 2 प्रतिशत आबादी तक है, जो 2023 तक 2.9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेज़ ने देश के सिर्फ़ 10-12 शहरों तक ही अपने ऑपरेशन्स को केंद्रित रखा है। वैसे तो ओला और ऊबर ने कुछ टियर-II शहरों में भी अपनी सर्विसेज़ लॉन्च कर दी है, लेकिन अभी तक प्रमुख रूप से बड़े शहरों में ही इनका ज़्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इस कमी को पूरा करने के उद्देश्य के साथ ही, नोएडा के यश कपूर ने 2018 में टुक टुक राइड नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की।
इस सर्विस को 2018 में जनवरी में दिल्ली-एनसीआर में लॉन्च किया गया था। इस ऐप सर्विस को तैयार करने में 10 महीनों का वक़्त खर्च हुआ। इस साल के अंत तक इस सर्विस को इंदौर, भोपाल, कानपुर, लखनऊ, जयपुर और इंदौर में भी लॉन्च करने की तैयारी चल रही है। कंपनी की योजना है कि 2020 तक भारत के 20 छोटे शहरों में टुक टुक राइड को लॉन्च किया गया, जहां पर स्मार्टफ़ोन्स के यूज़र्स की संख्या पर्याप्त है।
कंपनी के फ़ाउंडर यश ने योर स्टोरी को बताया, "ये कुछ ऐसे शहर हैं, जहां पर ओला और ऊबर की कैब सर्विसेज़ बेहद कमज़ोर हैं या फिर इन शहरों में इन सर्विसेज़ ने अपने ऑपरेशन्स अभी तक शुरू ही नहीं किए हैं। यहां के लोग कैब सर्विसेज़ को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन ये कैब सर्विसेज़ छोटे शहरों में अपनी सर्विसेज़ सुधारने की दिशा में कुछ ख़ास प्रयास नहीं कर रही हैं। अगर आज की तारीख़ में सभी कुछ डिजिटल है तो फिर कैब्स क्यों नहीं?"
टुक टुक राइड की यूएसपी है, ऑटो के दाम में कैब राइड। ग्राहकों के लिए 14 रुपए प्रति किलोमीटर का फ़्लैट रेट है और साथ ही, अन्य किसी तरह का अतिरिक्त चार्ज या कैंसल करने के चार्ज भी नहीं ली जाती। इसके अतिरिक्त, ग्राहकों को पहली राइड मुफ़्त में कराई जाती है।
टुक टुक राइड की मदद से आप 8 रुपए प्रति किलोमीटर के रेट से बाइक टैक्सी बुक कर सकते हैं। कंपनी जल्द ही लग्ज़री कार्स, विटेंज कार्स, ई-बाइक्स, डिलिवरी व्हीकल्स, ऐंबुलेंस इत्यादि की सर्विसेज़ भी लॉन्च करने की योजना बना रही है। यश न सिर्फ़ एक टैक्सी सर्विस बल्कि एक एंड-टू-एंड 'ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क' तैयार करना चाहते हैं।
यश का कहना है, "यह पूरी तरह के एक डिमांज और सप्लाई का खेल है। भारत की आबादी अधिक और यहां पर हर चीज़ की पर्याप्त मांग है। अगर हम देश की आबादी के एक प्रतिशत हिस्से तक भी पहुंच पाते हैं तो हम एक सफल कंपनी बन सकते हैं।"
टुक टुक राइड का दावा है कि अभी तक उनके साथ 1 हज़ार यूज़र्स जुड़ चुके हैं। कैब सर्विस का ऐप रोज़ाना 150 राइड्स पूरी करता है को उनकी योजना है कि इस साल के अंत तक इस आंकड़े को 10, 000 राइड्स तक पहुंचाया जाए। अभी तक इस सर्विस के साथ 4 हज़ार से ज्यादा गाड़ियां (3,500 कैब्स और 550 बाइक्स) जुड़ चुकी हैं। कंपनी चाहती है कि 2020 तक उनके साथ 1 लाख गाड़ियों की फ़्लीट मौजूद हो।
बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग के साथ शुरू हुई इस कंपनी ने टाटा मोटर्स और मारुति को बतौर कैब पार्टनर्स, टीवीएस को बाइक पार्टनर और हीरो को इलेक्ट्रिक व्हीकल पार्टनर अपने साथ जोड़ लिया है। यश ने बताया कि अभी उनके पास एक साल तक के फ़ंड्स हैं।
यश बताते हैं कि हमारे देश में ज़्यादातर कैब ड्राइवर असंतुष्ट रहते हैं क्योंकि कंपनियां उनका पूरी तरह से ख़्याल नहीं रखतीं। यश ने बताया कि उन्होंने लंबे समय तक दिल्ली-एनसीआर में कैब राइड्स के दौरान कई ड्राइवरों के साथ बातचीत की और उनकी परेशानी की वजहें पता लगाईं और इन समस्याओं को दूर करने के लिए ही उन्होंने एक ड्राइवरों पर केंद्रित प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया।
आज की तारीख़ में, टुक टुक अपने 5 हज़ार ड्राइवरों से कोई भी कमीशन चार्ज नहीं करता है। साथ ही, ड्राइवरों को तुरंत ही पैसा मिल सके, इसलिए कंपनी ग्राहकों से निवेदन करती है कि वे कैश पेमेंट की करें। कंपनी से जानकारी मिली कि वॉलेट पेमेंट्स की सुविधा भी जल्द ही शुरू कर दी जाएगी।
यहां तक कि टुक टुक ने ग्राहकों के लिए ऐप लॉन्च करने से तीन महीने पहले ही ड्राइवर ऐप्लिकेशन लॉन्च कर दिया था। कंपनी अपेक्षा करती है कि उनके साथ जुड़े ड्राइवर, एक दिन में कम से कम पांच राइड्स ज़रूर पूरी करें, जो कि अन्य कैब सर्विसेज़ की अपेक्षा काफ़ी कम है।
कंपनी के बिज़नेस मॉडल की वजह से उन्हें हर राइड के साथ नुकसान झेलना पड़ रहा है, लेकिन यश का कहना है कि अभी उनके पास कंपनी को चलाने के लिए पर्याप्त फ़ंड्स हैं। साथ ही, उनका कहना है कि अगर 2020 तक उनके सारे पार्टनरशिप प्लान्स सफल हुए तो कंपनी को मुनाफ़ा होना शुरू हो जाएगा, जिसके बाद कंपनी ड्राइवरों से कमीशन चार्ज करना भी शुरू कर देगी। यश कहते हैं कि निश्चित तौर पर उनकी कंपनी ओला और ऊबर की तरह अपने ड्राइवरों को पेमेंट नहीं दे सकती, लेकिन उनके लिए ज़रूरी है कि उनके साथ जुड़े ड्राइवरों को लगातार राइड्स मिलती रहे और वे पूरी तरह से कंपनी के बर्ताव से संतुष्ट रहें।
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