पुराने कपड़ों को 'नया' बनाकर ज़रूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान ला रहा कोलकाता का यह स्टार्टअप
हर स्टोरी द्वारा आयोजित विमिन ऑन अ मिशन समिट में पुरस्कार जीतने वाली सुजाता चटर्जी ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि किस तरह उनकी कंपनी कपड़ों की बर्बादी को रोकते हुए, आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की ज़रूरतें पूरी कर रही है।
रीटेल इंडस्ट्री के लगातार विकास के चलते अब लोग शॉपिंग के आदी से हो चुके हैं। लोगों के वार्डरोब्स में इतने कपड़े इकट्ठा हो जाते हैं कि वे कई कपड़े इस्तेमाल ही नहीं करते और उन्हें रखकर भूल जाते हैं। यह समस्या लगभग हर दूसरे आदमी के साथ है, लेकिन आमतौर पर लोग इसे नज़रअंदाज़ करते हैं और यह नहीं सोचते कि ये कपड़े किसी ज़रूरतमंद के काम आ सकते हैं। आम तौर-तरीक़ों से इतर चलने वाले ही तो मिसाल क़ायम करते हैं और कोलकाता की सुजाता चटर्जी भी कुछ ऐसा ही कर रही हैं।
सुजाता ने 2017 में बतौर ऑन्त्रप्रन्योर अपने सफ़र की शुरुआत करते हुए Twirl.Store की शुरुआत की। इस स्टार्टअप के माध्यम से सुजाता को कई उद्देश्यों को पूरा करना था; कपड़ों की बर्बादी को रोकना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, प्राकृतिक संसाधनों को बचाना और आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के लोगों की कपड़ों की ज़रूरत को पूरा करना।
हम अपने आस-पास ही ऐसे कई उदाहरण देखते हैं, जिनमें एक शख़्स के पास इतने कपड़े हैं कि वह एकबार पहने हुए आउटफ़िट को दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहता और वहीं एक ऐसा व्यक्ति भी हमारे बीच मौजूद है, जिसके पास पहनने के लिए कपड़ा ही नहीं है। इस अंतर को ख़त्म करते हुए एक संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य के साथ सुजाता ने अपने स्टार्टअप ट्विर्ल करी शुरुआत की।
अपने ब्रैंड नेम के बारे में विस्तार से बात करते हुए सुजाता कहती हैं, "ट्विर्ल का मतलब होता है कि घूमना या चक्कर लगाना। ब्रैंड नेम के तौर पर ट्विर्ल, रीटेल मार्केट में एक सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया की ओर इशारा करता है यानी उत्पादों को लगातार इस्तेमाल के योग्य बनाना।"
गिफ़्ट या रिवार्ड सिस्टम हर ग्राहक को रास आता है। इस अवधारणा को समझते हुए ट्विर्ल पुराने कपड़े देने वाले लोगों को रिवार्ड पॉइंट्स देता है, जिसका इस्तेमाल वे वेबसाइट से अपसाइकल हुए प्रोडक्ट्स ख़रीदने के लिए कर सकते हैं। सुजाता बताती हैं कि ट्विर्ल देशभर में पुराने कपड़ों के मुफ़्त पिकअप की सुविधा भी देता है।
पुराने या इस्तेमाल किए हुए कपड़े इकट्ठा करने के बाद टीम या तो उन्हें दान कर देती है या फिर उन्हें अपसाइकलिंग के भेज देती है। ट्विर्ल की टीम का दावा है कि अभी तक वे 10,000 अपसाइकल्ड प्रोडक्ट्स की सप्लाई कर चुकी है।
कलेक्शन के बाद टीम प्राप्त सामग्री की ठीक तरह से जांच करती है। अगर फ़ैब्रिक पुनः इस्तेमाल के योग्य होता है और उसे अपसाइकल किया जा सकता है तो उसे धुला जाता है और फिर नए और डिज़ाइनर उत्पाद जैसे कि ऐक्ससरीज़ और बैग इत्यादि तैयार किए जाते हैं। जिन कपड़ों को अपसाइकल नहीं किया जा सकता है, उन्हें दान में दे दिया जाता है। कंपनी गैर-सरकारी संगठनों की मदद से कैंप्स इत्यादि आयोजित कराती है और ज़रूरतमंदों को पुराने कपड़े बांटती है।
सुजाता ने जानकारी दी कोलकाता की बस्तियों समेत शांतिनिकेतन और सुंदरवन इत्यादि के गांवों में डोनेशन ड्राइव्स आयोजित कराई जाती हैं। कंपनी अपने सहयोगियों, क्लाइंट्स और ग्राहकों को इन ड्राइव्स के बारे में पहले से ही सूचित कर देती है। इन आयोजनों के फ़ोटोज़ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लोगों को जागरूक भी किया जाता है।
समाज के लिए कुछ सकारात्मक करने की अपनी इस मुहिम के अंतर्गत सुजाता कोलकाता और आस-पास की महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी काम कर रही हैं। इन क्षेत्रों की महिलाएं सुजाता की टीम का हिस्सा हैं और रोज़गार के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं। कपड़ों को अपसाइकल करने से लेकर नए उत्पाद तैयार करने तक, सभी जिम्मेदारियां मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं द्वारा ही संभाली जाती हैं।
कोलकाता में पैदा हुईं और पली-बढ़ीं सुजाता ने अपने करियर की शुरुआत एक आईटी कंपनी के साथ की थी। सुजाता बताती हैं कि ट्विर्ल की शुरुआत से पहले उनके आस-पास के लोगों ने उन्हें बिल्कुल भी बढ़ावा नहीं दिया और उनके आइडिया पर भरोसा नहीं जताया। इसके बावजूद, हिम्मत हारने के बजाय सुजाता का इरादा और भी मज़बूत हुआ और ट्विर्ल की शुरुआत की।
ट्विर्ल की शुरुआत बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग से हुई थी और कंपनी के पास फ़ंड सीमित ही रहा है। ऐसे में अभी तक कंपनी पूरी तरह से ऑर्गेनिक ग्रोथ के साथ ही आगे बढ़ रही है। सुजाता कहती हैं, "मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, लोगों को ट्विर्ल के ऑपरेशन्स के बारे में जागरूक करने की, लेकिन टीम के साथ की बदौलत हमने इस चुनौती को भी पार किया।"
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