फ्लैग कोड में बदलाव से तिरंगे के दाम में आएगी कमी, सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में मिलेगी मदद
30 दिसंबर, 2021 में फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन के बाद राष्ट्रीय ध्वज अब हाथ से काता और हाथ से बुना या मशीन से बना, कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम खादी बंटिंग से बनाया जा सकता है. अब सरकार को उम्मीद है कि इससे तिरंगे को बनाने में लगने वाली लागत कम हो जाएगी.
देश की आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर देश के हर एक घर पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखने वाली केंद्र सरकार को उम्मीद है कि फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन होने के बाद तिरंगे की कीमत में कमी आएगी.
दरअसल, देश की आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर सरकार 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू करेगी. इसके तहत देश के हर घर पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा गया है.
हालांकि, फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 के तहत राष्ट्रीय झंडे को बनाने के लिए केवल हाथ से काता या हाथ से बुनी हुई खादी का ही इस्तेमाल हो सकता थी. हाथ से बुनी हुई खादी की लागत बहुत अधिक आती है.
लेकिन, 30 दिसंबर, 2021 में फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन के बाद राष्ट्रीय ध्वज अब हाथ से काता और हाथ से बुना या मशीन से बना, कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम खादी बंटिंग से बनाया जा सकता है. अब सरकार को उम्मीद है कि इससे तिरंगे को बनाने में लगने वाली लागत कम हो जाएगी.
फ्लैग कोड में बदलाव से सरकार के व्यापक हर घर तिरंगा अभियान को मदद मिलने की उम्मीद है. यह अभियान देश की आजादी की 75वीं सालगिरह 15 अगस्त, 2022 के अवसर पर लॉन्च किया जाएगा. इस अभियान के तहत लोग अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे.
यह अभियान आजादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा है. इसके तहत देशभर में 20 करोड़ राष्ट्रीय झंडों को बेचने और फहराने का लक्ष्य रखा गया है.
बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय झंडे के उत्पादन के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों को जिम्मेदारी दे सकती है जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान मास्क और पीपीई किट्स बनाने की जिम्मेदारी ली थी.
हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. सरकार ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय ध्वज को मुफ्त में नहीं बांटा जाएगा. लोगों को उन्हें खरीदना होगा.
फ्लैग कोड में बदलाव का खादी उद्योग ने किया विरोध
फ्लैग कोड, 2002 में संशोधन किए जाने का देशभर के खादी उद्योग से जुड़े संगठन विरोध कर रहे हैं. एकमात्र BIS द्वारा मंजूर झंडा बनाने वाली ईकाई कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि इस संशोधन से पूरा खादी सेक्टर प्रभावित होगा. मैसूर के खादी नुलुगरारा बालागा ने इसके विरोध में ध्वज सत्याग्रह करने का फैसला किया है.