उत्तर प्रदेश के इस प्रिंसिपल ने अपनी जेब से 16 लाख रूपये लगाकर बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत
अपनी बदहाली को लेकर कोसे जाने वाले सरकारी स्कूलों में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जिसने अपनी गुणवत्ता के दम पर क्षेत्र के कई निजी स्कूलों को बंद करवा दिया, हालांकि ये सब इतना भी आसान नहीं था, लेकिन स्कूल के प्रधानाचार्य कपिल मलिक ने मजबूत इरादों के चलते यह सब होता चला गया।
हौसले बुलंद हों और मन में दृन विश्वास हो तो कुछ भी हो सकता है। आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा सरकारी स्कूल है, जिसने सुविधाओं और शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में अच्छे से अच्छे प्राइवेट स्कूलों को भी पीछे छोड़ रखा है।
उत्तर प्रदेश में एक जिला है संभल, जिसमें असमोली विकास क्षेत्र में आता है प्राथमिक विद्यालय इटायला माफी। यूं तो सरकारी स्कूल का नाम जेहन में आते ही एक लगभग खंडहर हो चुकी इमारत में चल रही पाठशाला की छवि आती है, जिसमें 10-15 बच्चे बैठे पढ़ रहे हैं, लेकिन जैसे ही आप इस स्कूल की एक झलक देखते हैं, वो छवि झट से चकनाचूर हो जाती है।
यह स्कूल पहले से इतना खूबसूरत नहीं था, इस स्कूल को श्रेष्ठ बनाने का श्रेय जाता है स्कूल के प्रधानाचार्य कपिल मलिक को। जब साल 2010 में कपिल को इस स्कूल में नियुक्ति मिली तब स्कूल की हालत काफी बदतर थी। स्कूल में शिक्षा व्यवस्था और अन्य सुविधाएं बिलकुल आम सरकारी स्कूलों की तरह ही थी, यही कारण था कि तब इस स्कूल में सिर्फ 47 बच्चों का नामांकन था, जिसमें करीब 15 बच्चे ही पढ़ने आते हैं।
2013 में कपिल इस स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाचार्य बने। स्कूल की चरमराई व्यवस्था को देख कपिल ने अपने कंधों पर यह ज़िम्मेदारी लेते हुए स्कूल का कायाकल्प करने की ठानी।
खुद ही लगाए स्कूल में पैसे
उत्तर प्रदेश में सरकार की तरफ से स्कूलों के रखरखाव के लिए कुल 6 हज़ार रुपये हर साल मिलते हैं, लेकिन कपिल ने इस स्कूल को सँवारने में अब तक 16 लाख रुपये खर्च किए हैं, जाहिर सी बात है ये राशि कपिल ने अपनी तरफ से ही खर्च की है। इस निस्वार्थ भाव के पीछे कपिल के परिवार का भी बड़ा हाथ है। कपिल के परिवार ने उन्हे कभी इस नेक काम के लिए नहीं रोंका टोंका।
कपिल के अनुसार इस नेक पहल में स्कूल के अन्य अध्यापक भी उनका हर तरह से सहयोग करते हैं। कपिल के पिता का सौर ऊर्जा का व्यवसाय है, ऐसे में कपिल को आर्थिक रूप से जरूरी आज़ादी मुहैया है, फिर भी कपिल ने अपना वेतन और घर से ली हुई राशि को इस विद्यालय के कायाकल्प में खर्च किया है।
स्कूल में क्या है खास?
स्कूल का प्रांगण ही आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगा शायद इस स्कूल की फीस काफी अधिक होगी, लेकिन सरकारी स्कूल होने के कारण वहाँ छात्रों को मुफ्त में शिक्षा मिलती है। इस प्राथमिक स्कूल के छात्र जनपद में टॉप कर रहे हैं।
हर कक्षा है आलीशान
स्कूल में बनी कक्षाओं में जाते ही आपको किसी अच्छे कान्वेंट स्कूल का अनुभव होने लगता है। इन कमरों को छात्रों की पढ़ाई के अनुरूप ही सजाया गया है। पंखा, फर्नीचर और अन्य बुनियादी सुविधाओं के साथ ये कक्षाएँ काफी सलीके से सुसज्जित हैं।
छात्र कर रहे हैं टॉप
इस प्राथमिक विद्यालय एक छात्र जनपद में टॉप कर रहे हैं। छात्रों की पढ़ाई में रुचि कुछ इस कदर बढ़ी है कि अब छात्र 95 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित कर पा रहे हैं। इसका श्रेय पूरी तरह से कपिल और इनके प्रयासों को जाता है। स्कूल में शिक्षा के स्तर का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि इस स्कूल के चलते इलाके के कई कान्वेंट स्कूल बंद भी हो चुके हैं। इस प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 250 से अधिक है।
वाईफाई और स्मार्ट क्लास से लैस है स्कूल
यह सूबे के उन चुनिन्दा प्राइमरी स्कूलों में से है जहां छात्रों को कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है। स्कूल की खास बात ये है कि इस स्कूल में शिक्षक मार्कर बोर्ड पर ही पढ़ाते हैं। स्कूल में वाईफाई के साथ ही स्मार्ट क्लास की भी व्यवस्था है, जिससे छात्रों को रुचिपूर्ण ढंग से अधिक से अधिक सीखने में मदद मिलती है।
छात्रों को दी जाती है यूनिफॉर्म
यूपी के सरकारी स्कूलों में यूं तो खाकी यूनिफॉर्म का चलन है, लेकिन इस स्कूल में छात्रों को टाई और आई कार्ड भी मुहैया कराये जाते हैं। इसी के साथ ही छात्रों का हर महीने टेस्ट होता है, जिसमें टॉप करने वाले छात्रों का नाम स्कूल के बोर्ड पर अंकित किया जाता है।
सीसीटीवी कैमरे से लैस है स्कूल
स्कूल में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं। छात्रों की सुरक्षा और स्कूल की संपत्ति को सुरक्षित बनाए रखने में ये सीसीटीवी कैमरे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही इन कैमरों की मदद से स्कूल की सभी कक्षाओं को प्रधानाचार्य अपने कमरे से मॉनिटर कर सकते हैं।
ऐसा मिड-डे मील कहीं नहीं
सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड-डे मील खाने को लेकर लोगों की आम अवधारणा यही है कि यहाँ मिलने वाला खाना बेहद घटिया क्वालिटी का होता है, लेकिन कपिल ने अपने स्कूल में इस अवधारणा को बदल कर रख दिया है। कपिल राशन की ख़रीदारी खुद करवाते हैं। स्कूल में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता बेहद अच्छी है, जिससे छात्रों को मिड-डे मील खाने से कभी परहेज नहीं होता है।
लगती है बायोमेट्रिक उपस्थिती
स्कूल में बायोमेट्रिक मशीन के द्वारा छात्रों की उपस्थिती दर्ज़ कराई जाती है। बायोमेट्रिक उपस्थिती के चलते छात्र भी समय का बेहद ख्याल रखते हैं, साथ ही इस तकनीक की मदद से उपस्थिती के आंकड़ों को सहेजना भी काफी सरल हो जाता है। बायोमेट्रिक मशीन से ली गई यह उपस्थिती ही शिक्षा अधिकारी के पास भेजी जाती है।
सीएम से मिल चुका है पुरस्कार
प्राथमिक विद्यालय इटायला माफी को सूबे के सबसे स्वच्छ प्राथमिक विद्यालय होने के चलते सम्मानित किया जा चुका है, कपिल मलिक को यह सम्मान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों मिला था। गौरतलब है कि कपिल को इसी के साथ शिक्षा विभाग से इनाम के तौर पर राशि मिल चुकी है, जिसे कपिल ने स्कूल के विकास में लगा दिया था।