चेतन शर्मा के स्टिंग ऑपरेशन ने निजता का अधिकार बनाम जनहित पर फिर शुरू की बहस?
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा के मामले ने एक बार फिर से स्टिंग ऑपरेशन की वैधता को लेकर बहस शुरू कर दी है. लंबे समय से स्टिंग ऑपरेशन की वैधता पर बहस होती रही है.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा (Chetan Sharma) मंगलवार को एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में चयन मसलों से जुड़े मामलों का कथित तौर पर खुलासा करने के कारण विवाद में फंस गए है. इस मामले ने एक बार फिर से स्टिंग ऑपरेशन की वैधता को लेकर बहस शुरू कर दी है. लंबे समय से स्टिंग ऑपरेशन की वैधता पर बहस होती रही है.
लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि फंसाने और स्टिंग ऑपरेशन के मामलों में निजता के अधिकार और जनहित के बीच सही संतुलन बनाने की जरूरत है. हालांकि, अधिनियमों और विनियमों में विशेष रूप से स्टिंग ऑपरेशनों का उल्लेख नहीं किया गया है. इस विषय पर न्यायिक राय बार-बार सामने आई है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम द यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक निर्देश निर्धारित किए. अगर सरकार वायरटैप का उपयोग करना चाहती है तो उसे उनका पालन करना चाहिए.
दूसरी ओर, आरएम मलकानी बनाम महाराष्ट्र स्टेट केस में, सुप्रीम कोर्ट ने टेलीफोन पर टेप रिकॉर्डिंग की स्वीकार्यता को सही ठहराया. अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (इंडियन एविडेंस एक्ट) के तहत कोई भी प्रावधान अदालतों को अवैध या अनुचित रूप से सुरक्षित सबूतों को शामिल नहीं करने का अधिकार नहीं देता है.
1983 में, भारत के विधि आयोग ने अपनी 94वीं रिपोर्ट में सिफारिश की कि विधायिका को भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन करना चाहिए ताकि अवैध रूप से या अनुचित रूप से प्राप्त साक्ष्य को बाहर करने के लिए न्यायालय के विवेक पर विचार किया जा सके यदि ऐसे साक्ष्य के प्रवेश से न्याय प्रशासन की बदनामी होगी. हालांकि, आज तक, ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया गया है.
कुछ मामलों में अदालतों ने स्टिंग ऑपरेशनों की कानूनी वैधता को मंजूरी भी दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2007 के राजा राम पाल बनाम लोकसभा और अन्य के मामले में स्टिंग ऑपरेशन को वैधता दी.
यह मामला संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने से जुड़ा हुआ था. इसने देश में संसदीय विशेषाधिकार के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए. इस मामले में 11 सांसदों की अनैतिकता को सामने लाया था और इसके कारण उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी.
1999 के BMW हिट एंड रन केस के बाद भी एक बार फिर से गाइडलाइंस फ्रेम करने की मांग उठी थी. मामले में रसूखदार परिवार के एक युवक ने तेज गति से वाहन चलाकर तीन पुलिसकर्मियों समेत छह लोगों को नशे की हालत में कुचल दिया था.
आरोपी की ओर से पेश होने वाले वकील मामले के मुख्य गवाह से मिले और उसे गवाही न देने के लिए प्रभावित किया. दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी घोषित किया और सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले को बरकरार रखा और स्टिंग ऑपरेशन करने वाले मीडिया के लिए दिशा-निर्देश देने से इनकार कर दिया. इसमें कहा गया है कि ऐसा करना मीडिया की स्वायत्तता से खिलवाड़ होगा. अदालत ने कहा था, ‘दुरुपयोग की कुछ छिटपुट घटनाएं इस तरह की खोजी पत्रकारिता पर पूर्ण प्रतिबंध को सही नहीं ठहराती हैं.‘
भारत में केवल एसीबी और सीबीआई जैसी एजेंसियों को दिल्ली स्पेशन पुलिस इस्टैबलिशमेंट एक्ट, 1946 के तहत किसी भ्रष्ट पुलिस लोकसेवक को फंसाने के लिए फिक्शनल घटनाक्रम तैयार करने का अधिकार दिया गया है.
मामला क्या है?
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा को ऑस्ट्रेलिया में खेले गए टी20 विश्वकप में भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन के बाद हटा दिया गया था. हालांकि, अब बीसीसीआई ने हाल में चेतन को दूसरी बार चयन समिति का अध्यक्ष बनाया था.
मंगलवार को एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में चयन मसलों से जुड़े मामलों का कथित तौर पर खुलासा करने के कारण वह विवाद में फंस गए.
चेतन शर्मा को ज़ी न्यूज़ के स्टिंग ऑपरेशन में विराट कोहली और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों पर आक्षेप लगाते हुए दिखाया गया है. उन्होंने कथित तौर पर कोच राहुल द्रविड़ और विराट कोहली के साथ बातचीत का भी खुलासा किया है.
शर्मा ने आरोप लगाया के खिलाड़ी 80 से 85 प्रतिशत फिट होने के बावजूद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में जल्द वापसी के लिए इंजेक्शन लेते हैं.
शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व कप्तान विराट कोहली और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली के बीच अहं की लड़ाई थी. शर्मा ने कथित तौर पर कहा कि पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली ने तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को बदनाम करने की कोशिश की क्योंकि उन्हें लगा कि वनडे कप्तानी खोने के लिए सौरव गांगुली जिम्मेदार थे.
बीसीसीआई इस मामले पर गौर कर रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय चयनकर्ता अनुबंध से जुड़े होते हैं और उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं होती है.
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा,‘‘ बीसीसीआई के सचिव जय शाह चेतन के भविष्य को लेकर फैसला करेंगे. प्रश्न यह उठता है कि क्या टी20 कप्तान हार्दिक पांड्या या वनडे और टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा यह जानते हुए कि चेतन आंतरिक चर्चाओं का खुलासा कर सकते हैं, उनके साथ चयन बैठक में बैठना चाहेंगे.’’
Edited by Vishal Jaiswal