जलवायु वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण चिंता का विषय: निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘मेरी तरफ से मैंने एक यह विषय उठाया और कई लोग इस बात का संज्ञान लेते हैं। हमें वास्तव में यह नहीं पता कि यह आकलन करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं या नहीं कि किसी परियोजना विशेष पर यदि कोई धन खर्च करता है, तो क्या वह उसी 100 अरब डॉलर राशि का हिस्सा होगा।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जलवायु वित्तपोषण को चिंता का विषय बताया है। उन्होंने वित्त पोषण के तंत्र और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भारत की चिंता का भी इजहार किया।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की यहां बैठकों के समापन के बाद सीतारमण ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि सीओपी 21 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) के विस्तार के मद्देजनर 100 अरब डॉलर प्रतिवर्ष की प्रतिबद्धता कैसे जताई गई है।
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘मेरी तरफ से मैंने एक यह विषय उठाया और कई लोग इस बात का संज्ञान लेते हैं। हमें वास्तव में यह नहीं पता कि यह आकलन करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं या नहीं कि किसी परियोजना विशेष पर यदि कोई धन खर्च करता है, तो क्या वह उसी 100 अरब डॉलर राशि का हिस्सा होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘100 अरब डॉलर में क्या-क्या शामिल है? हम कैसे पता लगाएंगे कि वास्तव में 100 अरब डॉलर दिए गए हैं या उसमें से कुछ राशि ही दी गई है? इसलिए 100 अरब डॉलर प्रतिवर्ष आ रहे हैं या नहीं, केवल यही मुद्दा नहीं है। एक विषय यह भी है कि हम कैसे आकलन करेंगे कि ये वास्तव में आ रहा है या नहीं।’’
पीटीआई-भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री ने कहा कि आईएमएफ और विश्व बैंक दोनों की बैठकों में शामिल कई भागीदारों ने इस विषय को उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए धनराशि भी कई देशों के लिए उतनी ही चिंता का विषय बनी हुई है जितनी चिंता प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘धनराशि की तरह ही क्या हमें पता है कि हम किस प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की बात कर रहे हैं? क्या हम जानते हैं कि वे कौन सी चीजें हैं जिन पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उसकी चर्चा में विचार किया जाना है।’’
वित्त मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि उनका इस दृष्टिकोण का मतलब यह नहीं है कि वह अंसतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा बयान में असंतोष नहीं है क्योंकि भारत ने अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी की हैं। केवल छह देश हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।’’
सीतारमण ने कहा, ‘‘भारत ने जितना वादा किया, उससे कहीं अधिक किया है और यह बताने के लिए एक रिपोर्ट भी पेश की है कि हमने अबतक क्या किया है। हमने 2030 तक जो हासिल करना है, वो लगभग पहले ही हासिल कर लिया है। अब हमने नवीकरणीय ऊर्जा पर अपने लक्ष्य को बढ़ा लिया है। हम 450 गीगावॉट पर पहुंच रहे हैं।’’
(साभार: PTI)
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