काजल की कोठरी में सीएम अरविंद केजरीवाल की भी कुल संपत्ति हुई दोगुनी
आज की राजनीति है काजल की कोठरी। 'काजल की कोठरी में कैसो ही सयानो जाय, एक लीक काजल की लागे ही लागे है।' सियासत की सोहबत में दिल्ली के सीएम केजरीवाल की संपत्ति भी पांच साल में दोगुनी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट भी इस समय नेताओं की संपत्ति 500 गुना तक बढ़ जाने की याचिका की सुनवाई कर रहा है।
राजनीति की काली कोठरी में कोई कितना भी सयाना बने, कालिख लग ही जाती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इसके अपवाद नहीं रहे। उनके पिछले पांच साल के कार्यकाल में उनकी कुल संपत्ति दोगुनी हो चुकी है। इस बीच गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान उम्मीदवारों द्वारा आय के स्रोत का खुलासा करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई भी चल रही है।
इस संबंध में कोर्ट केंद्र सरकार के रुख के प्रति नाराजगी भी जाहिर कर चुकी है। एक सर्वे में पता चला है कि देश के तमाम नेताओं की संपत्ति पिछले दो चुनावों में पांच सौ गुना से भी ज्यादा हो चुकी है।
उनकी कुल चल-अचल संपत्ति 94 लाख रुपए से बढ़कर 1 करोड़ 86 लाख रुपए हो चुकी है। केजरीवाल ने शपथ पत्र में अपनी सालाना आय 2 लाख 81 हजार रुपए बताई है। उनकी चल संपत्ति 9 लाख 95 हजार रुपए है। इसमें से 12 हजार रुपए की राशि को छोड़कर बाकी रकम 5 अलग-अलग बैंक खातों में जमा है, जबकि पत्नी सुनीता की पेंशन से होने वाली सालाना आय 9 लाख 94 हजार रुपए है। केजरीवाल की खुद की कार नहीं है, जबकि पत्नी के पास मारुति बलेनो कार और 380 ग्राम सोना है।
केजरीवाल के पास 1.4 करोड़ का गाजियाबाद में प्लॉट है। इस बीच एक सर्वे में पता चला है कि देश के तमाम नेताओं की संपत्ति में पिछले दो चुनावों में 2100 फीसदी तक इजाफा हो चुका है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016 में भाजपा की 81 प्रतिशत और कांग्रेस की 71 प्रतिशत आय का स्रोत ज्ञात नहीं है। भाजपा को 461 करोड़ रुपये का चंदा 2015-16 में अज्ञात स्रोतों से मिला है, जो कि उसकी कुल आय का तकरीबन 81 प्रतिशत है। कांग्रेस को कुल आय का 71 प्रतिशत या 186 करोड़ रुपये गुमनाम स्रोतों से मिला है।
ऐसे में उच्चतम न्यायालय भी हाल ही में पिछले दिनो केंद्र सरकार के उस रुख के प्रति नाराजगी जाहिर कर चुका है, जिसके तहत सरकार अकूत संपत्ति वाले नेताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा अदालत को मुहैया नहीं करा रही है। कोर्ट की नाराजगी खासकर उन नेताओं को लेकर है, जिनकी संपत्ति दो चुनावों के बीच 500 फीसदी तक बढ़ गई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह अदालत के समक्ष इस संबंध में जरूरी सूचना रखे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि सरकार यह कह रही है कि वह चुनाव सुधार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने जरूरी विवरण पेश नहीं किए हैं। यहां तक कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा उसके समक्ष सौंपे गए हलफनामे में दी गई सूचना अधूरी रही है। न्यायमूर्ति जे चेलमेर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा है कि सीबीडीटी हलफनामे में सूचना अधूरी है। क्या यह भारत सरकार का रुख है? आपने अब तक क्या किया है? सरकार कह रही है कि वह कुछ सुधार के खिलाफ नहीं है। जरूरी सूचना अदालत के रिकॉर्ड में होनी चाहिए।
अदालत ने सरकार से 12 सितंबर तक इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में एडीआर ने चार उदाहरण ऐसे पेश किए हैं जिनकी संपत्ति में 1200 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। 22 ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति में 500 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। केरल के एक नेता की संपत्ति में 1700 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई तो एक सांसद की संपत्ति में 2100 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है।
इस समय सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी नाम की एक निजी संस्था की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि चुनाव के लिए नामांकर भरते समय उम्मीदवार को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होता है जिसमें पत्नी और बच्चों की आमदनी भी शामिल की जाती है लेकिन इन नेताओं के नामांकन में आय का श्रोत नहीं बताया गया है। संस्था ने अदालत से मांग की है कि नामांकन पत्र में आय के स्रोत का भी कॉलम जोड़ा जाए।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में भाजपा को 461 करोड़ रुपये का चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला जो कि उसकी कुल आय का तकरीबन 81 प्रतिशत है। कांग्रेस को उसकी कुल आय का 71 प्रतिशत या 186 करोड़ रुपये गुमनाम स्रोतों से मिला। इन पार्टियों के आयकर रिटर्न का हवाला देते हुए एडीआर ने कहा है कि उस वर्ष दोनों दलों को होने वाली कुल आय में अज्ञात स्रोतों से कुल मिलाकर 646.82 करोड़ रुपये या 77 प्रतिशत से अधिक धन मिला है।
रिपोर्ट के मुताबिक सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के लिए आय के प्रमुख स्रोतों में स्वैच्छिक योगदान और कूपन बिक्री आय का प्रमुख स्रोत है जबकि दोनों दलों की कुल आमदनी वित्त वर्ष 2016 में 832.42 करोड़ रुपये रही है।
चुनाव सुधारों पर नजर रखने वाले गैर सरकारी संगठन एडीआर ने कहा है कि 2015-16 में भाजपा और कांग्रेस की कुल घोषित आय क्रमश: 570.86 करोड़ रुपये और 261.56 करोड़ रुपये थी। चुनाव आयोग को सौंपे गए दोनों दलों के आय और व्यय आंकड़ा विवरण के विश्लेषण के आधार पर ये तथ्य समाने आए हैं।
वर्ष 2015-16 में गुमनाम स्रोत से भाजपा को 460.78 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस को 186.04 करोड़ रुपये की आय हुई। अज्ञात स्रोत से आय का संदर्भ उन चंदों के लिए दिया जाता है जहां 20,000 रुपये से कम चंदे पर स्रोत की घोषणा नहीं की जाती है. इस तरह की आय में कूपनों की बिक्री, राहत कोष, विविध आय, सम्मेलन या मोर्चा से स्वैच्छिक योगदान और चंदे आदि से हुई आय शामिल होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर के सात दलों में 2015-16 में भाजपा को सबसे ज्यादा आय 570.86 करोड़ रुपये की हुई। इसके बाद 261.56 करोड़ रुपये कांग्रेस को, माकपा को 107.48 करोड़, बसपा को 47.39 करोड़, तृणमूल कांग्रेस को 34.58 करोड़, एनसीपी को 9.14 करोड़ और भाकपा को 2.18 करोड़ रुपये की आय हुई है।