थाल सेवा: यहां गरीबों को रोज 5 रुपये में मिलता है भर पेट खाना, 1200 से अधिक लोग उठाते हैं लाभ
नोएडा में चल रही दादी की रसोई की तर्ज़ पर उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले के दिनेश मनसेरा ने थाल सेवा की शुरुआत की है, जिसके तहत बड़ी तादाद में जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। थाल सेवा के तहत खाने के लिए महज पाँच रुपये का शुल्क लिया जाता है।
दिल्ली से सटे नोएडा में 'दादी की रसोई' चलाने वाले अनूप खन्ना को तो हर कोई जानता है। वह रोज 5 रुपये में गरीबों को भरपेट खाना खिलाते हैं। कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं और एक जाना पहचाना नाम हैं। हर इंटरव्यू में वह कहते हैं कि पूरे देश में ऐसे लोगों को आगे आना चाहिए जो गरीबों और भूखे लोगों को फ्री में या कम कीमत पर पेट भर खाना खिला सकें। इस बात ने उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले के निवासी दिनेश मनसेरा पर गहरा असर डाला और फिर शुरुआत हुई 'थाल सेवा' की। थाल सेवा एक ऐसी योजना जिसके तहत गरीबों और वंचितों को 5 रुपये में खाना खिलाया जाता है।
गरीबों और जरूरमंदों के लिए यह सेवा उत्तराखंड राज्य के हल्द्वानी में रामपुर रोड स्थित राज्य के सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज के सामने चलाई जाती है। इसके फाउंडर दिनेश मनसेरा हैं। वह लिटिल मिरिकल फाउंडेशन नाम की संस्था चलाते हैं। इसी के तहत थाल सेवा चलाई जाती है।
दिनेश मनसेरा एक बड़े मीडिया संस्थान में काम करते हैं। योर स्टोरी से बात करते हुए वह कहते हैं,
'अस्पतालों में मरीजों के साथ-साथ परिवार वाले भी आते हैं। कई मरीजों की बीमारी का इलाज लंबे समय तक चलता है। इस कारण उन्हें खाने की परेशानी होती है। बस जरूरतमंदों की इसी परेशानी को दूर करने के लिए हमने यह सेवा शुरू की है।'
18 अक्टूबर 2018 दशहरे के दिन से इसकी शुरुआत की। उसके बाद से हर रोज थाल सेवा चलाई जाती है। इसके तहत रोज 12 से 2 बजे तक 5 रुपये में 1000-1200 लोगों को खाना खिलाया जाता है। इस संस्थान में 12 लोग हैं। रोज खाना बनाने के लिए शेफ लगा रखे हैं जिन्हें तय भुगतान किया जाता है। थाल सेवा में खाने का मेन्यू फिक्स हो जाता है। जैसे- सोमवार को राजमा चावल, मंगलवार को सफेद चने, बुधवार को पचरंगी दाल, शनिवार को काले चने खिलाए जाते हैं।
दादी की रसोई से मिली प्रेरणा
जब दिनेश जी से इस पहल की शुरुआत की प्रेरणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने झटके से दादी की रसोई वाले अनूप खन्ना जी का नाम लिया। वह कहते हैं,
"मैं अनूप जी से बहुत प्रेरित हूं। मैंने सोचा कि जब वह गरीबों को खाना खिला सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। बस उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैंने थाल सेवा की शुरुआत की और आज रोज 12 से 2 बजे तक हम लोगों को 5 रुपये में खाना खिलाते हैं। फर्क इतना सा है कि दादी की रसोई में 500 लोगों तक को खाना खिलाया जाता है और हम लगभग 1200 लोगों को खाना खिलाते हैं।"
अनूप खन्ना की प्रेरक कहानी आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
लोगों के सहयोग से अगले 300 दिनों का खाना बुक
योर स्टोरी से बात करते हुए दिनेश मनसेरा बताते हैं,
"हमें लोगों ने काफी सहयोग दिया है। लोग अपने खास दिनों जैसे- बर्थडे, ऐनिवर्सरी, प्रियजन की बरसी को हमें सहयोग देते हैं। इसी की बदौलत हमारे पास अगले 300 दिनों का खाना बुक है। यानी अगले 300 दिनों तक का खाना बाकी लोगों की ओर से है। हम केवल एक जरिया बने हैं। जो भी सेवा देते हैं, थाल सेवा पर लगे बोर्ड पर उनका नाम लिख दिया जाता है।"
पेड़ सेवा भी करते हैं
लोगों को खाना खिलाने के अलावा वह समस-समय पर पेड़ सेवा भी करते हैं। पिछले साल जून में उन्होंने एक अनूठी पहल की जिसकी हर ओर सराहना हुई। 13 जून 2019 को उनकी संस्था ने वन विभाग से 32 हेक्टेयर जमीन ली। फिर वहां पर 32 स्कूलों से संपर्क कर 3200 बच्चों को बुलाया गया और वहां केवल 32 मिनट में 3200 पेड़ लगाए गए। यह अपने आप में एक अनूठा अभियान था।
आगे के लिए खास प्लान
अपनी आगे की योजना के बारे में वह बताते हैं कि फिलहाल तो इसी महीने 26 तारीख से थाल सेवा के पास एक फ्रिज रखा जाएगा। इसमें लोग अपने घर से बचा हुआ खाना रख सकेंगे। बाद में जिस गरीब को जरूरत होगी तो वह यहां आकर खाना खा सकेंगे। इसके लिए जरूरतमंदों से कोई पैसे नहीं लिए जाएंगे। इसकी देखरेख के लिए एक गार्ड भी रखा जाएगा।
चूंकि थाल सेवा सिर्फ दिन 12 से 2 बजे तक होती है। फ्रिज लगने के बाद सेवा शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक होगी। यह केवल भिखारियों और सड़कों पर भटकने वाले लोगों के लिए होगी। इसके अलावा थाल सेवा को और भी नई-नई जगह चलाने के लिए बात चल रही है। अगर सब सही रहा तो थाल सेवा राज्य में दो-तीन जगह और भी चलाई जाएगी।
सरकार और युवाओं के लिए संदेश
वह कहते हैं कि हमें लोग अवॉर्ड देने के लिए बुलाते हैं लेकिन हम ही मना कर देते हैं। हम सरकार से सिर्फ इतना कहेंगे कि सरकार हमें मोरल सपॉर्ट करे। हमें किसी तरह की मदद नहीं चाहिए। दिनेश जी युवाओं से कहते हैं,
"सोसायटी से हमें बहुत कुछ मिलता है। हमें भी सोसायटी को कुछ देना चाहिए। समाज के लिए हम सबको मिलकर काम करना चाहिए। समाज के लिए काम करना पागलपन का काम होता है। इसके लिए पैसों के साथ-साथ पागलपन भी जरूरी होता है।"