कोरोना एक लड़ाई: कहानियों-कविताओं के माध्यम से इस तरह सकारात्मक बनायें लॉकडाउन को
गीताश्री मूल रूप से मुजफ्फरपुर, बिहार से हैं, लेकिन अब कई सालों से देश की राजधानी दिल्ली की निवासी हैं। कई बड़े संस्थानों के साथ काम करते हुए गीताश्री ने पत्रकारिता जगत को लंबी सेवा दी और अभी भी एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर सक्रिय हैं। एक कथाकार के तौर पर कहानियां इनकी आत्मा में बसती हैं।
'रामनाथ गोयनका पुरस्कार ', 'आधी आबादी वीमेन अचीवर्स' अवार्ड, 'मातृश्री अवार्ड' और 'बिहार गौरव सम्मान' जैसे कई पुरस्कारों से गीताश्री को सम्मानित किया जा चुका है। हिंदी साहित्य को इन्होंने लेडीज सर्कल, हसीनाबाद, सपनों की मंडी (आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित) और भूत खेला जैसी कई चर्चित किताबें दी हैं।
गीताश्री कहती हैं,
'हर कहानी अपने समय पर लिखी जाती है। ना समय से पहले, ना समय के बाद।'
महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर गीताश्री बेहतरीन पकड़ रखती हैं और समय-समय पर उसे कहानी-कविताओं के माध्यम से अपने पाठकों के सामने रखती हैं। सारी दुनिया घूमने के बाद, हर जगह से रंग-बिरंगी कहानियां उठाने के बाद गीताश्री का दिल लिट्टी-चोखा और जलेबी के लिए भी धड़कता है।