क्या कोरोना वायरस के चलते यूपी की जनता पर लगने जा रहा है अतिरिक्त कर? सीएम योगी ने कर दिया स्पष्ट
सीएम योगी दावा किया कि देश में पहली बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला है।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि कोरोना संकट के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज का सबसे ज्यादा लाभ उनके राज्य को मिला है और राज्य सरकार लॉकडाउन के कारण हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिये जनता पर कोई नया कर नहीं लगायेगी।
योगी ने यहां आभासी माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित गरीब कल्याण पैकेज तथा अन्य राहत का सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को मिला है। उसी का नतीजा है कि हम अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को नये निवेश के प्रस्ताव मिलने शुरू हो चुके हैं। निवेश प्राप्त करने के लिये टीमें और मंत्रिसमूह गठित हो चुके हैं। हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। हमने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया की डेस्क स्थापित कर ली है। जहां से भी निवेश आ सकता है, उसी के अनुरूप नीति तय करके हर व्यक्ति को रोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने पर प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट को बधाई देते हुए कहा कि पहले जो मुद्दे केवल नारों तक सीमित हुआ करते थे, उन्हें हकीकत में बदलने का काम मोदी ने किया है।
उन्होंने दावा किया कि देश में पहली बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सदियों से नारी गरिमा पर चोट करने वाली तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त किया। देश की सम्प्रभुता को चुनौती बनी आतंकवाद की प्रतीक कश्मीर की धारा 370 को हटाकर एक सरकार की ऐतिहासिक गलती को ठीक किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता देने की वर्षों से चली आ रही मांग को संशोधित नागरिकता कानून के जरिये पूरा करने का काम रहा हो, या फिर 500 वर्षों से भारत की आस्था के प्रतीक भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने में एक सकारात्मक भूमिका के साथ आगे आने की कार्यवाही रही हो, ये सभी कार्यक्रम मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए।
योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा समयबद्ध ढंग से और दूरदर्शितापूर्ण तरीके से लिये गये निर्णय का परिणाम है कि कोरोना संकट भारत जैसे 135 करोड़ की आबादी वाले देश में संक्रमितों और इस वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या की तुलना दुनिया के तमाम विकसित देशों से करेंगे तो भारत खुद को सेफ जोन में पाता है। इसके लिये लॉकडाउन जरूरी था।