लॉकडाउन: अब तक 20 लाख लोगों को नि:शुल्क खाना खिला चुके हैं 81 साल के बाबा करनैल सिंह
बाबा करनैल सिंह खैरा पिछले दो महीने से सेवक दल के साथ लगातार लोगों को मुफ्त भोजन परोस रहे हैं। यह दल इलाके के आवारा पशुओं को भो भोजन खिला रहा है।
कोरोनावायरस महामारी के कारण लॉकडाउन ने कई लोगों को परेशान किया है, विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों को, जिन्हें बिना भोजन या पानी के पैदल ही अपने घर जाना पड़ा।
इसके बाद भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दुर्दशा का संज्ञान लिया और उन्हें भोजन और आश्रय प्रदान करने के साथ ही उन्हे घर पहुंचाने के लिए विशेष श्रमिक ट्रेनों की भी व्यवस्था की।
इस तरह की कोशिशों के दौरान, कई व्यक्तियों और संगठनों ने इन लोगों की ज़रूरत में मदद करने के लिए कदम बढ़ाए। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं 81 वर्षीय बाबा करनैल सिंह खैरा।
महाराष्ट्र के करणजी से आते हुए, खैरा बाबा पिछले दो महीनों से राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर एक शेड में मुफ्त भोजन परोस रहे हैं। यह एकमात्र स्थान है जो 450 किलोमीटर के इस रास्ते में भोजन परोसता है।
खैरा बाबाजी के नाम से पहचाने जाने वाले खैरा ने आईएएनएस को बताया,
"यह एक दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र है। हमारे पीछे लगभग 150 किमी और लगभग 300 किमी तक आगे तक एक भी ढाबा या रेस्टोरेंट नहीं है, इसलिए अधिकांश लोग 'गुरु का लंगर' लाभ उठाना पसंद करते हैं।”
‘गुरु का लंगर’ महाराष्ट्र के वाई में ऐतिहासिक गुरुद्वारा भागोद साहिब से जुड़ा हुआ है, जो कि एक वन क्षेत्र में लगभग 11 किमी दूर स्थित है।
भारत सरकार ने 24 मार्च को पहली बार तालाबंदी की घोषणा की थी और तब से खैरा बाबा द्वारा चलाया जा रहा नियमित लंगर 20 लाख से अधिक लोगों को भोजन परोस चुका है।
लॉजिकल इंडियन से बाबा ने बताया,
"हमारे पास आने वाले लोगों की भीड़ थी और हम उनके लिए लगातार खाना बना रहे थे। हम सभी ने मुस्कुराते हुए और हाथ जोड़कर उनका स्वागत किया और कभी जाति, धर्म की परवाह नहीं की। 17 'सेवकों की मेरी नियमित टीम', जिसमें 11 रसोइए भी शामिल हैं, ये सभी लगातार भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं।”
थूअर दाल, आलू-वडी और आलू वंगा का पौष्टिक भोजन लोगों को परोसा जाता है। थके हुए आगंतुकों को साबुन और बोरवेल के पानी के साथ-साथ भोजन उपलब्ध कराया जाता है। गिने जाने वाले डिस्पोजेबल प्लेटों के आधार पर उन्होंने लगभग 15 लाख भोजन परोसा था और पांच लाख फूड पार्सल दिए थे और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
टीम रोजाना आवारा कुत्तों, बिल्लियों, मवेशियों और अन्य जानवरों को भी खाना खिलाती है।
अमेरिका में बसे 67 वर्षीय उनके भाई बाबा गुरबक्श सिंह खैरा ने भी ‘गुरु की लंगर’ में सेवाएं देने के लिए स्थानीय सिख समुदाय से चंदा जुटाया है। खैरा बाबा का मानना है कि यह 'मर्ज़ी' या ईश्वर की इच्छा है’, और हम मानवता की सेवा में केवल साधन हैं।
उन्होने कहा,
“देखिए, इस 'लंगर' में तीन वाहन श्रद्धालुओं द्वारा दान किए गए हैं, लेकिन पृथ्वी पर मेरा एकमात्र सामान ये तीन जोड़ी कपड़े हैं। मैं यहां रहता हूं और यहीं सोता हूं और जो खाना लोगों को परोसा गया है, वही खाना खाता हूं।”
दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण के 63 लाख से अधिक मामले पाये गए हैं, जबकि 3 लाख 77 हज़ार से अधिक लोगों की जान इस संक्रमण के चलते गयी हैं।