सभी दोस्तों को मैसेज किया कि 500 रुपये चाहिए, सबने भेजे तो 5100 खुद से मिलाकर कोरोना से लड़ने के लिए दान कर दिए, बड़ी मजेदार है ये कहानी
कोरोना महामारी (COVID-19) से लड़ने के लिए हर कोई अपने स्तर पर सरकार की मदद कर रहा है। कोई पलायन कर रहे मजदूरों को खाना खिला रहा है तो कोई किरायेदारों का किराया माफ कर रहा है। कोई आर्थिक मदद कर रहा है तो कोई शारीरिक श्रम दान कर रहा है।
कोरोना महामारी (COVID-19) से लड़ने के लिए हर कोई अपने स्तर पर सरकार की मदद कर रहा है। कोई पलायन कर रहे मजदूरों को खाना खिला रहा है तो कोई किरायेदारों का किराया माफ कर रहा है। कोई आर्थिक मदद कर रहा है तो कोई शारीरिक श्रम दान कर रहा है।
कोविड-19 से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइम मिनिस्टर्स सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमर्जेंसी सिचुएशन्स फंड (PM-CARES) का गठन किया। लोग बढ़ चढ़कर इसमें आर्थिक योगदान दे रहे हैं। चाहे वे कलाकार हों, बिजनेसमैन हों या फिर खिलाड़ी, अपने स्तर पर हर कोई मदद कर रहा है।
पीएम मोदी की मां ने भी इस कोष में 25,000 रुपये जमा कराए। एक लड़के ने पीएम-केयर्स में पैसे जमा कराने के लिए जो जुगाड़ू तरीका अपनाया है, उसे पढ़कर हर कोई हंस रहा है। लड़के ने अपने कुछ दोस्तों को मैसेज किया कि उसे 500 रुपये की सख्त जरूरत है। अर्जेंट में उसे 500 रुपये भेज दे।
सब दोस्तों ने उसे 500 रुपये भेज दिए। इस तरह से उसने कुल 27,000 रुपये जमा किए और खुद से 5100 रुपये मिलाकर कुल 32,100 रुपये पीएम केयर्स में दान कर दिए। लड़के का नाम सौरव पंवार है और उसने अपनी पूरी कहानी ट्विटर पर साझा की। इसकी कहानी काफी इंट्रेस्टिंग है।
सौरव ने अपने ट्विटर हैंडल पर दो फोटोज पोस्ट किए। इनमें एक फोटो में उन सभी दोस्तों का नाम है जिन्होंने उसे 500 रुपये भेजे और दूसरे फोटो में पीएम-केयर्स में ट्रांजैक्शन की डिटेल्स हैं। सौरव ने ट्वीट में लिखा,
'मैंने अपने कुछ दोस्तों को मैसेज किया, 'भाई 500 रुपये भेज दे। बहुत जरूरी है।' इस तरह से मैंने 27,000 रुपये इकठ्ठे कर लिए। तुम्हारा मुझे दिया गया उधार कोविड-19 से लड़ने वाले सबसे अच्छे कारण पर खर्च किया जा रहा है। सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद और यहां से सबकी पैसे वापसी की उम्मीद खत्म होती है।'
इसके बाद उसके ट्वीट पर रिप्लाई की बाढ़ सी आ गई। लोगों ने उसके प्रयास की तारीफ करते हुए उसके दोस्तों पर तरस खाया। लोगों ने कहा कि तुम असली रॉबिनहुड हो। एक ने कहा कि तुम तो कतई जहर दोस्त निकले। चाहे अब कुछ भी हो लेकिन इस महामारी के खात्मे में सहयोग करने के लिए सौरव के दिमाग को तो मानना पड़ेगा।
इस विपदा से लड़ने के लिए सहयोग करने वाली कहानियों में एक और कहानी सोशल मीडिया पर वायरल है। यह कहानी एक बच्चे की है। 7 साल का रोमेल लालमुआंसंगा मिजोरम के कोलासिब वेंगलाई का रहने वाला है। रोमेल ने अभी तक की अपनी सारी सेविंग्स अपने गांव स्तर पर टास्क फोर्स को दे दी। वह भी पूरे 333 रुपये। उसने एक पोटली में भरकर सभी सिक्के और नोट स्थानीय टास्क फोर्स को दिए। हल्की सी मुस्कुराहट के साथ इसके लिए एक सैल्यूट तो बनता है।