दूरी से भी धड़कन को सुन सकता है आईआईटी-बी अनुसंधानकर्ताओं का ‘स्मार्ट स्टेथोस्कोप’
नयी दिल्ली, आईआईटी बंबई की एक टीम ने ऐसा ‘‘डिजिटल स्टेथोस्कोप’’ (डिजिटल आला) विकसित किया है जो दूरी से भी धड़कन की आवाज सुन सकता है और उसे रिकॉर्ड कर सकता है।
इस उपकरण की मदद से कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से स्वास्थ्यकर्मियों को होने वाला खतरा कम होगा।
टीम के एक सदस्य ने बताया कि मरीज की धड़कन की गति संबंधी डेटा ब्लूटूथ की मदद से चिकित्सक तक पहुंच जाता है। इसके लिए चिकित्सक के लिए मरीज के पास जाना आवश्यक नहीं है।
आईआईटी की इस टीम ने इस उपकरण का पेटेंट हासिल कर लिया है। इससे प्राप्त होने वाले डेटा को अन्य चिकित्सकों को भी विश्लेषण एवं आगे के उपचार के लिए भेजा जा सकता है।
‘आयुडिवाइस’ नाम से स्टार्टअप चला रही टीम ने देश के विभिन्न अस्पतालों एवं स्वास्थ्यसेवा केंद्रों में ऐसे 1,000 स्टेथोस्कोप भेजे हैं। इस उपकरण को रिलायंस अस्पताल एवं पीडी हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सकों से मिली नैदानिक जानकारियों की मदद से विकसित किया गया हैं
टीम के एक सदस्य आदर्श के. ने कहा,
‘‘कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अकसर सांस फूलने की दिक्कत होती हैं। चिकित्सक धड़कन और सीने में घरघराहट जैसी आवाज सुनने के लिए (पारम्परिक) स्टेथोस्कोप का उपयोग करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि इससे चिकित्सकों के लिए संक्रमण का खतरा पैदा होता है। कोविड-19 के मरीजों का उपचार कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण के बढ़ते मामले इस बात की पुष्टि करते हैं।
आदर्श ने डिजिटल स्टेथोस्कोप की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें कान में लगाने वाले दो उपकरण एक ट्यूब से जुड़े होते हैं। यह ट्यूब बीमारी का पता लगाने में बाधा उत्पन्न कर सकने वाले शोर को हटाकर शरीर की ध्वनियों को भेजता है।
उन्होंने कहा,
‘‘इसका दूसरा लाभ यह है कि स्टेथोस्कोप विभिन्न आवाजों को बढ़ाकर एवं फिल्टर करके उन्हें इलेक्ट्रॉनिक संकेतों में बदलने में सक्षम है।’’
आदर्श ने बताया कि ये संकेत स्मार्टफोन या लैपटॉप पर ‘फोनोकार्डियोग्राम’ (धड़कन संबंधी चार्ट) के रूप में दिखाई देते हैं।
उल्लेखनीय है कि देशभर में कोरोना वायरस से 7,447 लोग संक्रमित हो चुके है और कुल 239 लोगों की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है।
Edited by रविकांत पारीक