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गर्म, शुष्क मौसम में सतह पर कोरोना वायरस के सक्रिय रहने की संभावना कम हो जाती है: रिसर्च

गर्म, शुष्क मौसम में सतह पर कोरोना वायरस के सक्रिय रहने की संभावना कम हो जाती है: रिसर्च

Friday June 12, 2020 , 2 min Read

वैज्ञानिकों ने न्यूयॉर्क और सिंगापुर समेत दुनिया के लगभग छह शहरों में संक्रमित रोगियों के खांसने या छींकने से निकलने वाले कणों के विभिन्न सतहों पर सूखने की अवधि पर गौर किया।

(सांकेतिक चित्र)

(सांकेतिक चित्र)



नयी दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुंबई के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में यह पाया है कि गर्म और शुष्क मौसम में सतह पर कोरोना वायरस के सक्रिय रहने की गुंजाइश कम हो जाती है। इस जानकारी से दुनिया भर में सार्वजनिक स्थानों को संक्रमण मुक्त करने के बेहतर दिशानिर्देश तैयार करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने एक ‘कंप्यूटर मॉडल’ का उपयोग कर यह अध्ययन किया।


'फिजिक्स ऑफ फ्लूड्स' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में यह आकलन किया गया कि जब कोविड-19 का रोगी खांसता या छींकता है, तो संक्रमण के लिये कोरोना वायरस, सार्स-कोवी-2, कितने समय तक (संक्रमण के लिये) अनुकूल स्थिति में रहता है।


आईआईटी, मुंबई के रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल समेत अध्ययन दल में शामिल अन्य वैज्ञानिकों ने न्यूयॉर्क और सिंगापुर समेत दुनिया के लगभग छह शहरों में संक्रमित रोगियों के खांसने या छींकने से निकलने वाले कणों के विभिन्न सतहों पर सूखने की अवधि पर गौर किया।


अध्ययन में कहा गया है कि मनुष्य के सिर के एक बाल की मोटाई के आकार के ये कण कोविड-19 के रोगियों के खांसते, छींकते और यहां तक की बोलते समय नाक और मुंह से निकलते हैं।





उन्होंने कहा कि विषाणु को बाहर लेकर आने वाले ये कण जब वाष्पित हो जाते हैं तब बचा हुआ विषाणु निष्क्रिय हो जाता है, इस तरह कोविड-19 के सक्रिय रहने की अवधि और उसका संचरण इस बात से सीधे तौर पर प्रभावित होता है कि ये कण कितने समय तक अक्षुण्ण रहते हैं।


उन्होंने अपने विश्लेषण के आधार पर कहा कि कोविड-19 की वृद्धि दर का थोड़ा बहुत संबंध बाहर के मौसम से भी है। शुष्क मौसम की तुलना में आर्द्र मौसम में वायरस के सक्रिय रहने की संभावना मौटे तौर पर पांच गुणा बढ़ जाती है।


शोधकर्ताओं ने कहा कि अधिक नमी वाले स्थानों पर, छोटे कण लंबे समय तक सतहों पर सक्रिय रहे। इससे वायरस के अधिक समय तक सक्रिय रहने का पता चलता है।