अप्रैल-जुलाई में 34 फीसदी बढ़ा कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में कंपनियों की आय पर वसूला जाने वाला ‘कॉरपोरेट कर’ (corporate tax collection) 34 फीसदी बढ़ गया है.
आयकर विभाग ने अप्रैल-जुलाई के दौरान कॉरपोरेट कर संग्रह में हुई वृद्धि की जानकारी ट्वीट के जरिये दी. विभाग ने कर संग्रह की सटीक राशि का खुलासा न करते हुए कहा, "वित्त वर्ष 2022-23 में 31 जुलाई, 2022 तक का कॉरपोरेट कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 34 फीसदी अधिक है."
आयकर विभाग ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कॉरपोरेट कर का कुल संग्रह 7.23 लाख करोड़ रुपये रहा जो वर्ष 2020-21 के कर संग्रह से 58 फीसदी अधिक है.
विभाग ने कहा, "कर संग्रह में वृद्धि का सकारात्मक रुझान चालू वित्त वर्ष में भी जारी है. यह दिखाता है कि कर व्यवस्था का सरलीकरण और बिना किसी छूट के कर दरों में कटौती के लिए उठाए गए कदम कारगर रहे हैं."
आयकर विभाग ने इस आंकड़े के साथ कॉरपोरेट कर की दरों में 2019 में की गई कटौती को लेकर की जाने वाली आलोचनाओं का जवाब देने का प्रयास किया है. आलोचकों ने कहा था कि कंपनियों के लिए कर दरें कम करने से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचेगा और इसका असर समाज कल्याण योजनाओं पर होने वाले सरकारी खर्च पर पड़ेगा.
सरकार ने सितंबर 2019 में कंपनियों को 30 फीसदी की कर दर से 22 फीसदी कर दर में आने का विकल्प दिया था लेकिन इसके लिए कोई छूट नहीं मिलने की शर्त रखी गई थी.
वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय जल्द ही छूट मुक्त (exemption-free tax) नई कर व्यवस्था की समीक्षा करने का प्रस्ताव कर रहा है ताकि इसे व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए और अधिक आकर्षक बनाया जा सके.
सूत्रों ने कहा, सरकार का लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना है जहां कोई छूट नहीं है और छूट और कटौती के साथ जटिल पुरानी कर व्यवस्था समाप्त हो गई है.
केंद्रीय बजट 2020-21 ने एक नई कर व्यवस्था पेश की. करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूटों के साथ पुरानी व्यवस्था और छूट और कटौती के बिना कम कर दरों की पेशकश करने वाली नई कर व्यवस्था के बीच चयन करने का विकल्प दिया गया था.
इस कदम के पीछे का उद्देश्य व्यक्तिगत करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करना और आयकर कानून को सरल बनाना था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई कर व्यवस्था के अनुभव के बारे में पूछे जाने पर, सूत्रों ने कहा, स्पष्ट संकेत हैं कि जिन लोगों ने अपना होम लोन और एजुकेशन लोन पूरा कर लिया है, वे नई कर व्यवस्था में स्थानांतरित होने के इच्छुक हैं क्योंकि उनके पास दावा करने के लिए कोई छूट नहीं है.
सूत्रों ने आगे कहा कि नई व्यवस्था में करों को कम करने से नई कर व्यवस्था और अधिक आकर्षक हो जाएगी.
कॉरपोरेट करदाताओं के लिए एक समान कर व्यवस्था सितंबर 2019 में दरों को काफी कम करके और छूट को हटाकर पेश की गई थी.
सरकार ने तत्कालीन मौजूदा कंपनियों के लिए बेस कॉर्पोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की थी; और नई मैन्युफैक्चरिंग फर्मों के लिए, जोकि 1 अक्टूबर, 2019 के बाद रेग्यूलेट हुई, और 31 मार्च, 2024 से पहले कामकाज शुरू कर चुकी हैं, के लिए टैक्स 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत रखा गया है. इन नई कर दरों को चुनने वाली कंपनियों को सभी छूटों और प्रोत्साहनों को छोड़ना होगा.
1 फरवरी, 2020 को घोषित व्यक्तिगत करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था के तहत, 2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोग कोई कर नहीं देते हैं. 2.5 लाख से 5 लाख रुपये के बीच की आय के लिए कर की दर 5 प्रतिशत है.
इसके अलावा, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये की आय वाले लोगों को 10 प्रतिशत की कम कर दर का भुगतान करना होगा; 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच 15 फीसदी; 10 लाख रुपये से 12.5 लाख 20 फीसदी के बीच; 12.5 लाख रुपये से 15 लाख 25 प्रतिशत के बीच; और 15 लाख रुपये से अधिक आय वालों को 30 प्रतिशत टैक्स अदा करना होगा.